प्रदूषित इलाकों में रहने वाले लोगों की कोरोना वायरस से मौत होने का खतरा ज्यादा- स्टडी
क्या है खबर?
कोरोना वायरस (COVID-19) के बढ़ते मामलों के बीच हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी कई शहरों की चिंता बढ़ा रही है।
इस स्टडी में पता चला है कि प्रदूषित इलाकों, खासतौर से ऐसे इलाके जहां हवा में PM 2.5 की मात्रा अधिक हो, वहां अधिक समय रहने वालों की कोरोना वायरस के कारण जान जाने का खतरा 20 गुना तक बढ़ जाता है।
यह बात ध्यान रखने वाली है कि भारत के कई शहरों में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक रहती है।
स्टडी
प्रदूषण की थोड़ी मात्रा भी बढ़ा सकती है मौत का आंकड़ा
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बायोस्टेटिस्टिक्स विभाग के शिआओ वू और रशेल सी नेथेरी की स्टडी में पता चला है कि हवा में PM 2.5 की मात्रा में महज एक माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर की बढ़ोतरी होने पर वहां रहने वाले लोगों की COVID-19 के कारण मौत होने का खतरा 15 प्रतिशत बढ़ जाता है। यानी प्रदूषण की थोड़ी मात्रा भी कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ा सकती है।
यह स्टडी अभी तक कहीं पब्लिश नहीं हुई है।
प्रदूषक कण
बेहद खतरनाक होते हैं PM 2.5 कण
PM (पर्टिकुलेट मैटर) 2.5 हवा में घुलने वाला छोटे कण होते हैं। इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। हवा में इनका स्तर ज्यादा होने पर दृश्यता कम हो जाती है।
ये कण सांस के साथ हमारे फेफड़ों में भीतर तक पहुंच जाते हैं। इन्हें भीतर जाने से रोकने के लिए हमारे शरीर में कोई सिस्टम नहीं है।
ये कण कारों, रिफाइनरियों और बिजली संयंत्रों में ईंधन के दहन से बड़े पैमाने पर उत्पन्न होते हैं।
स्टडी
कई भारतीय शहरों में प्रदूषण स्तर चिंताजनक
अमेरिका में की गई यह स्टडी भारत की चिंता भी बढ़ा सकती है क्योंकि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत के हैं। गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम आदि सबसे प्रदूषित शहर हैं।
बीते साल दिल्ली की हवा में PM 2.5 का स्तर 98.6 ug/m3 था। 2017 और 2018 में यह और ज्यादा था।
हालांकि, 21 दिनों के लॉकडाउन के कारण प्रदूषण घटा है, लेकिन उससे पहले लगातार प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' श्रेणी में था।
प्रदूषण
SARS के दौरान भी प्रदूषण से बढ़ी थी मृत्यू दर
इस स्टडी से पहले यह जानकारी सामने थी कि दिल की बीमारियों और सांस लेने में परेशानी का सीधा संबंध हवा में बढ़े PM 2.5 कणों से है।
2003 में एक दूसरे प्रकार के कोरोना वायरस के कारण फैली सेवर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) के दौरान हुई मौतों के पीछे भी हवा में मौजूद प्रदूषण तत्तों का बड़ा हाथ था।
स्टडी में कहा गया है प्रदूषण कम करने के बड़े स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है।
कोरोना वायरस
दुनियाभर में 15 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित
पूरी दुनिया में फैल चुके कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक 15 लाख से ज्यादा लोग इससे संंक्रमित हो चुके हैं और 88,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।
अकेले अमेरिका में संक्रमितों की संख्या 4.3 लाख से ज्यादा है। यहां 14,000 से ज्यादा मौते हुई हैं।
भारत में इस महामारी के 5,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और लगभग 150 लोग जान गंवा चुके हैं।