लोकसभा चुनाव: प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी ने कहां और क्यों की सबसे अधिक रैलियां, समझें
क्या है खबर?
शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के सातवें और आखिरी चरण का चुनाव प्रचार थम गया।
इसी के साथ कई महीनों से चला आ रहा दिग्गज नेताओं की रैलियों का दौर समाप्त हो गया।
किस नेता ने कहां कितनी रैलियां की, इससे उसकी रणनीति को समझने में बहुत मदद मिलती है।
आज हम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहां कितनी रैलियां की, इसके जरिए उनकी रणनीति को समझने की कोशिश करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी
मोदी ने उत्तर प्रदेश में की सबसे अधिक रैलियां
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कुल 144 रैलियां और रोड शो किए, जिसमें से सबसे अधिक 36 उत्तर प्रदेश में की।
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगियों ने राज्य की 80 में से 73 सीटों पर कब्जा जमाया था।
अकेले दम पर बहुमत हासिल करने में भाजपा का उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन बेहद अहम रहा था।
यही कारण है कि इस बार भी उन्होंने यहां प्रति 2.3 सीट पर एक रैली की।
अन्य राज्य
पश्चिम बंगाल और ओडिशा पर रहा खास ध्यान
उत्तर प्रदेश के बाद जिन दो राज्यों पर मोदी का सबसे ध्यान रहा, वो थे पश्चिम बंगाल और ओडिशा।
बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी लड़ाई देखने को मिली।
भाजपा का माहौल बनाने के लिए मोदी ने राज्य की 42 सीटों पर प्रति 2.5 सीट एक रैली के हिसाब से 17 रैलियां कीं।
वहीं, नवीन पटनायक के ओडिशा की 20 सीटों पर उन्होंने प्रति 2.6 सीट एक रैली के हिसाब से 8 रैलियां कीं।
डाटा
तीन राज्यों में 40 प्रतिशत रैलियां
अगर अन्य राज्यों से तुलना करें तो मोदी ने अपनी 144 रैलियों की 40 प्रतिशत 58 रैलियां इन तीन राज्यों में कीं। इन तीनों राज्यों में मिलाकर कुल 143 सीटें हैं, जो भाजपा के लिए बेहद अहम हैं।
रणनीति
क्या है मोदी और भाजपा की रणनीति?
अगर इन रैलियों और आंकड़ों के हिसाब से मोदी और भाजपा की रणनीति समझने की कोशिश करें तो पहली बात ये सामने आती है कि पार्टी उत्तर प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा सीट जीतकर अपने 2014 के प्रदर्शन को दोहराना चाहती है।
वहीं, उत्तर प्रदेश में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई के लिए वह पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
अभी उसके पास बंगाल में 2 और ओडिशा में एक सीट है।
राहुल गांधी
राहुल ने की कुल 125 रैलियां
वहीं, राहुल गांधी ने पूरे लोकसभा चुनाव में कुल 125 रैलियां की।
इस दौरान उन्होंने भी मोदी की तरह सबसे अधिक रैलियां उत्तर प्रदेश में ही कीं।
राहुल ने राज्य में प्रति 4.5 सीट पर एक रैली के हिसाब से कुल 18 रैलियां कीं।
यूपी, खासकर पूर्वांचल में अच्छा प्रदर्शन राहुल और उनकी बहन प्रियंका गांधी की प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है।
जब भी कांग्रेस ने राज्य में अच्छा प्रदर्शन किया है, पूर्वांचल का उसमें अहम योगदान रहा है।
अन्य राज्य
राजस्थान और मध्य प्रदेश पर खासा ध्यान
उत्तर प्रदेश के अलावा राहुल ने राजस्थान और मध्य प्रदेश पर भी खासा ध्यान दिया।
पिछले साल कांग्रेस ने दोनों राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराकर अपनी सरकार बनाई थी और इसी कारण राहुल को यहां से बहुत उम्मीदे हैं।
राहुल ने राजस्थान की 25 सीटों पर प्रति 2.08 सीट पर एक रैली के हिसाब से कुल 12 रैलियां की। वहीं, मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर उन्होंने कुल 10 रैलियां कीं।
डाटा
दोनों राज्यों में मिलाकर कांग्रेस के पास 3 सीटें
अभी कांग्रेस के पास राजस्थान की एक और मध्य प्रदेश की 2 लोकसभा सीटे हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव में उसकी जीत ने उसकी उम्मीदें बढ़ाई हैं और सबको उम्मीद है कि दोनों राज्यों में इस बार कांग्रेस की सीटों का आंकड़ा बढ़ेगा।
सबसे अधिक औसत से रैलियां
दक्षिण में केरल पर निगाहें
प्रियंका को राजनीतिक मैदान में उतारने के बाद राहुल का केरल की वायनाड सीट से लड़ना, उनका दूसरा सबसे बड़ा अप्रत्याशित फैसला रहा है।
केरल में कुल 20 सीटें हैं, जिन पर राहुल ने प्रति 1.66 सीट एक रैली के हिसाब से कुल 12 रैलियां कीं।
रैलियों का औसत बताता है कि केरल राहुल के लिए कितना अहम है।
इसी कारण उन्होंने यहां की वायनाड सीट पर लड़कर केरल के साथ पूरे दक्षिण भारत को साधने की कोशिश की है।
रणनीति
क्या है राहुल गांधी का रणनीति?
राहुल ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान यह भी कहा था कि दक्षिण भारत को प्रधानमंत्री मोदी से दुश्मन की भावना आती है और उन्हें यह भरोसा देने के लिए कि वह उनके साथ हैं, वह वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं।
इसे भारतीय राजनीति में दक्षिण और उत्तर के 'टकराव' को भुनाने के प्रयास के तौर पर देखा गया था।
बता दें कि अभी केरल की 20 सीटों में से 7 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।