अफगानिस्तान पर चर्चा के लिए बैठक करने का विचार कर रहा भारत, कई देशों को बुलाया
क्या है खबर?
तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में बदली स्थितियों पर चर्चा के लिए भारत अगले महीने बैठक बुला सकता है।
सरकार इसे लेकर रूस, चीन, अमेरिका समेत कई अन्य देशों के संपर्क में है और यह बैठक नवंबर के दूसरे सप्ताह में हो सकती है। आमंत्रित किए गए देशों की तरफ से शामिल होने की पुष्टि का इंतजार है।
बैठक में तालिबान को बुलाने का कोई विचार नहीं है, लेकिन पाकिस्तान को बुलाया जा सकता है।
जानकारी
10 या 11 नवंबर को हो सकती है बैठक
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, यह बैठक 10 या 11 नवंबर को हो सकती है। यह भी पता चला है कि भारत इस साल मई में ऐसी बैठक आयोजित करना चाहता था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते यह संभव नहीं हो पाया। इसमें तत्कालीन अफगान सरकार के साथ-साथ पाकिस्तान के प्रतिनिधियों को भी बुलाने की योजना थी।
अब अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से हालात और पेचीदा हो गए हैं।
तालिबान की स्थिति
रूस ने बुलाया है तालिबान पर सम्मेलन
भारत में होने वाली इस बैठक से पहले रूस ने भी अफगानिस्तान पर एक सम्मेलन बुलाया है।
20 अक्टूबर को होने वाली इस बैठक में रूस के आमंत्रण पर भारत भी शामिल होगा। अन्य हिस्सेदारों में चीन, रूस और पाकिस्तान शामिल हैं।
बताया जा रहा है कि इसी सम्मेलन के एजेंडे को भारत में होने वाली बैठक में आगे बढ़ाकर तालिबान पर समावेशी सरकार बनाने और अफगान जमीन का आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल रोकने का दवाब डाला जाएगा।
जानकारी
रूस की बैठक में तालिबान भी होगा शामिल
पिछले हफ्ते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अफगानिस्तान पर विशेष प्रतिनिधि जमीर कबुलोव ने कहा था कि मॉस्को ने इस बैठक में तालिबानी प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया है। रूस ने इस साल मार्च में चीन, अमेरिका और पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान पर बैठक की थी।
गौरतलब है कि अमेरिका की वापसी के बाद चीन, रूस और पाकिस्तान अफगानिस्तान में बड़ी भूमिका तलाश रहे हैं और भारत ने भी अपनी स्थिति में बदलाव किया है।
संबोधन
मोदी ने बताई थी अफगानिस्तान में समावेशी सरकार की जरूरत
12 अक्टूबर को G-20 देशों ने अफगानिस्तान की स्थिति पर बैठक की थी। इसे संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि दुनिया के कंधों पर अफगानिस्तान को आतंकवाद और कट्टरता का स्त्रोत बनने से रोकने जिम्मेदारी है। साथ ही वहां के लोगों के मानवाधिकारों और रक्षा के लिए भी प्रयास करने होंगे।
मोदी ने अफगान नागरिकों की मदद के लिए मानवीय सहयोग पर जोर दिया और अफगानिस्तान में समावेशी प्रशासन की जरूरत बताई थी।
अफगानिस्तान
कैसे हैं अफगानिस्तान के मौजूदा हालात?
अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही संकट से जूझ रही थी और तालिबान के कब्जे के बाद हालात और बिगड़ गए हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और अमेरिका आदि देशों ने अफगानिस्तान को जाने वाली मदद रोक दी है।
दूसरी तरफ कई देश अफगान नागरिकों खासकर महिलाओं के अधिकारों के हनन पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।
सुरक्षा के मुद्देे पर भी तालिबानी सरकार को इस्लामिक स्टेट से जुड़े आतंकी संगठनों के हमलों से जूझना पड़ रहा है।