अमेरिका: खालिस्तानियों ने किया महात्मा गांधी की प्रतिमा का अपमान, लगाए भारत विरोधी नारे
क्या है खबर?
खालिस्तानी अलगाववादियों ने शनिवार को अमेरिका में भारतीय दूतावास के सामने लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा को निशाना बनाया और इसे अपने झंडे से ढक दिया। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को विरोध कर रहे किसानों के समर्थक में उन्होंने ये कदम उठाया।
कई खालिस्तान समर्थक पोस्टर्स और बैनरों के साथ भी नजर आए जिन पर 'खालिस्तान गणराज्य' आदि लिखा हुआ था।
भारतीय दूतावास ने बयान जारी कर घटना की कड़ी निंदा की है।
मामला
क्या है पूरा मामला?
अमेरिका में शनिवार को वाशिंगटन डीसी, मैरीलैंड, वर्जीनिया, न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी, पेंसिल्वेनिया, इंडियाना, ओहायो और नॉर्थ कैरोलाइना आदि राज्यों से आए सिखों ने भारतीय किसानों के समर्थन में वॉशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास तक कार रैली निकाली थी।
इसी दौरान भारत विरोध नारे लिखे हुए पोस्टर्स-बैनर और खालिस्तानी झंडे लेकर कुछ सिख वहां आ गए। इन लोगों ने यहां भारत के विरोध और खालिस्तान के समर्थन में जमकर नारेबाजी की और महात्मा गांधी की प्रतिमा को झंडे से ढक दिया।
बयान
भारतीय दूतावास ने अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष उठाया मुद्दा
भारतीय दूतावास ने मामले पर बयान जारी कर कड़ी आपत्ति जताई है।
दूतावास ने कहा, "शांति और न्याय के सार्वभौमिक रूप से सम्मानित प्रतीक के खिलाफ प्रदर्शनकारियों के रूप में घूम रहे गुंडों के इस दुष्ट कृत्य की हम कड़ी निंदा करते हैं। अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष इस संबंध में कड़ा विरोध दर्ज कराया है और अपराधियों के खिलाफ जांच और कानून के तहत कार्रवाई के लिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के सामने भी यह मामला उठाया है।"
मीडिया रिपोर्ट्स
किसानों के प्रदर्शन में खालिस्तानियों की "घुसपैठ" की रिपोर्ट
बता दें कि भारत में किसानों के प्रदर्शन के दौरान भी खालिस्तानी अलगाववादियों के इसमें "घुसपैठ" करने की रिपोर्ट्स आई हैं और कुछ जगह खालिस्तानियों के पोस्टर्स भी देखे गए हैं।
हालांकि अभी तक किसी बड़ी साजिश को साबित करने वाला कोई सबूत सामने नहीं आया है। किसान भी ऐसे तत्वों से खुद को दूर कर चुके हैं और उन्होंने सरकार से ऐसे अलगाववादियों की पहचान कर उन्हें तुरंत जेल में डालने को कहा है।
पृष्ठभूमि
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
गतिरोध
अब तक असफल रही है किसानों और सरकार के बीच की बातचीत
इन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले कई महीने से सड़कों पर हैं और 25 नवंबर से दिल्ली के आसपास डटे हुए हैं। किसानों और सरकार के बीच पांच दौर की बैठक भी हो चुकी है, हालांकि इनमें समाधान का कोई रास्ता नहीं निकला है।
सरकार ने किसानों को कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है, हालांकि किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और वे कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।