
मुंबई: अदालत ने वोटर आईडी को माना नागरिकता का पर्याप्त सबूत, दंपति को किया बरी
क्या है खबर?
वोटर आईडी कार्ड को नागरिकता के सबूत के तौर पर पेश किए जाने को लेकर चल रहे असमंजस के बीच गत 11 फरवरी को मुंबई की एक अदालत ने इसे नागरिकता साबित करने का पर्याप्त सबूत मान लिया है।
इसके आधार पर अदालत ने पुलिस द्वारा बताए गए दो बांग्लादेशी घुसपैठी पति-पत्नी को बरी कर दिया है।
अदालत का मानना है कि एक वैध वोटर आईडी कार्ड किसी भी व्यक्ति की भारतीय नागरिकता को साबित कर सकता है।
प्रकरण
बांग्लादेशी दंपति पर लगा था अवैध तरीके से भारत आने आरोप
मुंबई पुलिस ने अब्बास शेख और उनकी पत्नी राबिया खातून को हिरासत में लेकर कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी कि यह दंपत्ति साल 2017 में बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत आए थे।
उसके बाद से वो मुंबई के रेई रोड पर रह रहे थे। पुलिस का आरोप था कि दंपति बांग्लादेश की गरीबी और भुखमरी के कारण अवैध तरीके से भारत में दाखिल हुआ और उनके पास नागरिकता साबित करने का कोई भी पर्याप्त दस्तावेज नहीं है।
दस्तावेज
सुनवाई के दौरान दंपति ने अदालत में प्रस्तुत किए कई दस्तावेज
मामले की सुनवाई के दौरान अब्बास शेख ने अपनी नागरिकता साबित करने के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पासबुक, स्वास्थ्य कार्ड और राशन कार्ड प्रस्तुत किया था।
इसी तरह उनकी पत्नी राबिया खातून ने अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड जमा कराया था।
अदालत ने माना कि सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी किए गए ये दस्तावेज साक्ष्य के रुप में स्वीकार किए जा सकते हैं।
दलील
मजिस्ट्रेट ने सुनवाई के दौरान दी यह दलील
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एएच काशीकर ने मामले में फैसला सुनाते हुए दलील दी कि किसी भी आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या राशन कार्ड को भारतीय नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता है, लेकिन एक वैध वोटर आईडी कार्ड को भारतीय नागरिकता का पर्याप्त सबूत माना जा सकता है। अब्बास शेख और उसकी पत्नी राबिया खातून ने अपने-अपने वोटर आईडी कार्ड दिए हैं। ऐसे में उन्हें बरी किया जाएगा।
घोषणा पत्र
वोटर आईडी के लिए दाखिल करना होता है घोषणा पत्र
मजिस्ट्रेट ने कहा कि वोटर आईडी को नागारिकता का प्रमाण मानने का कारण यह है कि वोटर आईडी का आवेदन करते समय आवेदक को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रपत्र 6 के मद्देनजर प्राधिकरण में एक घोषणा पत्र दाखिल करना होता है।
जिसमें घोषणा की जाती है कि वह भारत का नागरिक है और यदि उसकी घोषणा झूठी पाई जाती है, तो वह सजा के लिए स्वयं उत्तरदायी है। इसकी जांच के बाद ही वोटर आईडी जारी किया जाता है।
गुवाहाटी हाईकोर्ट
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने वोटर आईडी को नहीं माना था नागरिकता का सबूत
गत 12 फरवरी गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम के बक्सा जिले के गुवाहारी गांव निवासी जाबीदा बेगम की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वोटर आईडी कार्ड भारतीय नागरिकता का अंतिम प्रमाण नहीं है। नागरिकता को सबूतों से साबित किया जाना चाहिए।
साथ ही साथ अदालत ने यह भी कहा कि भूमि राजस्व प्राप्तियां, पैन कार्ड और बैंक दस्तावेजों का उपयोग नागरिकता साबित करने के लिए नहीं किया जा सकता है।