सुप्रीम कोर्ट में बोली केंद्र सरकार, देश में गैर-नागरिकों की पहचान के लिए जरूरी है NRC
क्या है खबर?
देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लेकर लंबे समय से विरोध चल रहा है।
CAA को लेकर तो हाल ही में राजधानी दिल्ली हिंसा के आग में जली थी। विरोधियों ने इनको लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं भी लगा रखी है।
इसी बीच NRC को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए एक संप्रभु राष्ट्र में NRC को जरूरी बताया है।
पक्ष
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रखा अपना पक्ष
सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र के जरिए अपना पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि संप्रभु राष्ट में नागरिकों के बीच गैर-नागरिकों की पहचान के लिए NRC जरूरी है। कानून के तहत अवैध प्रवासियों की पहचान करने और उन्हें निकालने की शक्ति सरकार को हासिल है।
सरकार ने NRC का जिक्र किए बिना कहा कि सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह अवैध प्रवासियों की पहचान करने के बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत उन्हें बाहर निकाले।
समर्थन
सुप्रीम कोर्ट ने किया सरकार की दलील का समर्थन
सरकार ने कहा कि कोई भी अवैध प्रवासी भारत में रहने या बसने के अधिकार की मांग और नागरिकता देने का दावा नहीं कर सकता। उन्हें इस तरह के दावे के लिए कोर्ट में गुहार लगाने का अधिकारी नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 21 का दायरा बड़ा है, लेकिन इसमें अवैध प्रवासी शामिल नहीं हैं।
नागरिकता का दावा करने वाले व्यक्ति पर इसे साबित करने की जिम्मेदारी डालने वाली प्रक्रिया निष्पक्ष और उचित है। इसे अदालत ने भी सही ठहराया।
जानकारी
पंजीयन रद्द कर सकती है सरकार
आपको बता दें कि सरकार के पास किसी भी ओवरसीज इंडियन सिटीजनशिप कार्ड धारक के भारतीय कानून का उल्लंघन करने पर संबंधित का पक्ष सुनने के बाद उसका पंजीयन रद्द करने की शक्तियां है। गृह मंत्रालय की इसमें अहम भूमिका होती है।
आधार
सरकार के पास है नागरिकता का प्रमाण मांगने का मजबूत आधार
सरकार ने कहा कि किसी भी व्यक्ति से देश के नागरिक होने का प्रमाण मांगने का सरकार के पास मजबूत आधार है।
किसी भी व्यक्ति को नागरिकता साबित करने के लिए अपनी जन्मतिथि, जन्मस्थान, अपने अभिभावकों के नाम और उनके जन्म के स्थान और नागरिकता का प्रमाण देने की आवश्यक्ता हो सकती है।
यदि कोई भी सरकारी विभाग किसी की नागरिकता के दावे पर आपत्ति करता है तो संबंधित व्यक्ति प्रमाण देने से मना नहीं कर सकता है।
चुनौती
याचिकाकर्ताओं ने दी थी नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 को चुनौती
सरकार की ओर से लागू किए गए CAA के विरोध में याचिकाकर्ताओं ने सरकार के नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 और नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 14A को चुनौती दी थी।
इसमें याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम की तहत सरकार को दी गई शक्तियों को मनमाना बताया था।
उन्होंने राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को देश के लोगों से उनकी निजी जानकारी लेकर उन्हें प्रताडि़त करने वाला बताया था। कोर्ट ने इस पर सरकार से जवाब मांगा था।
हिंसा की आग
तीन दिन तक हिंसा की आग में जली थी दिल्ली
आपको बता दें कि CAA को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में गत 23 से 25 फरवरी तक जमकर हिंसा हुई थी।
इस हिंसा में IB अधिकारी अंकित शर्मा, हैड कांस्टेबल रतनलाल सहित 53 लोगों की मौत हो गई तथा 350 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
पुलिस ने इस संबंध में अब तक करीब 750 मामले दर्ज कर 2,000 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस धीरे-धीरे मामले में शामिल अन्य उपद्रवियों का पता लगाकर गिरफ्तारी में जुटी है।