मोरबी पुल हादसा: चार्जशीट में मरम्मत करने वाली कंपनी के MD को बनाया गया मुख्य आरोपी
गुजरात पुलिस ने मोरबी पुल हादसे में चार्जशीट दाखिल कर दी है और इसमें पुल की मरम्मत करने वाले ओरेवा समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) जयसुख पटेल को मुख्य आरोपी बनाया गया है। पटेल घटना के बाद से ही लापता हैं और पिछले हफ्ते ही उनकी गिरफ्तारी के लिए वारंट और लुकआउट नोटिस जारी किया गया था। गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए उन्होंने कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की हुई है।
चार्जशीट में 10वें नंबर पर जयसुख पटेल का नाम
1,262 पेज की चार्जशीट में जयसुख पटेल का आरोपियों की सूची में 10वें नंबर जिक्र किया गया है। उन्हें मुख्य आरोपी और भगोड़ा बताया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अशोक यादव ने मामले पर कहा, "उसे (पटेल) को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। अभी वो लापता है।" बाकी नौ आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें उप-ठेकेदार, टिकट बेचने वाले दिहाड़ी मजदूर और सिक्योरिटी गार्ड शामिल हैं।
क्या है मोरबी पुल हादसा?
मोरबी में 30 अक्टूबर को मच्छू नदी पर बना पुल टूट कर नदी में गिर गया था। इस हादसे में 135 लोगों की मौत हुई, वहीं लगभग 180 लोग घायल हुए। कम से कम दो लोग अभी भी लापता हैं। छठ पूजा के मौके पर पुल पर अधिक भीड़ जमा हो गई थी, जिसके कारण इसकी केबल टूट गई और यह नदी में गिर गया। हादसे के समय पुल पर लगभग 500 लोग मौजूद थे।
ओरेवा कंपनी पर क्या आरोप हैं?
गुजरात सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) की जांच में ओरेवा समूह की कई लापरवाहियां और घोटाले सामने आए थे। कंपनी को पुल की मरम्मत के लिए दो करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन उसने इसका मात्र छह प्रतिशत हिस्सा यानि 12 लाख रुपये खर्च किए। मरम्मत के दौरान ओरेवा कंपनी ने केवल पुल का फर्श बदला और पुरानी केबलों पर ग्रीसिंग तक नहीं की गई। जिस जगह से केबल टूटी, वहां जंग लगी हुई थी।
ओरेवा ने दूसरी कंपनी को दिया मरम्मत का ठेका
गुजरात पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि ओरेवा कंपनी ने खुद पुल की मरम्मत नहीं की थी, बल्कि इसका ठेका ध्रांगध्रा स्थित देवप्रकाश सोल्युशन्स कंपनी को दे दिया। ओरेवा की तरह देवप्रकाश सॉल्युशन्स के पास भी पुल की मरम्मत करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता नहीं थी और उसने महज रंगाई-पुताई करके अपना काम खत्म कर दिया। देवप्रकाश सॉल्युशन्स के दस्तावेजों से ही मरम्मत पर मात्र 12 लाख रुपये खर्च करने की जानकारी मिली है।
फिटनेस सर्टिफिकेट हासिल किए बिना ही पुल खोलने का भी आरोप
ओरेवा पर फिटनेस सर्टिफिकेट और अनुमति हासिल किए बिना ही पुल को आम लोगों को खोलने का आरोप भी है। मोरबी नगर निगम का कहना है कि कंपनी ने पुल को खोलने से पहले उससे अनुमति नहीं ली। ओरेवा पर पुल को तय समय से पहले खोलने का आरोप भी लगा है। कंपनी को समझौते के तहत पुल को 8-12 महीने बंद रखना था, लेकिन उसने सात महीने बाद ही इसे जनता के लिए खोल दिया।