गिरफ़्तारी वारंट जारी होने पर गठबंधन का उम्मीदवार फरार, बिना प्रत्याशी प्रचार कर रहे नेता
19 मई को लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान होना है। इस दौरान जिन 59 सीटों पर मतदान होगा, उनमें उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की घोसी लोकसभा सीट भी शामिल है। चर्चित सीटों के बीच हम इस सीट का जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि सीट से सपा-बसपा गठबंधन का उम्मीदवार खुद तो फरार चल रहा है, लेकिन दिग्गज नेता उसके लिए प्रचार कर रहे हैं। इस अजीबोगरीब मामले के पीछे क्या कारण है, आइए आपको बताते हैं।
पूर्व छात्रा ने लगाया है बलात्कार का आरोप
घोसी सीट पर गठबंधन की ओर से अतुल राय चुनाव लड़ रहे हैं। विधायक बाहुबली मुख्तार अंसारी के करीबी अतुल पर काशी विद्यापीठ की एक पूर्व छात्रा ने बलात्कार और यौन शोषण का मामला दर्ज कराया है। छात्रा का आरोप है कि अतुल ने अपनी पत्नी से मिलाने के बहाने उसे लंका इलाके के अपने फ्लैट पर बुलाया और उसके साथ बलात्कार किया। उसने छात्रा का वीडियो बनाया और इसे वायरल करने की धमकी देकर उसका यौन शोषण करता रहा।
अतुल ने छात्रा पर लगाया ब्लैकमेल करने का आरोप
आरोपों पर अतुल का कहना है कि शिकायतकर्ता छात्रा 2015 से चुनाव लड़ने के चंदा लेने के लिए उसके ऑफिस आती थी। लोकसभा प्रत्याशी बनने पर उसने वीडियो के जरिए उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश की और रूपये की मांग की।
तीन थानों की पुलिस कर रही पीछा
मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट आशुतोष तिवारी ने अतुल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया, जिसके बाद उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट में गिरफ्तारी पर रोक लगाने की अर्जी दाखिल की। हाई कोर्ट ने जब उसकी याचिका को खारिज कर दिया तो उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर 17 मई को सुनवाई होगी। अभी अतुल गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार चल रहे हैं और तीन थानों की पुलिस उनका पीछा कर रही है।
मायावती ने किया अपने उम्मीदवार का बचाव
वहीं, अतुल का फरार होना गठबंधन के लिए असमंजस और मुसीबत की स्थिति लेकर आया है। इस स्थिति में नेता बिना अपने उम्मीदवार की उपस्थिति में ही प्रचार करने में लगे हुए हैं और 15 मई को यहां गठबंधन की महारैली भी होगी। मायावती ने अतुल का बचाव करते हुए आरोपों को भाजपा का चुनावी हथकंडा बताया है। वहीं, भाजपा मामला सामने आने के बाद सीट पर आक्रामक होकर चुनाव प्रचार कर रही है।
क्या कहता है घोसी का जातीय समीकरण?
अगर घोसी सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो जहां करीब 3.5 लाख जाटव, 2 लाख यादव, 1.2 लाख राजभर (OBC), एक लाख नोनिया (OBC) और 80 हजार गैर-जाटव दलित वोट हैं। वहीं सीट पर सवर्ण मतदाताओं की संख्या 4 लाख के करीब है। 2014 चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हरिनारायण राजभर ने बसपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को लगभग 1.5 लाख वोटों से हराया था। गठबंधन को उम्मीद है कि मामले का उसके वोटबैंक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।