सुप्रीम कोर्ट पर देश की निगाहें, नागरिकता कानून से जुड़ी याचिकाओं पर आज होगी सुनवाई
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून से जुड़ी 140 से ज्यादा याचिकाओं पर सुनवाई होगी।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय बेंच इनकी सुनवाई करेगी। इस बेंच में जस्टिस एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना शामिल हैं।
जिन याचिकाओं पर सुनवाई होगी, उनमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) और कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिकाएं भी शामिल हैं।
इनमें से कुछ याचिकाओं में नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने की मांग की गई है।
नागरिकता कानून
9 जनवरी को भी हुई थी सुनवाई
इससे पहले 9 जनवरी को भी सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता कानून को संवैधानिक घोषित करने की याचिका पर सुनवाई हुई थी। इस पर टिप्पणी करते हुए CJI एसए बोबड़े ने कहा कि देश कठिन दौर से गुजर रहा है और ऐसी याचिकाएं दायर कर हालात को और खराब नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा था कि ऐसे माहौल में शांति कायम रखना लक्ष्य होना चाहिए और ऐसी याचिकाएं इसमें मदद नहीं करतीं।
कानूनी चुनौती
याचिकाओं में क्या कहा गया है?
IUML ने याचिका में कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून समानता के अधिकार का हनन करता है और नागरिकता देने के लिए धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। लीग ने इस पर रोक लगाने की मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया नागरिकता कानून संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है।
जयराम रमेश ने भी अपनी याचिका में इस कानून को मूल अधिकारों पर हमला बताते हुए इसे विभाजनकारी बताया है।
नागरिकता कानून
कई नेताओं और संगठनों की याचिका पर होगी सुनवाई
नागरिकता कानून को संवैधानिकता को चुनौती देते हुए राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, हैदराबाद से सांसद असद्दुदीन ओवैसी आदि नेताओं समेत ऑल असम स्टूडेंट यूनियन, पीस पार्टी, CPI, रिहाई मंच, सिटीजन अंगेन्स्ट हेट आदि संगठनों और राजनीतिक पार्टियों सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है।
इन याचिका पर आज सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या फैसला देती है, इस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं।
कानून
क्या है नागरिकता कानून?
बता दें कि संसद ने पिछले महीने नागरिकता कानून को संसद से पारित किया था।
इस कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले इन समुदाय के लोगों को तुरंत नागरिकता दे दी जाएगी, वहीं उसके बाद या आगे आने वाले लोगों को 6 साल भारत में रहने के बाद नागरिकता मिलेगी।
विरोध की वजह
इन कारणों से हो रहा है विरोध
भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता और धर्म के आधार पर भेदभाव न करने की अवधारणा के खिलाफ पहली बार नागरिकता को धर्म से जोड़ने और मुस्लिम समुदाय के लोगों को इससे बाहर रखने इस कानून का विरोध हो रहा है।
वहीं पूर्वोत्तर के राज्यों में भी भाषाई और सांस्कृतिक कारणों से इसका विरोध हो रहा है। उन्हें डर है कि बांग्लादेश से आए हिंदुओं को नागरिकता मिलने पर वो अपने ही जमीन पर भाषाई अल्सपंख्यक बन जाएंगे।
सरकार का स्टैंड
वापस नहीं होगा कानून- शाह
देशभर में नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग की जा रही है।
इसी बीच मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह ने इस कानून पर सरकार की स्थिति साफ करते हुए कहा कि जिसको विरोध करना है करे, यह कानून वापस नहीं होगा।
उन्होंने कहा था कि इस कानून के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा कि इससे लोगों की नागरिकता चली जाएगी।