भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा किन मामलों में हैं आरोपी और किन मामलों से हुईं बरी, जानिये
भारतीय जनता पार्टी ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल से अपना उम्मीदवार बनाया है। प्रज्ञा पर आतंकी घटनाओं में शामिल रहने के आरोप हैं। उन्हें टिकट मिलने की खबर आते ही सोशल मीडिया पर इसका विरोध होने लगा। यह पहली बार है जब किसी बड़ी पार्टी ने आतंक फैलाने के किसी आरोपी को चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है। प्रज्ञा पर मुंबई की अदालत में UAPA कानून के तहत मुकदमा चल रहा है और वो जमानत पर बाहर हैं।
असीमानंद का मजिस्ट्रेट के सामने कबूलनामा
दिसंबर, 2010 में CBI ने नबा कुमार सरकार, जिन्हें असीमानंद के नाम से भी जाना जाता है, को गिरफ्तार किया। असीमानंद ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया कि 2006 और 2008 के मालेगांव धमाके कट्टर हिंदूवादी संगठनों द्वारा 'जिहादी आतंकवादियों से बदला' लेने के लिए कराए गए थे। असीमानंद ने कहा कि मुसलमानों को निशाना बनाने की योजना RSS के पूर्व प्रचारक सुनील जोशी ने रची थी और समझौता एक्सप्रेस, अजमेर दरगाह धमाके के पीछे संगठन का ही हाथ था।
NIA को सौंपी गई मामले की जांच
साल 2011 की शुरुआत में तत्कालीन UPA सरकार ने मालेगांव 2006, मालेगांव 2008, मक्का मस्जिद और अजमेर दरगाह धमाके की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी। NIA 2010 से ही समझौता एक्सप्रेस धमाके की जांच कर रही थी।
मालेगांव धमाके की चार्जशीट में आया साध्वी का नाम
साध्वी प्रज्ञा को अक्तूबर, 2008 में गिरफ्तार किया गया। साध्वी का नाम कई बार साजिशकर्ताओं के तौर पर सामने आया था, लेकिन उनका नाम केवल मालेगांव 2008 मामले की चार्जशीट में शामिल किया गया। इस धमाके में साध्वी की मोटरसाइकिल का इस्तेमाल किया गया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चार्जशीट में लिखा गया कि साध्वी मुस्लिम-बहुल इलाकों को निशाना बनाने की योजना बनाने वाली कई बैठकों में शामिल हुई थीं।
साजिश रचने वाली कई बैठकों में शामिल हुई प्रज्ञा सिंह
मालेगांव में 2008 में हुए धमाके के लिए जनवरी 2008 से अलग-अलग शहरों में कई बैठकें हुई थीं। इन्हीं में एक बैठक में साध्वी ने कथित तौर पर इस हमले को अंजाम देने वाले व्यक्ति को खोजने का जिम्मा लिया था। चार्जशीट में कहा बताया गया कि इन लोगों के नाम सुनील जोशी, रामचंद्रा कालसंगरा और संदीप डांगे था। इनमें से प्रज्ञा सिंह, जोशी और कालसंगरा के करीब थी और इन्हें धमाका करने के लिए अपनी मोटरसाइकिल दी थी।
बम विस्फोट में छह लोगों की हुई थी मौत
29 सितम्बर, 2008 को मालेगांव में हुए बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। एक मोटरसाइकिल पर विस्फोट बांधकर इस धमाके को अंजाम दिया गया था। यह मोटरसाइकिल प्रज्ञा के नाम रजिस्टर्ड थी।
कोर्ट ने नहीं मानी NIA की बरी करने की दलील
इस चार्जशीट के बाद NIA की विशेष अदालत ने प्रज्ञा सिंह को जमानत दे दी। कोर्ट ने उन्हें बरी करने की NIA की दलील नहीं मानी और कहा कि प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत मामला चलेगा। अक्तूबर, 2018 में प्रज्ञा और छह अन्य के खिलाफ UAPA के सेक्शन 16, 18, और IPC के तहत हत्या, आपराधिक साजिश रचने और दो समुदायों के बीच द्वेष फैलाने के मामले दर्ज किए।
सुनील जोशी हत्याकांड और अजमेर दरगाह ब्लास्ट मामला
प्रज्ञा सिंह का नाम अजमेर दरगाह धमाके मामले में भी आया था, लेकिन उन पर आरोप सिद्ध नहीं हो सके। 2017 में NIA ने प्रज्ञा सिंह, RSS नेता इंद्रेश कुमार और दो अन्य के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट फाइल की। प्रज्ञा सिंह पर दिसंबर, 2007 में RSS प्रचारक सुनील जोशी की हत्या में शामिल होने के आरोप लगे। बाद में यह मामला देवास अदालत में चला गया, जहां से मामले के सभी आरोपी बरी हो गए।