किसान आंदोलन: 14 दिसंबर को भूख हड़ताल पर बैठेंगे किसान नेता, कल जाम करेंगे दिल्ली-जयपुर हाईवे
क्या है खबर?
नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन अब तेज होता नजर आ रहा है।
सरकार की ओर से कानूनों को वापस लेने की मांग को खारिज करने के बाद अब किसान नेताओं ने पूरे देश में आंदोलन करने की तैयारी कर ली है।
इसके तहत सभी किसान यूनियनों के नेता रविवार को सिंघु बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर बैठेंगे। इसके अलावा राजस्थान के हजारों किसान ट्रैक्टर रैली के साथ दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम करेंगे।
मुद्दा
क्या है किसानों के विरोध का कारण?
सितंबर में लागू किए गए कृषि कानूनों को लेकर पिछले कई महीनों से विरोध कर रहे किसानों ने गत 25 नवंबर से अपने आंदोलन को तेज कर दिया। उन्होंने सरकार के खिलाफ 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया था।
किसानों को डर है कि APMC मंडियों के बाहर व्यापार की अनुमति देने वाले कानून मंडियों को कमजोर कर देंगे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिलेगा। इसके चलते कॉरपोरेट जगह के लोग किसानों का शोषण करेंगे।
प्रस्ताव
किसानों ने बुधवार को खारिज कर दिया था सरकार का प्रस्ताव
सरकार ने बुधवार को किसानों को 20 पन्नों का प्रस्ताव भेजा था। इसमें MSP व्यवस्था जारी रखने, APMC एक्ट में बदलाव करने तथा कृषि भूमि की कुर्की के संबंध विचार करने की बात कही थी।
इसके बाद शाम को हुई किसान नेताओं की बैठक में इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था।
किसानों ने कहा था कि कानूनों को वापस लेने तक आंदोलन जारी रहेगा। किसानों ने 14 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन करने का भी ऐलान किया था।
अपील
केंद्रीय कृषि मंत्री की थी प्रस्ताव स्वीकार करने की अपील
मामले में गुरुवार को कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों से प्रस्ताव स्वीकार करने की अपील करते हुए कहा सरकार किसानों के साथ खुले दिमाग से चर्चा के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों से उन प्रावधानों पर बात करने के लिए तैयार हैं, जिन पर उन्हें आपत्ति है।
इसके बाद किसानों ने जवाब देते हुए कहा कि यदि सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो पूरे देश में रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया जाएगा।
जानकारी
किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
इसके बाद किसानों ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर का नए कानूनों को अवैध और मनमाना करार देते हुए उन्हें निरस्त करने का आदेश देने की मांग की। किसानों ने कहा कि इन कानूनों से कॉरपोरेट व्यापारी उनका जमकर शोषण करेंगे।
सुरक्षा
किसानों की हाईवे जाम करने की चेतावनी के बाद तैनात किया भारी पुलिस बल
किसानों की दिल्ली-जयपुर हाईवे जाम करने की चेतावनी पर सरकार ने 1,000 पुलिसकर्मी दिल्ली-गुड़गांव सीमा और 3,500 पुलिसकर्मी फरीदाबाद सीमा पर तैनात कर दिए। पुलिसकर्मियों ने वहां किसानों को नहीं आने दिया।
इसके अलावा केंद्रिय गृह मंत्री अमित शाह ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर दिल्ली में किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने के संबंध में सभी उपायों पर चर्चा की। खूफिया एजेंसियों ने सरकार को आंदोलन में कट्टरपंथी समूहों के शामिल होने की रिपोर्ट दी है।
निर्णय
किसान नेताओं ने 14 दिसंबर को भूख हड़ताल पर बैठने का किया निर्णय
संयुक्त किसान आंदोलन समिति के नेता कमलप्रीत सिंह पन्नू ने कहा, "14 दिसंबर को सभी किसान नेता सिंघू बॉर्डर पर सामूहिक रूप से भूख हड़ताल पर बैठेंगे। यदि सरकार बातचीत करना चाहती है तो वह तैयार है, लेकिन वह सबसे पहले कानूनों को वापस लेने पर चर्चा करेंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "सरकार हमारे आंदोलन को विफल करना चाहती है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। किसानों ने कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की कसम खाई है।"
मार्च
रविवार को दिल्ली-जयपुर हाईवे जाम करेंगे किसान- पन्नू
किसान नेता पन्नू ने कहा, "रविवार को राजस्थान के किसानों द्वारा ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। इसके साथ ही दिल्ली-जयपुर हाईवे को भी जाम किया जाएगा। मार्च सुबह 11 बजे राजस्थान के शाहजहांपुर से शुरू होगा और दिल्ली-जयपुर सीमा पर पहुंचेगा और फिर उसे जाम किया जाएगा।"
उन्होंने कहा, "किसान सोमवार को सभी जिला मुख्यालयों पर राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे और सुबह 8 से शाम 5 बजे तक भूख हड़ताल पर बैठेंगे। इसी पूरी तैयारी हो चुकी है।"
जानकारी
प्रधानमंत्री की अपील को किया नामंजूर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि कृषि कानूनों का उद्देश्य किसानों की मदद करना है। इनसे निवेश बढ़ेगा और किसानों का बड़ा लाभ मिलेगा। ऐसे में किसानों को आंदोलन का रूख नहीं करना चाहिए, लेकिन किसानों ने उनकी अपील ठुकरा दी है।"
बैठक
केंद्रीय कृषि मंत्री ने हरियाणा के किसान नेताओं के साथ की बैठक
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में हरियाणा के किसान नेताओं के साथ बैठक की।
उन्होंने किसान नेताओं को कृषि कानूनों से होने वाले फायदों के बारे में बताया, लेकिन किसान नेता कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े रहे।
इसके बाद सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक में किसान नेताओं ने भूख हड़ताल पर बैठने का निर्णय कर लिया। इससे सरकार की परेशानी बढ़ती दिख रही है।