
राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद किसानों ने खोला नोएडा-दिल्ली बॉर्डर, यातायात शुरू
क्या है खबर?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बातचीत के बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने नोएडा-दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर को खोल दिया है। ये रास्ता 12 दिन से बंद था और कल रात इसे खोल दिया गया।
किसान संगठनों का कहना है कि राजनाथ सिंह ने उनसे उनकी मांगों पर सक्रिय तरीके से विचार करने का वादा किया है, जिसके बाद उन्होंने इस बॉर्डर को खोल दिया है। रास्ते से सामान्य आवागमन शुरू हो गया है।
मांगें
किसानों ने सरकार के सामने रखीं 18 मांगें
उत्तर प्रदेश के नोएडा को दिल्ली से जोड़ने वाले चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने शनिवार को राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात करते हुए उनके सामने अपनी 18 मांगें रखी थीं।
बैठक में राजनाथ के उनकी मांगों पर विचार करने का वादा करने के बाद किसान चिल्ला बॉर्डर को खोलने के लिए राजी हो गए और रात 11 बजे नोएडा से दिल्ली जाने वाले रास्ते को पूरी तरह से खोल दिया गया।
बयान
BKU अध्यक्ष बोले- 10-15 दिन में जबाव देगी सरकार
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए भारतीय किसान संघ (BKU) के अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह ने कहा, "उन्होंने हमारी मांगें लीं और कहा कि इसमें ऐसा कुछ नहीं है जिसे संभाला नहीं जा सकता। हालांकि उन्होंने कहा कि इनके लिए प्रधानमंत्री से मंजूरी लेनी होगी।"
उन्होंने आगे कहा, "उन्होंने हमसे रास्ते को खाली करने को कहा और 10-15 दिन में फोन करने की बात कही। इसलिए हमने रास्ता खोलने का फैसला लिया है।"
जानकारी
BKU का एक धड़ा प्रदर्शन को जारी रखने के पक्ष में
इस बातचीत से जहां ज्यादातर किसान संतुष्ट हैं, वहीं BKU का एक धड़ा प्रदर्शन को जारी रखने के पक्ष में है। BKU जिला प्रमुख राजीव नागर ने बताया कि रविवार को किसानों की एक महापंचायत होगी जिसमें आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा।
आंदोलन तेज
आज से आंदोलन को तेज करने वाले हैं किसान
बता दें कि किसान आज से ही अपने आंदोलन को तेज करने वाले हैं। आज राजस्थान बॉर्डर से हजारों किसान ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और दिल्ली-जयपुर हाइवे को बंद करेंगे।
इसके बाद 14 दिसंबर को आंदोलन को देशव्यापी रूप दिया जाएगा। इस दिन देश के सभी जिलों में जिलाधिकारियों के कार्यालयों के सामने विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और किसानों के प्रतिनिधि सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक अनशन पर बैठेंगे।
पृष्ठभूमि
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
गतिरोध
अब तक असफल रही है किसानों और सरकार के बीच की बातचीत
इन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले कई महीने से सड़कों पर हैं और 25 नवंबर से दिल्ली के आसपास डटे हुए हैं। किसानों और सरकार के बीच पांच दौर की बैठक भी हो चुकी है, हालांकि इनमें समाधान का कोई रास्ता नहीं निकला है।
सरकार ने किसानों को कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है, हालांकि किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और वे कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।