क्या इंटरनेट बंद कर डिजिटल बनेगा इंडिया? जानिये क्या कहते हैं आंकड़े

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत मे सरकारों के लिए इंटरनेट बंद करना आम बात बन गई है। देश के एक हिस्से कश्मीर में पिछले चार महीने से अधिक समय से इंटरनेट बंद है जो किसी भी लोकतांत्रिक देश में सबसे अधिक है। इंटरनेट बंद होने से न सिर्फ आम लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है। आइए इस समस्या को आंकड़ों में जानते हैं।
भारत में इस साल 100 बार से ज्यादा इंटरनेट बंद हो चुका है। 2012 से लेकर अब तक भारत में 374 बार इंटनरेट बंद किया गया है, जिनमें से 100 से ज्यादा शटडाउन इस साल हुए हैं। इन आंकड़ों की ही मेहरबानी है कि भारत दुनिया की 'इंटरनेट शटडाउन कैपिटल' बन गया है। इंटरनेट शटडाउन की सबसे ताजा घटना बीते शुक्रवार की है, जब उत्तर प्रदेश के 20 से अधिक जिलों में कई घंटों के लिए इंटरनेट बंद रखा गया।
इस साल अभी तक 100 से ज्यादा बार इंटरनेट को बंद किया गया है जो दुनिया के कुल इंटरनेट शटडाउन का 67 प्रतिशत है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शटडाउन को लेकर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।
साल 2012 और 2013 में केवल जम्मू-कश्मीर ही एकमात्र ऐसा राज्य था, जहां पर कुछ दिनों के लिए इंटरनेट बंद किया गया। आने वाले सालों में यह संख्या लगातार बढ़ती गई। 2014 में देश में छह बार, 2015 में 14 बार, 2016 में 31, 2017 में 79 और 2018 में 134 बार इंटरनेट को बंद किया गया था। इस साल अब तक 100 से ज्यादा बार इंटरनेट बंद किया जा चुका है और अभी साल के तीन दिन बाकी है।
ये संख्या कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2018 में जब भारत में 134 बार इंटरनेट बंद किया गया, तब दूसरे नंबर पर रहे पाकिस्तान में इससे कई गुना कम केवल 12 बार ही इंटरनेट बंद किया गया।
इस साल सरकार कश्मीर, राजधानी दिल्ली, त्रिपुरा, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर इंटरनेट बंद कर चुकी है। इन घटनाओं ने भारत इंटरनेट पर पाबंदी लगाने के मामले में चीन, म्यांमार, उत्तर कोरिया, इराक, सीरिया, पाकिस्तान और कांगो जैसे देशों में फेहरिस्त में शामिल कर दिया है। इन सभी देशों का मानवाधिकार के मामले में रिकॉर्ड काफी खराब है।
भारत में एक इंटरनेट यूजर हर महीने अपने स्मार्टफोन पर औसतन 9.8GB डाटा का इस्तेमाल करता है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसी कंपनियों का सबसे बड़ा यूजर बेस भारत में ही हैं।
इंटरनेट बंद करने के लिए केंद्र या राज्य के गृह सचिव आदेश जारी करते हैं। यह आदेश पुलिस अधीक्षक या उससे वरिष्ठ अधिकारियों के जरिए सर्विस प्रोवाइर कंपनियों को भेजा जाता है। आदेश जारी होने के अगले दिन इसे संबंधित सरकार के रिव्यू पैनल को भेजना होता है। पैनल पांच कामकाजी दिनों में आदेश की समीक्षा करता है। अगर कोई आपातकालीन स्थिति होती है तो गृह सचिव द्वारा अधिकृत किए गए अधिकारी इंटरनेट बंद करने के आदेश दे सकते हैं।
नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच इंटरनेट शटडाउन से मोबाइल कंपनियों को हर घंटे 2.5 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इंटरनेट नहीं चलने के कारण लोग ओला और उबर कैब बुक नहीं कर पा रहे हैं, जिससे इन कंपनियों को रोजाना भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऑनलाइन फूड सर्विस कंपनी स्विगी और जोमेटो भी इटंरनेट शटडाउन से प्रभावित हुई हैं और इनके रोजाना के ऑर्डर में 10-20 प्रतिशत की गिरावट आई है।
लंबे समय तक इंटरनेट बंद रहने से अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 से लेकर 2018 तक इंटरनेट शटडाउन की कई घटनाओं के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को 21,336 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं दिल्ली स्थित एक थिंक टैंक की रिपोर्ट कहती है कि भारत ने 2012-17 के बीच इंटरनेट शटडाउन की वजह से तीन बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान झेला है।
एयरटेल, जियो और वोडाफोन जैसी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के महानिदेशक रजन मैथ्यू कहते हैं कि आज ऐसा समय है जब हर चीज आपस में कनेक्टेड है। जब इंटरनेट बंद होता है तो लोग बैंक का काम नहीं कर पाते। उन्हें आने-जाने में परेशानी होती है। यह बड़े स्तर पर रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि सरकार को इंटरनेट शटडाउन से बचना चाहिए।
जानकारों का कहना है कि जिस तरह से सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को बात करने से रोकने के लिए इंटरनेट बंद कर रहा है, वह चिंता का विषय है। यहां तक की राजधानी दिल्ली में भी इंटरनेट बंद किया जा रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। उनका कहना है कि सरकार सब कुछ डिजिटल कर डिजिटल इंडिया बनाने की बात कर रही है, लेकिन ऐसी घटनाएं उसकी राह में बड़ा रोड़ा बन सकती हैं।
इंटरनेट शटडाउन की कीमत केवल अर्थव्यवस्था को नहीं चुकानी पड़ती। इसका असर प्रेस की आजादी और मानवाधिकारों पर भी पड़ता है। कश्मीर में इंटरनेट बंद होने के कारण वहां की जानकारियां सामने नहीं आई हैं। संयुक्त राष्ट्र ने 2016 में इंटरनेट एक्सेस को मौलिक मानवाधिकार माना था। हालांकि, भारत में केरल एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां हाई कोर्ट के आदेश के बाद इंटरनेट को मौलिक अधिकार माना गया है।
इस सवाल का जवाब है- हां। 2016 में बेंगलुरू में कावेरी के पानी को लेकर हुए प्रदर्शन में पुलिस ने इंटरनेट बंद नहीं किया बल्कि ट्विटर का सहारा लेकर अफवाहों का खंडन किया। पुलिस ने सोशल मीडिया पर नजर रखी और अफवाहों को फैलने से रोका। ऐसा ही अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समय अयोध्या पुलिस ने किया। पुलिस ने सोशल मीडिया पर नजर रखी और किसी भी आपत्तिजनक या अफवाह फैलाने वाली पोस्ट को तुरंत डिलीट करवाया।