कोरोना वायरस: भारत में 1,000 से अधिक लोगों ने जीती जंग, अस्पताल से मिली छुट्टी
कोरोना वायरस का आतंक बढ़ता जा रहा है। दुनियाभर में इसके 18.48 लाख मामले सामने आ चुके हैं और एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इन सबसे बीच राहत की खबर यह है कि संक्रमित लोग इस वायरस की चपेट से बाहर भी आ रहे हैं। दुनिया में अब तक चार लाख 23 हजार 625 संक्रमित पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। इसमें भारत के 1,000 से अधिक लोग शामिल है। आइए जानते हैं विवरण।
भारत में संक्रमितों की संख्या बढ़कर हुई 9,205
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार भारत में अब तक कुल 1,080 संक्रमितों ने कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जीत ली है और वह पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। हालांकि, भारत में अब तक इससे 331 लोगों की मौत हो चुकी है। इसी प्रकार संक्रमितों की संख्या बढ़कर 9,205 पहुंच गई है। देश में चल रहा 21 दिनों लॉकडाउन मंगलवार को खत्म होगा, लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रसार के कारण इसे आगे बढ़ने की पूरी संभावना है।
ऐसे की जाती है संक्रमित के ठीक होने की घोषणा
बता दें कि संक्रमित व्यक्ति को 14 दिन के लिए आइसोलेशन वार्ड में रखकर गहन उपचार मुहैया कराया जाता है। इसके बाद उसकी दो बाद जांच कराई जाती है। इन दोनों जांचों की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर उसे स्वस्थ घोषित कर दिया जाता है।
कर्नाटक में स्वस्थ हुए मरीजों को मिली शानदार विदाई
गत सप्ताह के आखिर से सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें सामने आया है कि कर्नाटक के चिकबलपुर अस्पताल के डॉक्टर, नर्स और अन्य स्टाफ सदस्यों ने कोरोना के खिलाफ जंग जीतने वाले मरीजों को शानदार विदाई दी। इसमें वह स्वस्थ होने वाले मरीजों के लिए तालियां बजाते नजर आ रहे हैं। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री के सुधाकर ने कहा कि कोरोना से डरने का कोई कारण नहीं है, लेकिन लोगों में जागरुकता लाना आवश्यक है।
यहां देखिए वीडियो
आइसोलेशन में अकेले रहना मुश्किल, लेकिन संक्रमितों को रखनी होगी उम्मीद
संक्रमणक के बाद आइसोलेशन वार्ड में परिवार से दूर अकेले रहना बहुत मुश्किल होता है। यही कारण है कि डॉक्टर संक्रमित मरीजों को अच्छी चीजों पर ध्यान देने और तनाव मुक्त रहने के लिए कहते हैं। बीमारी से उबरने वाले एक मरीज रोहित शर्मा ने न्यूज़बाइट्स को बताया था कि तनाव के कारण अन्य बीमारी भी हो सकती हैं। उन्होंने कहा था कि धैर्य के साथ इस बीमारी को हराया जा सकता है। इसके लिए आपको आत्मविश्वास बनाए रखना होगा।
बुरी तरह से डर गया था उत्तराखंड का पहला संक्रमित
उत्तरखंड के पहले कोरोना संक्रमित और IFS अधिकारी शैलेंद्र सिंह (26) ने संक्रमण के बाद की अपनी स्थिति के बारे में बताया है। उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि वह बीमारी से बहुत अधिक डर गए थे। उन्हें डर था कि सब कुछ खत्म हो जाएगा। आइसोलेशन में 10 दिन बिताने के बाद उन्होंने कोरोना से जुड़ी खबरों को देखना बंद कर दिया था। उन्होंने बताया कि आइसोलेशन में रहने के दौरान उन्होंने जिंदगी को ज्यादा बेहतर तरीके से समझा।
दृढ निश्चय करने से होगा कोरोना मरीजों को फायदा
पश्चिम बंगाल में कोरोना महामारी को मात देकर सकुशल घर आने वाले 59 वर्षीय धरमनाथ सिंह ने भी लोगों को कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने के सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि दृढ संकल्प और मजबूत इच्छा शक्ति के जरिए ही इस महामारी को हराया जा सकता है। सिंह ने 2006 में किडनी प्रत्यारोपण कराया था और वह शुगर से पीड़ित थे। इसके बाद भी उन्होंने दृढ संकल्प लिया और कोरोना महामारी को मात देकर ठीक हो गए।
स्वस्थ हुए मरीजों के प्लाजमा से अन्य संक्रमितों को ठीक करने में मिलेगी मदद
देश में अधिक से अधिक संक्रमितों के स्वस्थ होने से अन्य संक्रमितों को भी ठीक करने में बड़ी मदद मिलेगी। डॉक्टरों ने बताया कि स्वस्थ हुए मरीजों के प्लाजमा का उपयोग करते हुए अन्य गंभीर मरीजों को भी स्वस्थ किया जा सकता है। भारत में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली आदि राज्यों ने केंद्र सरकार से प्लाजमा के जरिए उपचार करने का पता लगाने की अनुमति मांगी है। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस पर विचार करने का भरोसा दिलाया है।
अन्य बीमारियों में भी किया जाता है प्लाज्मा थैरेपी का उपयोग
दिल्ली AIIMS के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि कोरोना वायरस से ठीक होने वाले मरीजों के खून से प्लाज्मा निकाला जाता है। इसके बाद प्लाज्मा के एंटी-बॉडी को दूसरे मरीज के खून में ट्रांसफ़्यूज़ किया जाता है। यह प्रक्रिया संक्रमित मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है। इस थैरेपी का उपयोग इबोला के प्रकोप के दौरान किया गया था। उन्होंने कहा कि इस चिकित्सा पद्धति की सफलता के बारे में कई अध्ययन भी किए गए हैं।
पर्याप्त प्लाज्मा होने पर किया जा सकता है इस थेरेपी का उपयोग- गुलेरिया
डॉ गुलेरिया ने कहा कि कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुए मरीजों के खून में पर्याप्त प्लाज्मा उपलब्ध होने पर ही इस थैरेपी का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए स्वस्थ हुए मरीजों की संख्या और उनके खून में उपल्बध प्लाज्मा का पता लगाना होगा।