NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    अन्य
    चर्चित विषय
    क्रिकेट समाचार
    नरेंद्र मोदी
    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
    राहुल गांधी
    #NewsBytesExplainer
    IPL 2025
    ऑपरेशन सिंदूर
    English Tamil Telugu
    NewsBytes Hindi
    User Placeholder

    Hi,

    Logout

    देश
    राजनीति
    दुनिया
    बिज़नेस
    खेलकूद
    मनोरंजन
    टेक्नोलॉजी
    करियर
    अजब-गजब
    लाइफस्टाइल
    ऑटो
    एक्सक्लूसिव
    विज़ुअल खबरें

    एंड्राइड ऐप डाउनलोड

    हमें फॉलो करें
    • Facebook
    • Twitter
    • Linkedin
    होम / खबरें / देश की खबरें / जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसलों को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट पहुंची नेशनल कान्फ्रेंस
    अगली खबर
    जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसलों को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट पहुंची नेशनल कान्फ्रेंस

    जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसलों को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट पहुंची नेशनल कान्फ्रेंस

    लेखन प्रमोद कुमार
    Aug 10, 2019
    04:11 pm

    क्या है खबर?

    जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टी नेशनल कान्फ्रेंस (NC) ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।

    फारुक अब्दुला की पार्टी के सांसद अकबर लोन और हसनैन मसूदी ने केंद्र सरकार के इन फैसलों को 'गैरकानूनी' बताते हुए देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

    यह मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

    याचिका

    याचिका में NC ने कही यह बात

    नेशनल कान्फ्रेंस ने अपनी याचिका में कहा है कि जम्मू-कश्मीर को संविधान के तहत विशेष दर्जा दिया है और राष्ट्रपति द्वारा इसे निरस्त करने का आदेश अवैध है क्योंकि ऐसा करने के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सहमति नहीं ली गई।

    वहीं सरकार का कहना है कि चूंकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है, इसलिए विधानसभा की सारी शक्तियां संसद के पास है। इसलिए संसद इस मामले में कदम उठा सकती है।

    याचिका

    जम्मू-कश्मीर विधानसभा की नहीं ली गई सहमति

    याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति खुद केंद्रीय मंत्रीमंडल की सलाह पर काम कर रहे हैं इसलिए यह तर्क हुआ कि संवैधानिक संस्था एक आधारभूत सरंचना में बदलाव करने के लिए खुद की सहमति ले रही है और इसके लिए उस बदलाव से प्रभावित होने वाले लोगों की सलाह नहीं ली गई।

    याचिका में इस कदम को 'मनमाना' और 'कानून के नियम के विपरित' बताया गया है।

    वहीं कई संविधान विशेषज्ञ भी ऐसी बातें कह चुके हैं।

    जानकारी

    जम्मू-कश्मीर को विभाजित करने के फैसले को भी चुनौती

    याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने वाला जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून संवैधानिक तौर पर गलत है आगे कहा गया है कि संविधान संसद को किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर उसका राजनीतिक प्रतिनिधित्व कम नहीं कर सकती।

    याचिका

    सुप्रीम कोर्ट में पहले भी दायर है याचिका

    इससे पहले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने अदालत में अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी।

    उन्होंने इस पर तत्काल सुनवाई करने की मांग की थी। सर्वोच्च अदालत ने उनकी इस मांग को ठुकराते हुए कहा कि उनकी याचिका पर नियत समय पर सुनवाई होगी।

    सोमवार को राष्ट्रपति का आदेश जारी होने के बाद से ही इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिलने का अंदेशा लगाया जा रहा था।

    जम्मू-कश्मीर

    क्या है राष्ट्रपति के आदेश में?

    राष्ट्रपति ने अपने आदेश में अनुच्छेद 370 के खंड 1(d) के तहत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए भारत का पूरा संविधान जम्मू-कश्मीर में लागू करने का आदेश जारी किया था।

    अनुच्छेद 370 के खंड 1(d) के अनुसार, राष्ट्रपति जम्मू-कश्मीर सरकार की सहमति से भारतीय संविधान के प्रावधानों को जम्मू-कश्मीर में लागू कर सकते हैं।

    राष्ट्रपति के आदेश में लिखा है कि यह आदेश जम्मू-कश्मीर सरकार की सहमति से जारी किया है।

    बदलाव

    अनुच्छेद 370 में प्राप्त शक्तियों के जरिए अनुच्छेद 370 में ही बदलाव

    अनुच्छेद 370 के तहत प्राप्त शक्तियों के तहत राष्ट्रपति ने अपने इस आदेश में संविधान के अनुच्छेद 367 में भी जम्मू-कश्मीर से संबंधित कुछ परिवर्तन किए थे, जिनसे प्रभाव से अनुच्छेद 370 में ही कुछ मूलभूत बदलाव हो गए।

    इन बदलावों के तहत पूरे संविधान और अनुच्छेद 370 में जम्मू-कश्मीर सरकार की जगह राज्यपाल और जम्मू-कश्मीर संवैधानिक सभा की जगह जम्मू-कश्मीर विधानसभा कर दिया गया। यानि अनुच्छेद 370 के जरिए अनुच्छेद 370 में ही बदलाव कर दिए गए।

    सवाल

    इस कारण उठ रहे आदेश पर सवाल

    मामले में मुख्य सवाल इस बात पर उठ रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में तो इस समय कोई सरकार नहीं है तो राष्ट्रपति ने किस सरकार से सहमति लेकर यह आदेश जारी किया है।

    अभी राज्य में राष्ट्रपति शासन है और प्रशासन की डोर राज्यपाल के हाथों में है।

    अगर उन्होने राज्यपाल को सरकार मानते हुए यह आदेश जारी किया है तो इसमें एक तकनीकी खामी है।

    राज्यपाल लोगों का नहीं बल्कि केंद्र सरकार का प्रतिनिधि होता है।

    जानकारी

    क्या अनुच्छेद 370 में बदलाव के लिए सरकार ने ली खुद की ही मंजूरी?

