छात्र संघ अध्यक्ष से लेकर भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष, ऐसा रहा जेपी नड्डा का सफर
पूर्व केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को भारतीय जनता पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। सोमवार को भाजपा की संसदीय दल की बैठक में यह फैसला लिया गया। बुधवार से अपना पदभार ग्रहण करने वाले नड्डा पार्टी के संगठन चुनावों तक इस पद पर रहेंगे। अमित शाह को मंत्रीमंडल में शामिल किए जाने के बाद से ही यह चर्चा थी कि पार्टी की कमान नड्डा को सौंपी जा सकती है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
पार्टी के पहले कार्यकारी अध्यक्ष बने नड्डा
भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में यह पहली बार है जब एक कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति हुई है। अमित शाह का पार्टी अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल इस साल दिसंबर में समाप्त होगा। माना जा रहा है कि नड्डा भाजपा के अगले पूर्णकालिक अध्यक्ष भी बन सकते हैं। भाजपा में 'एक व्यक्ति, एक पद' का सिद्धांत है। ऐसे में कहा जा रहा है कि अमित शाह पार्टी अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल में विस्तार नहीं लेंगे।
बिहार की राजधानी पटना में जन्मे हैं नड्डा
मूल रूप से हिमाचल के ब्रह्माण परिवार से ताल्लुक रखने वाले नड्डा का जन्म पटना में 2 दिसंबर 1960 को हुआ था। उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की और फिर शिमला आ गए। यहां से उन्होंने LLB पास की। 59 वर्षीय जेपी नड्डा ने 1978 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से छात्र राजनीति की शुरुआत की। साल 1984 में नड्डा के नेतृत्व में ABVP ने स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया को हराया और जेपी नड्डा छात्र संघ के अध्यक्ष बने।
1993 में पहली बार बने विधायक
इसके पांच साल बाद 1989 में नड्डा ABVP के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बने। एक बार राजनीति के रास्ते पर चले पड़े नड्डा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने। 1993 में वो पहली बार विधायक चुने गए।
नितिन गडकरी ने किया था अपनी टीम में शामिल
भाजपा के लो-प्रोफाइल नेता माने जाने वाले नड्डा को नितिन गडकरी ने भाजपा अध्यक्ष रहते 2010 में अपनी टीम में शामिल किया था। तब उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया। 2012 में नड्डा को पार्टी ने राज्यसभा में भेजा। 2014 में उन्हें भाजपा की संसदीय समिति का सचिव नियुक्त किया गया। यह पार्टी के फैसले लेने वाली सबसे बड़ी समिति है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था।
इन राज्यों के रहे प्रभारी
संगठन में काम करने के अनुभव और राजनीति में महारत हासिल करने वाले नड्डा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के प्रभारी और चुनाव प्रभारी भी रहे हैं।
नड्डा के सामने हैं ये चुनौतियां
भारतीय जनता पार्टी अपने इतिहास के सबसे अच्छे दौर से गुजर रही है। लोकसभा में उसके 303 सांसद हैं। लोकसभा चुनावों में पार्टी को ऐतिहासिक जनादेश मिला था। आने वाले कुछ महीनों में हरियाणा और महाराष्ट्र आदि राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। नड्डा की चुनौती इनमें फिर से भाजपा की सरकार बनाना होगा। वहीं पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के विस्तार करने की चुनौती भी नड्डा के सामने होगी।