हवा की गुणवत्ता को लेकर WHO की नई गाइडलाइन, भारत के लिए खतरे की घंटी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हवा की गुणवत्ता को लेकर कड़ी गाइडलाइन जारी की है। इसमें मनुष्य की सेहत के लिए सुरक्षित समझे जाने वाले प्रदूषक तत्वों के स्तर को कम किया गया है। पहले 24 घंटों में 25 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक का PM2.5 कंस्ट्रेशन सुरक्षित समझा जाता था, लेकिन नई गाइडलाइन में कहा गया है कि 15 माइक्रोग्राम से अधिक का कंस्ट्रेशन सुरक्षित नहीं है। नए स्तर के हिसाब से भारत के अधिकतर हिस्से प्रदूषित क्षेत्र बन गए हैं।
16 साल बाद आई नई गाइडलाइन
बुधवार को संगठन ने लगभग 16 सालों बाद नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें PM2.5, PM10, ओजोन, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोक्साइड जैसे छह सबसे आम प्रदूषक तत्वों के सुरक्षित समझे जाने वाले स्तर को कम किया गया है। PM2.5 तत्वों का आकार 2.5 और PM10 का आकार 10 माइक्रोन या इससे कम होता है और इन्हें बेहद खतरनाक माना जाता है। शरीर में जाने पर ये गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
हर साल वायु प्रदूषण से होती है 70 लाख मौतें
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उन वैज्ञानिक अध्ययनों पर भी गौर किया है, जिनमें वायु प्रदूषण को बेहद हानिकारक बताया गया है। संगठन का अनुमान है कि हर साल करीब 70 लाख मौतें सीधे तौर पर वायु प्रदूषण के कारण होती है।
भारत के लिए खतरे की घंटी
दक्षिण एशिया और खासकर भारत दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित इलाकों में सबसे ऊपर है। नई गाइडलाइन के अनुसार, अब भारत के अधिकतर हिस्से पूरे साल प्रदूषित क्षेत्र की श्रेणी में रहेंगे। यहां साल में कई बार प्रदूषण सुरक्षित समझे जाने वाले स्तर से ऊपर रहता है। उदाहरण के तौर पर, 2020 में दिल्ली में PM2.5 का कन्स्ट्रेशन सुरक्षित स्तर से 17 गुना, मुंबई में आठ गुना, कोलकाता में नौ गुना और चेन्नई में पांच गुना अधिक था।
प्रदूषित इलाके में रहती है 90 फीसदी आबादी
सिर्फ भारत ही नहीं, संगठन का मानना है कि दुनिया की 90 फीसदी आबादी उन प्रदूषित इलाकों में रहती है, जो 2005 के मानकों के हिसाब से भी सुरक्षित नहीं थे। अब कड़ी गाइडलाइन आने के बाद ऐसी आबादी की मात्रा बढ़ने वाली है।
साफ हवा के लिए भारत पर दबाव डाले संगठन- विशेषज्ञ
विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस गाइडलाइन का पालन करने किसी भी देश के लिए बाध्य नहीं है। ये केवल वे सिफारिशें हैं, जो वैज्ञानिक अध्ययनों में मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित बताई गई हैं। फिर भी हवा की खराब गुणवत्ता देश की छवि पर असर डालती है। वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि संगठन को अब भारत में हवा की गुणवत्ता साफ और बेहतर करने के लिए भारत पर दबाव डालना चाहिए।
80 प्रतिशत तक कम की जा सकती है मौतें
संगठन ने कहा है कि अगर नई गाइडलाइन के मानकों को हासिल कर लिया जाता है तो प्रदूषण से होने वाली 80 प्रतिशत मौतों को रोका जा सकता है। वहीं 2005 के मानक हासिल करने पर मौतों की संख्या 48 प्रतिशत कम हो सकती है।
जिंदगी के नौ साल कम कर रहा है प्रदूषण- रिपोर्ट
भारत में अगर वायु प्रदूषण का यही स्तर रहा तो लोगों की उम्र नौ साल कम हो सकती है। इसी महीने आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि खराब हवा भारतीयों की जीवन प्रत्याशा को नौ साल कम कर रही है। बतौर रिपोर्ट, उत्तर भारत के करीब 48 करोड़ लोग दुनिया में सबसे खराब स्तर के वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं और आने वाले समय में यह प्रदूषण दूसरे इलाकों में भी फैल जाएगा।