    इसका मतलब ये निकाला जा रहा है कि केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 में बदलाव के लिए खुद से ही सहमति ली और राष्ट्रपति के जरिए खुद ही आदेश जारी कर दिया। कई कानून विशेषज्ञ आदेश को संवैधानिक रूप से सही बता रहे हैं।

    जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन

    राष्ट्रपति के आदेश से ही निकला है केंद्र सरकार का जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल

    राष्ट्रपति के इस आदेश से ही केंद्र सरकार का जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2019 निकला है, जिसमें जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने की बात कही गई है।

    संविधान के अनुसार, किसी राज्य की विधानसभा ही राज्य की सीमाओं के पुनर्गठन की सिफारिश कर सकती है।

    वहीं, संविधान के दूसरे नियम के अनुसार जिस राज्य में राष्ट्रपति शासन हो, वहां की विधानसभा के तौर पर संसद कार्य करती है।

    Facebook
    Whatsapp
    Twitter
    Linkedin
    सम्बंधित खबरें
    ताज़ा खबरें
    भारतीय सुप्रीम कोर्ट
    जम्मू-कश्मीर
    लोकसभा
    संसद

    ताज़ा खबरें

    बिहार के मुजफ्फरपुर में नाबालिग की रेप के बाद हत्या मामले में अब तक क्या-क्या हुआ? बिहार
    'हाउसफुल 5' से पहले देख डालिए इस लोकप्रिय कॉमेडी फ्रैंचाइजी के चारों भाग, जानिए कहां हाउसफुल फिल्म
    सड़क पर झगड़े में क्षतिग्रस्त हुई कार पर बीमा क्लेम मिलेगा या नहीं? जानिए नियम  कार
    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्थगित की गई NEET-PG 2025 की परीक्षा NEET

    भारतीय सुप्रीम कोर्ट

    CBI विवादः आलोक वर्मा पर फैसला लेने वाली कमेटी में नहीं होंगे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई
    राम मंदिरः सुप्रीम कोर्ट के ये पांच जज करेंगे मामले की सुनवाई राम मंदिर
    राम मंदिर मामलाः जस्टिस ललित संविधान पीठ से हटे, 29 जनवरी को होगी अगली सुनवाई राम मंदिर
    सामान्य वर्ग को आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, विधेयक को रद्द करने की मांग आरक्षण

    जम्मू-कश्मीर

    अनंतनाग हमले के पीछे है 1999 में भारत द्वारा रिहा किए गए आतंकी का हाथ- रिपोर्ट भारत की खबरें
    पाकिस्तान ने दी पुलवामा में संभावित हमले की खुफिया जानकारी, घाटी में अलर्ट जारी भारत की खबरें
    छात्र संघ अध्यक्ष से लेकर भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष, ऐसा रहा जेपी नड्डा का सफर हरियाणा
    पुलवामाः सेना के वाहन को निशाना बनाकर किया गया धमाका, दो जवान शहीद पुलवामा

    लोकसभा

    चुनाव नहीं लड़ पाएंगे पूर्व BSF जवान तेज बहादुर, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका नरेंद्र मोदी
    ममता की मोदी को चुनौती- आरोप साबित करें, नहीं तो कान पकड़कर 100 उठक-बैठक लगाएं पश्चिम बंगाल
    आपत्तिजनक पर्चे विवादः गंभीर की चुनौती, दोषी सिद्ध हुआ तो जनता के बीच लगा लूंगा फांसी आम आदमी पार्टी समाचार
    गिरफ़्तारी वारंट जारी होने पर गठबंधन का उम्मीदवार फरार, बिना प्रत्याशी प्रचार कर रहे नेता रेप

    संसद

    मोदी सरकार के अंतिम बजट सत्र की तारीख तय, 1 फरवरी को पेश होगा अंतरिम बजट नरेंद्र मोदी
    रक्षा मंत्री पर टिप्पणी कर मुश्किलों में फंसे राहुल गांधी, महिला आयोग ने भेजा नोटिस भारत की खबरें
    राम मंदिर को लेकर अयोध्या कूच करेंगे संत, 21 फरवरी को मंदिर के शिलान्यास का ऐलान राम मंदिर
    बजट: टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत, अब 5 लाख तक की आय पर नहीं लगेगा कोई टैक्स इनकम टैक्स
    पाकिस्तान समाचार क्रिकेट समाचार नरेंद्र मोदी आम आदमी पार्टी समाचार अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी फुटबॉल समाचार कांग्रेस समाचार लेटेस्ट स्मार्टफोन्स दक्षिण भारतीय सिनेमा भाजपा समाचार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कोरोना वायरस रेसिपी #NewsBytesExclusive ट्रैवल टिप्स IPL 2025
    हमारे बारे में प्राइवेसी पॉलिसी नियम हमसे संपर्क करें हमारे उसूल शिकायत खबरें समाचार संग्रह विषय संग्रह
    हमें फॉलो करें
    Facebook Twitter Linkedin
    All rights reserved © NewsBytes 2025