महाराष्ट्र-कर्नाटक ही नहीं, भारत के इन राज्यों के बीच भी चल रहा है सीमा विवाद
क्या है खबर?
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। मामले में दोनों राज्यों की सरकारें आमने-सामने हैं, लेकिन यह एकमात्र सीमा विवाद नहीं है।
भारत में कई राज्य हैं जिनके बीच सालों से सीमा विवाद चल रहा है। इसमें ओडिशा, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय और नागालैंड शामिल हैं।
आइये जानते हैं इन राज्यों के बीच क्यों और कब से सीमा विवाद चल रहा है।
सीमा विवाद
ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बीच सीमा विवाद
ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बीच कोटिया ग्राम पंचायत को लेकर विवाद चला आ रहा है। दोनों राज्यों के बीच 50 साल से अधिक समय से यह विवाद चल रहा है। इसे लेकर दोनों सरकारें सुप्रीम कोर्ट में भी तकरार कर चुकी है।
हाल ही में केंद्रीय मंत्री नेता धर्मेंद्र प्रधान ने दोनों राज्यों को आपसी सामंजस्य से विवाद को सुलझाने को कहा था।
कोटिया ग्राम पंचायत के दायरे में 22 राजस्व गांव और सात बस्तियां आती हैं।
सीमा विवाद
असम और मिजोरम का सीमा विवाद
असम से अलग होकर 1972 में मिजोरम एक नया केंद्र शासित प्रदेश और फिर राज्य बना था।
दोनों राज्य कछार, हैलाकंद और करीमगंज जिलों में सीमा साझा करते हैं और इन्हीं इलाकों में उनके बीच विवाद है।
1980 के दशक से दोनों राज्यों के बीच लगातार संघर्ष होता आ रहा है। जुलाई, 2021 में असम और मिजोरम की सीमा पर खूनी संघर्ष हुआ था। इस दौरान हुई फायरिंग में असम के छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी।
सीमा विवाद
असम-नागालैंड सीमा विवाद
इन दोनों पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सबसे लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है। इसकी शुरुआत 1963 में तब हुई थी जब नागालैंड को एक अलग राज्य बनाया था।
असम और नागालैंड आपस में 434 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। विवादित क्षेत्रों में गोलाघाट, जोरहाट और सिबसागर जिलों के हिस्से शामिल हैं।
1989 में असम ने सीमा विवाद के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर अभी तक फैसला नहीं आया है।
सीमा विवाद
हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के बीच विवाद
इन दोनों राज्यों के बीच पंचकुला से सटे परवाणू क्षेत्र को लेकर के विवाद चल रहा है। यहां अभी तक हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के बीच अच्छे से सीमा निर्धारित नहीं है।
हरियाणा का दावा है कि हिमाचल ने उसके एक बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया है और उसने सर्वे ऑफ इंडिया से सीमा का सीमांकन करने को कहा है।
2021 में दोनों राज्यों की संयुक्त स्थलीय निरीक्षण रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई थी।
सीमा विवाद
असम-मेघालय का सीमा विवाद
असम और मेघालय आपस में 733 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं और यहां 12 स्थान ऐसे हैं जो विवादित हैं। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (पुर्नगठन) अधिनियम, 1971 के तहत दोनों राज्यों में सीमांकन के बाद से ही यह विवाद जारी है।
साल 2021 में असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने इस सीमा विवाद को लेकर एक बैठक भी की थी, लेकिन फिर भी यह विवाद नहीं सुलझ पाया है।
विवाद
असम और अरूणाचल भी आमने-सामने
असम और अरुणाचल प्रदेश 800 किलोमीटर से ज्यादा अंतरराज्यीय सीमा साझा करते हैं। असम से अलग होकर ही अरुणाचल प्रदेश अलग राज्य बना था और 123 गांवों की स्थिति को लेकर दोनों राज्य आमने-सामने हैं।
साल 1989 से सुप्रीम कोर्ट में यह मामला लंबित है। 2021 में दोनों राज्यों ने नामसाई घोषणा पर हस्ताक्षर किया था। ऐसे में अब केवल 86 गावों को लेकर ही विवाद है। दोनों राज्य आपसी सहमति से इस विवाद को सुलझा रहे हैं।
सीमा विवाद
हिमाचल प्रदेश और लद्दाख का सीमा विवाद
हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के बीच सरचु को लेकर विवाद है। मनाली और लेह के बीच 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सरचु दोनों राज्यों का मध्य बिंदु है।
2016 में सर्वे ऑफ इंडिया ने सरचु क्षेत्र पर हिमाचल के दावे को मंजूरी दी थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों ने इस नक्शों को खारिज कर दिया था।
2021 में गृह मंत्रालय ने भी इस सीमा विवाद को लेकर एक बैठक की थी, जो बेनतीजा रही।
सीमा विवाद
केरल और तमिलनाडु में भी है सीमा विवाद
तमिलनाडु के नौ जिले केरल के साथ सीमा साझा करते हैं, जो ब्रिटिश शासन के तहत मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा थे। इसी को लेकर सालों से विवाद चल रहा है और यह विवाद भी अभी अनसुलझा है।
नवंबर, 2021 में केरल सरकार ने जमीन का डिजिटल सर्वे शुरू किया था। इसकी आलोचना करते हुए तमिलनाडु सरकार ने आरोप लगाया कि केरल विवादित जगहों पर कब्जा कर रहा है।
विवाद
महाराष्ट्र और कर्नाटक का सीमा विवाद
बलगाम और इसके आसपास के गांवों को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में सीमा विवाद चल रहा है।
अभी कर्नाटक में आने वाले ये इलाके पहले बॉम्बे प्रेसीडेंसी में हुआ करते थे, लेकिन 1957 में राज्यों के पुनर्गठन के समय इन्हें कर्नाटक को दे दिया गया, जबकि इन इलाकों की अधिकतर आबादी मराठी-भाषी है। तभी से इन इलाकों पर विवाद बना हुआ है।
अभी मामले पर दोनों राज्यों की सरकारें आमने-सामने हैं।