मालेगांव धमाकेः साध्वी प्रज्ञा की याचिका खारिज, अदालत ने सुनवाई के दौरान पेश होने को कहा
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने भोपाल से नव-निर्वाचित भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को सुनवाई के दौरान पेश होने को कहा है। मालेगांव बम धमाकों में आरोपी प्रज्ञा सिंह ने अदालत से 3 जून से लेकर 7 जून तक पेशी से अनुपस्थित रहने की अनुमति मांगी थी। प्रज्ञा ने कहा था कि वह इस दौरान संसद की कार्रवाई में व्यस्त रहेंगी। अदालत ने उनकी यह याचिका खारिज करते उन्हें पेश होने को कहा है।
भोपाल से सांसद चुनी गई हैं प्रज्ञा
प्रज्ञा सिंह भोपाल से सांसद चुनी गई हैं। लोकसभा चुनावों में उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मात दी थी। प्रज्ञा ने लोकसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था। भाजपा द्वारा उनको टिकट दिए जाने पर काफी विरोध भी हुआ था, जिसके जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित ने प्रज्ञा की उम्मीदवारी का बचाव किया था।
साजिश रचने वाली कई बैठकों में शामिल हुई प्रज्ञा सिंह
मालेगांव में 2008 में हुए धमाके के लिए जनवरी 2008 से अलग-अलग शहरों में कई बैठकें हुई थीं। इन्हीं में एक बैठक में साध्वी ने कथित तौर पर इस हमले को अंजाम देने वाले व्यक्ति को खोजने का जिम्मा लिया था। मामले की चार्जशीट में बताया गया कि इन लोगों के नाम सुनील जोशी, रामचंद्रा कालसंगरा और संदीप डांगे था। इनमें से प्रज्ञा, जोशी और कालसंगरा के करीब थी और इन्हें धमाका करने के लिए अपनी मोटरसाइकिल दी थी।
बम विस्फोट में छह लोगों की हुई थी मौत
29 सितम्बर, 2008 को मालेगांव में हुए बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। एक मोटरसाइकिल पर विस्फोट बांधकर इस धमाके को अंजाम दिया गया था। यह मोटरसाइकिल प्रज्ञा के नाम रजिस्टर्ड थी।
अदालत ने नहीं मानी NIA की बरी करने की दलील
इस चार्जशीट के बाद NIA की विशेष अदालत ने प्रज्ञा सिंह को जमानत दे दी थी। हालांकि, अदालत ने उन्हें बरी करने की NIA की दलील नहीं मानी और कहा कि प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत मामला चलेगा। फिलहाल इस मामले में प्रज्ञा जमानत पर बाहर हैं। उन पर अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत मुकदमा चल रहा है। चुनावों में इसे लेकर उन पर खूब निशाने साधे गए थे।
मध्य प्रदेश सरकार दोबारा खोलेगी सुनील जोशी हत्याकांड का मामला
मध्य प्रदेश सरकार प्रज्ञा के खिलाफ हत्या के एक पुराने मामले को दोबारा खोलने पर विचार कर रही है। पूर्व RSS प्रचारक सुनील जोशी की 29 दिसंबर, 2007 को देवास में गोली मारकर हत्या कर दी थी। राजस्थान से गिरफ्तार एक शख्स ने पुलिस को प्रज्ञा और अन्य 7 आरोपियों तक पहुंचाया। इन पर हत्या का मामला चला। 2017 में अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया, जिसके बाद मामले को बंद कर दिया गया।
उच्च न्यायालय में अपील करेगी कांग्रेस सरकार
अब राज्य सरकार मामले की फाइल फिर से खोलने पर विचार कर रही है। राज्य के कानून मंत्री पीसी शर्मा ने चुनावों से पहले कहा था कि उनकी सरकार जोशी की हत्या के मामले को फिर से खोलने पर कानूनी सलाह ले रही है। कानूनी सलाह लेने के बाद राज्य सरकार मामले को दोबारा खोलने के लिए उच्च न्यायालय में अपील करेगी। उन्होंने बताया कि देवास के जिलाधिकारी को मामले पर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
इन बयानों के कारण चर्चा में रही प्रज्ञा
प्रज्ञा ने पहले मुंबई हमलों के शहीद हेमंत करकरे पर विवादित बयान दिया, फिर महात्मा गांधी की हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था। बाद में उन्होंने दोनों बयानों पर माफी मांग ली थी।