अदनान सामी और तस्लीमा नसरीन का उदाहरण देकर बोलीं सीतारमण- मुस्लिम विरोधी नहीं है नागरिकता कानून

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को मोदी सरकार के नागरिकता कानून के मुस्लिम विरोधी होने के आरोपों को खारिज किया। अपनी बात साबित करने के लिए उन्होंने पिछले छह साल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के जितने मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी गई है, उसके आंकड़ों का इस्तेमाल किया। अदनान सामी और तस्लीमा नसरीन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार किसी की नागरिकता छीन नहीं रही है बल्कि दे रही है।
चेन्नई में हुए एक कार्यक्रम में बोलते हुए निर्मला सीतारमण ने ये बातें कहीं। नए नागरिकता कानून में मुस्लिमों के साथ भेदभाव किए जाने के आरोपों का जबाव देते हुए उन्होंने कहा, "2016 से 2018 के बीच 391 अफगानिस्तानी मुस्लिमों और 1595 पाकिस्तान शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी गई। इसी दौरान 2016 में अदनान सामी को नागरिकता दी गई, ये एक उदाहरण है। तस्लीमा नसरीन दूसरा उदाहरण हैं। ये साबित करता है कि हमारे खिलाफ लगे सभी आरोप गलत हैं।"
बता दें कि लाहौर में जन्मे जाने-माने गायक अदनान सामी का पाकिस्तानी पासपोर्ट 26 मई 2015 को एक्सपायर हो गया था और पाकिस्तान सरकार ने नया पासपोर्ट इश्यू करने से मना कर दिया था। इसके बाद सामी ने भारत सरकार से मानवीय आधार पर भारत में उनके निवास को मान्यता देने का अनुरोध किया जिसे स्वीकार कर लिया गया और उन्हें भारतीय नागरिकता दे दी गई। 1 जनवरी 2016 से वो भारत के नागरिक हैं।
वहीं तस्लीमा नसरीन बांग्लादेश की लेखक हैं जिन्हें धार्मिक कट्टरपंथियों के कारण 1994 में अपना देश छोड़ना पड़ा था। तस्लीमा ने भारत में शरण ली हुई है और रेजिडेंस परमिट पर 2004 से भारत में रह रही हैं।
निर्मला सीतारमण ने अपनी बात को और मजबूत तरीके से पेश करने के लिए और भी आंकड़े पेश किए। उन्होंने कहा, "पिछले छह साल में 2838 पाकिस्तानी शरणार्थियों, 914 अफगानिस्तानी शरणार्थियों और 172 बांग्लादेशी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी गई जिनमें मुस्लिम भी शामिल हैं। 1964 से 2008 के बीच चार लाख तमिलों (श्रीलंका) को भी भारतीय नागरिकता दी गई। 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के 566 मुस्लिमों को नागरिकता दी गई थी।"
नागरिकता कानून के पक्ष में बोलते हुए सीतारमण ने कहा कि इसका मकसद लोगों को बेहतर जीवन प्रदान करना है और इसके जरिए सरकार किसी की नागरिकता छीन नहीं रही है, बल्कि नागरिकता दे रही है। उन्होंने कहा, "पूर्वी पाकिस्तान से आए लोग अब भी देश के अलग-अलग हिस्सों में कैंपों में रहकर जीवन बिता रहे हैं। उन्हें यहां कैंपों में रहते हुए अब 50-60 साल हो गए हैं। अगर आप उन शिविरों में जाएंगे तो आपको रोना आ जाएगा।"
बता दें कि सीतारमण ने नागरिकता कानून का बचाव करने के लिए जिन आंकड़ों का प्रयोग किया, इस कानून का विरोध कर रहे लोग इन्हीं आंकड़ों का प्रयोग नागरिकता कानून और मोदी सरकार पर सवाल उठाने के लिए कर रहे हैं। उनका सवाल है कि जब पुराने नियमों के जरिए ही पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए सभी धर्मों के शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है, तो फिर सरकार ने नागरिकता कानून में नए संशोधन क्यों किए हैं।