दिल्ली: प्रदूषण के कारण बढ़े कोरोना के मामले, 10 दिन में नियंत्रण में होगी स्थिति- केजरीवाल
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इस समय कोरोना महामारी की तीसरी लहर से जूझ रही है। यहां प्रतिदिन रिकॉर्ड मामले और मौतें भी हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट ने भी राज्य में बिगड़ती स्थिति को लेकर चिंता चुका है और सरकार को ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसी बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि राज्य में प्रदूषण के कारण स्थिति बिगड़ी है और आगामी 10 दिन में इसे नियंत्रित कर लिया जाएगा।
दिल्ली में वर्तमान में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
महामारी की तीसरी लहर का सामना कर रही दिल्ली में बीते दिन रिकॉर्ड मौतें हुई हैं। दिल्ली सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार को दिल्ली में 7,053 नए संक्रमित मिले और 104 लोगों की इस वायरस के कारण मौत हुई हैं। ये एक दिन में हुई सबसे ज्यादा मौतें हैं। इससे पहले 16 जून को 93 मौतें हुई थीं। दिल्ली में अब तक कुल 4,67,028 मामले सामने आए हैं। इनमें से 7,332 की मौत हो चुकी है।
मुख्यमंत्री ने बढ़ते संक्रमण के लिए प्रदूषण को ठहराया जिम्मेदार
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों की एक बड़ी वजह प्रदूषण है। पड़ोसी राज्यों में पराली जलने की वजह से पूरे उत्तर भारत में प्रदूषण फैल रहा है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से पूरे एक महीने तक पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में धुआं ही धुआं होता है। पिछले 10-12 साल से हर साल अक्टूबर और नवंबर में उत्तर भारत की यही स्थिति रहती है।
दिल्ली में 10 दिन में नियंत्रण में आ जाएगी स्थिति- केजरीवाल
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर उनकी सरकार चिंतित है और जो भी जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है, उसे उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह सरकार कई ठोस कदम उठाएगी, जिसकी चर्चा जारी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी सात से 10 दिनों के अंदर दिल्ली में कोरोना संक्रमण से बिगड़ी स्थिति नियंत्रण में जा जाएगी और लोगों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
प्रदूषण के कारण इस तरह रहता है कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा
वायु प्रदूषण से कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा रहता है। साइंस एडवांस पत्रिका में प्रकाशित एक अमेरिकी अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। अमेरिका के 3,000 से ज्यादा काउंटी में किए गए विश्लेषण में हवा में सामने आया कि इस तरह के प्रदूषक कणों वाले माहौल में लंबे समय तक रहने से कोरोना से मौत होने का खतरा अधिक है। शोधकर्ताओं का मानना है कि फेफड़ों में ACE-2 रिसेप्टर की उत्पत्ति में PM2.5 की भूमिका हो सकती है।
पराली को जलाने से रोकने के लिए निकाला समाधान- केजरीवाल
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने लोगों को दिवाली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पराली की समस्या से किसान भी परेशान है, लेकिन अब ऐसा नही होगा। PUSA एग्रीकल्चर इन्स्टीट्यूट ने इसका समाधान निकाल लिया है। उन्होंने कहा कि वहां के वैज्ञानिकों ने ऐसा बायो डी कंपोजर बनाया है, जिसका घोल बनाकर छिड़कने से पराली 20 दिन में गल जाएगी और खेतों में खाद तैयार होगी। सरकार ने दिल्ली की 2,000 एकड़ कृषि भूमि पर इसका छिड़काव कराया है।
बायो डी कंपोजर के सामने आए परिणाम
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि 13 अक्टूबर को 24 गांवों में बायो डी कंपोजर का छिड़काव किया गया था। इसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं। इन गांवों में 20 दिन में 70-95 प्रतिशत पराली गल चुकी है। PUSA ने भी इसकी रिपोर्ट दी है। उन्होंने कहा कि पराली की समस्या का तो समाधान निकल गया है, लेकिन अब जिम्मेदारी सरकार की है। उन्होंने पूछा कि पड़ोसी राज्यों की सरकारें इसे लागू करेंगी या हर साल लोग प्रदूषण से जूझते रहेंगे?
केजरीवाल ने पड़ोसी राज्यों से की बायो डी कंपोजर के उपयोग की अपील
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सरकारों और सभी कोर्ट से हाथ जोड़कर बायो डी कंपोजर के इस्तेमाल को आवश्यक रूप से लागू कराने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस पर 30 रुपये प्रति एकड़ का ही खर्चा आता है।