राम मंदिर मामलाः जस्टिस ललित संविधान पीठ से हटे, 29 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट में आज राम मंदिर मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई की शुरुआत में ही मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने साफ कर दिया था कि आज शेड्यूल पर फैसला होगा।
हालांकि, सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने जस्टिस उदय उमेश ललित और संविधान पीठ पर सवाल खड़े किये।
इसके बाद जस्टिस यूयू ललित ने खुद को बेंच से अलग कर लिया। अब इस मामले में अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी।
ट्विटर पोस्ट
सुप्रीम कोर्ट ने टाली सुनवाई
Supreme Court fixes January 29 as the next date of hearing https://t.co/AIQ6k0g20U
— ANI (@ANI) January 10, 2019
जस्टिस यूयू ललित
जस्टिस यूयू ललित हुए बेंच से अलग
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इस मामले में पांच जजों की पीठ का गठन किया था।
इन जजों में CJI, जस्टिस ललित, जस्टिस बोबड़े, जस्टिस एनवी रमन्ना और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे।
सुनवाई में राजीव धवन ने कहा कि जस्टिस यूयू ललित 1994 में कल्याण सिंह की ओर से पेश हुए थे।
वहीं उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने कहा कि उन्हें इससे कोई ऐतराज नहीं है।
बाद में जस्टिस ललित ने खुद को बेंच से अलग कर लिया।
जानकारी
नई बेंच बनेगी
अब इस मामले में नई बेंच का गठन किया जाएगा। CJI ने कहा कि जस्टिस ललित अब इस बेंच में नहीं रहेंगे, इसलिए मामले की सुनवाई स्थगित करनी पड़ेगी। सुनवाई के लिए नई बेंच बनाई जाएगी, जिसमें जस्टिस ललित की जगह दूसरे जज होंगे।
संविधान पीठ
संविधान पीठ के गठन पर भी उठे सवाल
राजीव धवन ने मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ पर भी सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि पहले अयोध्या मामला तीन जजों की पीठ के पास था, लेकिन बिना किसी न्यायिक आदेश के इस मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया गया।
इस पर कोर्ट ने कहा कि किसी भी पीठ का गठन करना CJI का अधिकार है।
बता दें, 4 जनवरी को कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए बेंच के गठन की बात कही थी।
मामला
इलाहाबाद कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाओं को सुनेगा कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट इन दिनों इलाहाबाद कोर्ट के फैसले पर सुनवाई कर रहा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ भूमि को तीनों पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से बांटने का फैसला दिया था। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दायर हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मई 2011 में हाई कोर्ट के निर्णय पर रोक लगा दी थी और विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।