झोपड़ी में रहते हैं ये भाजपा विधायक, घर बनाने के लिए लोग जमा कर रहे चंदा
राजनेता सुनते ही भारत के लोगों के मन में पैसे वाले और बाहुबली व्यक्ति की तस्वीर उभरती है। अगर हम कहे कि इसी देश में एक ऐसा विधायक भी है जो झोपड़ी में रहता है तो शायद आप यकीन न करें। लेकिन यह सच है। मध्य प्रदेश के विधायक सीताराम आदिवासी के पास पक्का घर नहीं है और वह एक झोपड़ी में रहते हैं। अब इलाके के लोग उनके लिए घर बनाने के लिए पैसे इकट्ठे कर रहे हैं।
सीताराम को पहली तनख्वाह का इंतजार
55 वर्षीय सीताराम अपनी पत्नी के साथ श्योपुर जिले में एक झोपड़ी में रहते हैं। पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर लड़ते हुए जिले की विजयपुर सीट से कांग्रेस के धुरंधर रामनिवास रावत को हराया था। सीताराम अभी भी अपनी पहली तनख्वाह का इंतजार कर रहे हैं। राज्य अधिकारियों के अनुसार, मध्य प्रदेश में एक विधायक को तनख्वाह के तौर पर कुल Rs. 1 लाख 10 हज़ार मिलते हैं।
गरीबों के कल्याण के लिए करेंगे पहली तनख्वाह का इस्तेमाल
लोगों के व्यवहार से खुश विधायक का कहना है कि जब उसे पहली तनख्वाह मिलेगी तो वह उसका इस्तेमाल इलाके में गरीबों के कल्याण के लिए करेंगे। उनकी पत्नी के अनुसार वह लोगों के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, इसलिए लोग उनसे प्यार करते हैं।
विधायक के झोपड़ी में रहने पर शर्म महसूस करते हैं लोग
इलाके के लोग इस बात पर शर्म महसूस करते हैं कि उनका विधायक एक झोपड़ी में रहता है। इसलिए लोग सीताराम के लिए दो कमरों का घर बनाने के लिए पैसा दान कर रहे हैं। लोगों के अनुसार, मुश्किल समय में सीताराम उनके साथ बिना किसी शर्त के खड़े रहते हैं और इसलिए वह उनके लिए घर बना रहे हैं। उनके मुद्दों के लिए लड़ने और भले के लिए सोचने के लिए लोग सीताराम का धन्यवाद करते हैं।
लोगों के व्यवहार से खुश हैं सीताराम
सीताराम का कहना है कि, "मेरे लिए घर बनाने के लिए लोग 100 से लेकर 1,000 रुपए तक दान कर रहे हैं। जब मैं जीता था तो लोगों ने मुझे सिक्कों से तौला था। वह पैसा भी मेरे लिए घर बनाने के लिए इस्तेमाल होगा।"
पहले भी 3 बार लड़ चुके हैं विधानसभा चुनाव
चुनावी शपथ पत्र के अनुसार, सीताराम के पास कुल 46,733 रुपए हैं। इसके अलावा उनके पास 600 वर्गफुट जमीन है जिस पर झोपड़ी बनी हुई है। उनके नाम 2 एकड़ का एक और प्लॉट भी है। इनकी कीमत लगभग 5 लाख है। सीताराम पहले भी 3 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था।