लगातार दूसरे साल सबसे प्रदूषित राजधानी बनी दिल्ली, हर देश में बढ़ा प्रदूषण- रिपोर्ट
दिल्ली लगातार दूसरे साल दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी बनी है। हवा की गुणवत्ता पर नजर रखने वाली कंपनी IQAir की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। दिल्ली के बाद ढाका (बांग्लादेश), न्दजमेना (चाड), दुशांबे (ताजिकिस्तान) और मस्कट (ओमान) सबसे प्रदूषित राजधानियां हैं। रिपोर्ट यह भी कहती है कि पिछले साल दुनिया के हर देश और 97 फीसदी शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के तय मानकों से ऊपर पहुंच गया है।
दिल्ली की हवा में 14 प्रतिशत बढ़ी PM2.5 की मात्रा
इस रिपोर्ट में दुनियाभर के 6,475 शहरों की हवा में PM2.5 की मात्रा का विश्लेषण किया गया था। इसमें पता चला कि 2020 की तुलना में दिल्ली की हवा में पिछले साल PM2.5 की मात्रा 14.6 प्रतिशत बढ़ी है। वहीं भारत के लगभग 48 प्रतिशत शहरों की हवा में PM2.5 की मात्रा 50 Ig/m3 से पार पहुंच गई है, जो WHO द्वारा तय मानकों से 10 गुना अधिक है। यह WHO के नए मानकों पर आधारित पहली बड़ी रिपोर्ट है।
सबसे छोटा और सबसे खतरनाक प्रदूषक तत्व होता है PM2.5
PM2.5 को सबसे खतरनाक प्रदूषक माना जाता है तो और दुनियाभर में हवा में इसकी मात्रा पर नजर रखी जाती है। इसकी मौजूदगी वाली हवा में सांस लेने से अस्थमा, दिल और फेफड़ों की बीमारियां होती हैं। हर साल इसके कारण लाखों अस्वाभाविक मौतें होती हैं। चिंतित करने वाली बात यह है कि पिछले साल किसी भी देश की हवा में इसका स्तर WHO की तरफ से तय किए मानकों पर संतोषजनक नहीं था।
93 देशों में PM2.5 का स्तर 10 गुना अधिक
दुनिया के करीब 93 ऐसे देश हैं, जहां की हवा में पिछले साल PM2.5 मात्रा तय मानदंड से 10 गुना अधिक थी। केवल 12 प्रतिशत लैटिन अमेरिका और कैरीबियाई शहरों, 0.2 एशियाई और 3 प्रतिशत यूरोपी शहरों की हवा में PM2.5 का स्तर तय मानकों के अनुरूप पाया गया। IQAir के प्रमुख ने कहा कि यह चिंता की बात है कि किसी भी देश में स्वच्छ हवा नहीं है। यह दिखाता है कि अभी कितना काम किया जाना बाकी है।
भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश सबसे ज्यादा प्रदूषित देश
भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश उन देशों में शामिल है, जहां सबसे ज्यादा प्रदूषण है और इसका स्तर WHO के तय मानकों से 10 गुना अधिक है। वहीं ऑस्ट्रेलिया, जापान, कनाडा और इंग्लैंड आदि उन देशों में शामिल है, जहां की हवा सबसे साफ है। यहां की हवा में प्रदूषण की मात्रा तय मानकों से एक या दो गुना अधिक है। अगर अमेरिका की बात करें तो यह तय मानकों से दो से तीन गुना अधिक प्रदूषण है।