'दिन में 5 बार नमाज पढ़ो', मालेगांव कोर्ट ने रिक्शा चालक को दी अनोखी सजा
क्या है खबर?
महाराष्ट्र के नासिक जिले की मालेगांव मजिस्ट्रेट अदालत ने एक ऑटो रिक्शा चालक को रोड रेज के मामले में अनोखी सजा सुनाई है।
कोर्ट ने रिक्शा चालक को लगातार 21 दिनों तक 5 वक्त की नमाज पढ़ने को कहा है। साथ ही जिस मस्जिद के पास ये घटना हुई, उस मस्जिद में 2 पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने को भी कहा है।
शख्स को इस काम के बदले कारावास और जुर्माना नहीं देना होगा।
मामला
क्या है पूरा मामला?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला साल 2010 का है। 30 वर्षीय रउफ खान उमर खान ने मालेगांव की एक गली में खड़ी बाइक को अपने रिक्शा से टक्कर मार दी थी। जब बाइक मालिक ने इसे लेकर शिकायत की, तो रउफ ने उसके साथ मारपीट की।
इसके बाद रउफ पर भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 325, 504 और 506 के तहत केस दर्ज किया गया था।
ऑर्डर
कोर्ट ने क्या कहा?
मामले की सुनवाई मजिस्ट्रेट तेजवंत संधु कर रहे थे। उन्होंने रउफ को धारा 323 के तहत दोषी पाया। कोर्ट ने रउफ को कारावास और जुर्माने के बिना इस शर्त पर छोड़ दिया कि वो मजिस्ट्रेट के आदेश का पालन करेगा।
कोर्ट ने बतौर सजा रउफ को सोनपुरा मस्जिद के परिसर में 2 पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने को कहा। इसी मस्जिद में अपराध हुआ था। साथ ही 21 दिन तक 5 वक्त की नमाज पढ़ने का आदेश सुनाया।
जज क्या बोले
कोर्ट ने आदेश में ये बात भी कही है
मजिस्ट्रेट तेजवंत संधू ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अपराधी परिवीक्षा कानून 1958 की धारा 3 मजिस्ट्रेट को सजा या उचित चेतावनी के बाद दोषी को रिहा करने की शक्ति देती है, ताकि वह अपराध को दोहराए नहीं।
उन्होंने कहा, "अपराधी को केवल चेतावनी देना ही पर्याप्त नहीं है। आरोपी दोषी साबित हो चुका है, इसलिए उसे ऐसी सजा दी जाए, जिसे वो याद रखे ताकि भविष्य में न दोहराए।"
नमाज
कोर्ट ने फैसले में नमाज पढ़ने का आदेश क्यों दिया?
दरअसल, रउफ ने मामले की सुनवाई के दौरान ये बात स्वीकार की थी कि इस्लाम धर्म का पालन करने के बावजूद वो धार्मिक ग्रंथों में निर्धारित नमाज को नियमित तौर पर नहीं पढ़ रहा था। इसे देखते हुए अदालत ने दोषी को 21 दिन तक दिन में 5 बार नमाज पढ़ने की सजा सुनाई।
बता दें कि इस्लाम धर्म के हर अनुयायी को दिन में 5 बार नमाज पढ़ना अनिवार्य है।