किसानों के समर्थन में आए ट्रांसपोर्टर, मांगें न माने जाने पर दी चक्का जाम की चेतावनी

तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को अब ट्रांसपोर्टरों का भी समर्थन मिल गया है। ट्रांसपोर्टरों की एक शीर्ष संस्था ने धमकी दी है कि अगर किसानों की मांग नहीं मानी गई तो वो पहले उत्तर भारत और फिर पूरे देश में आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई रोक देंगे। इसी कड़ी में ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने किसानों के समर्थन में 8 दिसंबर को हड़ताल का आह्वान किया है।
AIMTC के प्रमुख कुलतरण सिंह अटवाल ने कहा, "8 दिसंबर से हम उत्तर भारत में अपना संचालन बंद कर देंगे। साथ ही दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर आदि जगहों पर हमारे ट्रक नहीं जाएंगे। इसके बाद भी अगर सरकार प्रदर्शनकारी किसानों की मांग नहीं मानती है तो हमने फैसला किया है कि हम पूरे देश में चक्का जाम करेंगे और हमारे ट्रकों को रोक देंगे।" बता दें, AIMTC से लाखों ट्रक जुड़े हुए हैं।
AIMTC की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ट्रांसपोर्टर लगातार किसान आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। किसान अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं। रोड ट्रांसपोर्ट सेक्टर की तरह कृषि भी देश की रीढ़ और जीवनरेखा है। 70 प्रतिशत ग्रामीण परिवार कृषि पर निर्भर है। बयान में आगे कहा गया है कि 65 प्रतिशत ट्रकों में कृषि उत्पाद या उनसे जुड़ा सामान होता है। किसान अपनी लड़ाई अकेले लड़ रहे हैं। अब ट्रांसपोर्टर उनके साथ हैं।
AIMTC ने बयान में कहा है कि अगर सरकार किसानों की परेशानी को दूर करने के लिए कदम नहीं उठाती है तो आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।
दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों को अलग-अलग संगठनों का साथ मिल रहा है। इससे पहले 26 नवंबर को 10 ट्रेड यूनियनों ने भारत बंद किया था। इन यूनियनों के कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों के साथ-साथ किसानों के मुद्दे भी सरकार के सामने रखे थे। इनके अलावा हरियाणा की खाप पंचायतें भी किसानों के समर्थन में दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले बैठी हुई है। कई अन्य संगठन भी किसानों के समर्थन में डटे हुए हैं।
दूसरी तरफ मंगलवार को कृषि कानूनों सहित अन्य मांगों को लेकर किसानों के 35 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल और सरकार के बीच हुई वार्ता बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। इससे सरकार और किसानों के बीच अभी भी गतिरोध बना हुआ है। सरकार ने किसानों को मामले को सुलझाने के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसान नेताओं ने उसे ठुकरा दिया। अब गुरुवार को अगले दौर की वार्ता होगी।
किसान संगठनों की मांग है कि सरकार नए कृषि कानूनों को निरस्त कर दें। यदि सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो उनका आंदोलन लंबा चलेगा। उन्होंने आंदोलन को लेकर दो महीने की योजना भी तैयार कर रखी है। इसी तरह किसानों ने सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी पर लिखित आश्वासन भी मांगा है। किसानों ने रविवार को दिल्ली में पांच प्रवेश बिंदुओं सोनीपत, रोहतक, जयपुर, गाजियाबाद हापुड़ और मथुरा को रोकने की चेतावनी दी थी।
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।