नागरिकता कानून पर शेख हसीना बोलीं- समझ नहीं आ रहा भारत ने ऐसा क्यों किया
क्या है खबर?
भारत के नए नागरिकता कानून पर पहली बार बोलते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि भारत सरकार ये कानून क्यों लेकर आई और इसकी कोई जरूरत नहीं थी।
इस दौरान उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि नागरिकता कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) पूरी तरह से भारत के आंतरिक मुद्दे हैं।
हसीना के इस बयान पर भारत सरकार की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
बयान
"भारत के लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है"
दुबई के अखबार 'गल्फ न्यूज' को दिए इंटरव्यू में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पहली बार नागरिकता कानून पर अपनी राय रखी।
उन्होंने कहा, "हम समझ नहीं पा रहे ऐसा क्यों किया गया। इसकी जरूरत नहीं थी।"
लोगों के भारत से वापस बांग्लादेश आने के सवाल पर उन्होंने कहा, "नहीं, भारत से कोई भी रिवर्स माइग्रेशन नहीं हुआ है। लेकिन भारत के अंदर ही लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।"
CAA-NRC
नागरिकता कानून और NRC भारत के आंतरिक मामले- हसीना
हसीना ने इस दौरान ये भी कहा कि नागरिकता कानून और NRC भारत के आंतरिक मामले हैं।
उन्होंने कहा, "बांग्लादेश ने हमेशा कहा है कि CAA और NRC भारत के आंतरिक मामले हैं। भारत सरकार ने भी अपनी तरफ से बार-बार दोहराया है कि NRC भारत की एक अंदरूनी प्रक्रिया है और अक्टूबर 2019 में मेरे नई दिल्ली के दौरे के समय प्रधानमंत्री मोदी ने मुझे व्यक्तिगत तौर पर इसे लेकर आश्वस्त किया था।"
रिश्तों में तनाव
बांग्लादेश के तीन मंत्री रद्द कर चुके हैं भारत दौरा
बता दें कि नागरिकता कानून में खुद को पाकिस्तान के साथ रखे जाने पर बांग्लादेश खुश नहीं है।
इसके अलावा संसद में गृह मंत्री अमित शाह के बार-बार बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की बात कहने पर भी उसने आपत्ति जताई थी।
इन टिप्पणियों के कारण दोनों देशों के रिश्तों में तनाव देखने को मिला है और नागरिकता कानून के संसद से पारित होने के बाद से बांग्लादेश के तीन मंत्री अपना भारत दौरा रद्द कर चुके हैं।
जानकारी
हसीना बोलीं, भारत-बांग्लादेश के रिश्ते सर्वश्रेष्ठ दौर में
हालांकि अपने इंटरव्यू में शेख हसीना ने दोनों देशों के रिश्तों में तनाव होने की बात से इनकार किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और भारत के रिश्ते अपने सबसे अच्छे दौर में हैं और व्यापक क्षेत्रों में सहयोग हो रहा है।
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार
बांग्लादेश की कुल आबादी में 10 प्रतिशत हिंदू
बता दें कि बांग्लादेश की 16.10 करोड़ आबादी में 10.7 प्रतिशत हिंदू और 0.6 प्रतिशत बौद्ध हैं।
बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार का एक लंबा इतिहास रहा है और हजारों लोगों ने भारत के पश्चिम बंगाल और असम में शरण ली है।
हालांकि बांग्लादेश का विदेश मंत्रालय स्पष्ट कर चुका है कि देश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार शेख हसीना के सत्ता में आने से पहले हुआ था और अब ये पूरी तरह से रुक चुका है।