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संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी- ढहने की कगार पर अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था, मदद की जरूरत
ढहने की कगार पर अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था- संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी- ढहने की कगार पर अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था, मदद की जरूरत

Sep 10, 2021
12:24 pm

क्या है खबर?

संयुक्त राष्ट्र (UN) ने चेतावनी दी है कि अगर अंतराष्ट्रीय समुदाय मदद जारी रखने का कोई तरीका नहीं निकालता है तो अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह ढह सकती है। गौरतलब है कि तालिबान के कब्जे के बाद विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) समेत कई वैश्विक संस्थाओं ने अफगानिस्तान को मिलने वाली आर्थिक सहायता रोक दी है। अमेरिका ने भी अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक की 9.5 अरब डॉलर की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है।

बयान

पैसा देने के लिए रास्ता निकालने की जरूरत- ल्योन्स

अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत डेबोराह ल्योन्स ने गुरुवार को सुरक्षा परिषद में जानकारी दी कि अफगानिस्तान की 'सामाजिक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था' को ढहने से बचाने के लिए पैसे देने का रास्ता निकालने की जरूरत है। अफगानिस्तान मुद्रा की गिरती कीमत, खाद्य पदार्थों और ईंधन की ऊंची कीमतों और निजी बैंकों में नकदी की कमी से जूझ रहा है। उन्होंने बताया कि प्रशासन के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं हैं।

बयान

"दुरुपयोग रोकने के लिए बनाए जा सकते हैं नियम"

ल्योन्स ने कहा कि अर्थव्यवस्था को कुछ महीनों के लिए राहत और तालिबान को इस बार अपनी कही बातें लागू करने के लिए एक मौका देने की जरूरत है। पैसे का दुरुपयोग रोकने के लिए कुछ नियम बनाए जा सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय मदद

अफगानिस्तान सरकार को मिलता थी व्यय की 75 प्रतिशत मदद

अभी तक अफगान सरकार को अपने कुल सार्वजनिक व्यय का लगभग 75 प्रतिशत भाग अमेरिका और दूसरे देशों से मिलता था, लेकिन सरकार गिरने के साथ ही यह मदद बंद हो गई है। जो बाइडन के प्रशासन का कहना है कि अमेरिका मानवीय सहायता जारी रखेगा, लेकिन केंद्रीय बैंक की फ्रीज की गई संपत्ति और दूसरी मदद इस पर निर्भर करेगी कि तालिबान अपना शासन कैसे चलाता है। इसमें लोगों को अफगानिस्तान से निकलने देने की भी बात है।

जानकारी

रूस और चीन ने संपत्ति जारी करने की मांग की

तालिबान को आपात सहायता के तौर पर मदद का भरोसा दे चुके चीन और रूस ने फ्रीज की गई संपत्ति को जारी करने की मांग की है। चीन ने कहा कि यह पैसा अफगानिस्तान का है और इसे अफगानिस्तान के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

अफगानिस्तान

बदला ले रहा है तालिबान- ल्योन्स

ल्योन्स ने यह भी कहा कि ऐसे भरोसेमंद आरोप हैं कि तालिबान अपनी बात से पलटते हुए प्रतिशोध में सेना में काम कर चुके सैनिकों की हत्याएं कर रहा है। उन्होंने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों के उत्पीड़न को लेकर भी चिंता जताई है। ल्योन्स ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र को महिलाओं पर लगाई गई पाबंदियों को लेकर कई रिपोर्ट्स मिली हैं। तालिबान में महिलाओं से संबंधित मुद्दों के लिए बनाए गए विभाग को खत्म कर दिया है।

संकट

गंभीर खाद्य संकट से जूझ रहा है अफगानिस्तान

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान खाद्य संकट से जूझ रहा है। यहां इसी महीने खाद्य भंडार खत्म हो सकता है, जिसके बाद एक तिहाई आबादी का खाद्य संकट झेलना पड़ेगा। अफगानिस्तान में UN के कॉर्डिनेटर रमीज अलकबारोव ने बताया था कि 3.8 करोड़ आबादी में से एक तिहाई 'आपातकालीन' स्तर की खाद्य असुरक्षा झेल रही है।लोगों को खाना खिलाने के लिए और अधिक पैसों की जरूरत है।