सुप्रीम कोर्ट के आपत्तियां सार्वजनिक करने पर रिजिजू का ऐतराज, बोले- उचित समय पर दूंगा जवाब
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति पर सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक करने पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सख्त ऐतराज जताया है।
रिजिजू ने कहा कि जांच एजेंसियों की गुप्त और संवेदनशील रिपोर्ट को सार्वजनिक करना गंभीर और चिंतनीय विषय है, जिस पर वह उचित समय पर प्रतिक्रिया देंगे और आज उपयुक्त समय नहीं है।
बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सरकार की आपत्तियों को सावर्जनिक कर दिया था।
घटनाक्रम
क्या था मामला?
19 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक अधिवक्ता सहित तीन वकीलों को हाई कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत करने पर सरकार की आपत्तियों और जांच एजेंसियों की रिपोर्ट पर कड़ा रुख अपनाया था।
कॉलेजियम ने इन आपत्तियों को सार्वजनिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था और इनका खंडन भी किया था।
कानून मंत्री ने कहा कि इस कार्य से खुफिया एजेंसियों की गोपनीयता बनाये रखने की प्रथा को धक्का लगा है और उन्हें इस पर आपत्ति है।
बयान
केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने क्या कहा?
जब रिजिजू से पूछा गया है कि क्या वह इस मामले को मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के सामने उठाएंगे तो उन्होंने कहा, "मुख्य न्यायाधीश और मैं अक्सर मिलते हैं। हम हमेशा संपर्क में रहते हैं। वह न्यायपालिका के प्रमुख हैं, मैं सरकार और न्यायपालिका के बीच सेतु हूं और हमें एक साथ काम करना होगा। हम अलग रहकर काम नहीं कर सकते। यह एक विवादास्पद मुद्दा है... इसे किसी और दिन के लिए छोड़ देते हैं।"
बयान
पहले भी जजों पर निशाना साध चुके हैं रिजिजू
इस पहले सोमवार को रिजिजू ने कहा था कि नेताओं की तरह जजों को चुनाव नहीं लड़ना पड़ता।
उन्होंने कहा था, "एक जज एक बार जज बनता है और उसे दोबारा चुनाव नहीं लड़ना पड़ता। जनता जजों की समीक्षा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने जजों के लिए कहा कि लोग उन्हें नहीं चुनते, लेकिन लोग उन्हें देखते हैं। उनके फैसलों को, उनके काम करने और न्याय देने के तरीके को देखते हैं।"
तनातनी
जजों की नियुक्ति पर चल रही है तनातनी
पिछले कुछ समय से जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच तनातनी चल रही है।
सरकार जजों की नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं है और उसने CJI को पत्र लिखकर कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि नियुक्त करने की मांग की है। उपराष्ट्रपति भी सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले पर सवाल उठा चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम का बचाव करते हुए इसे एक वैध कानूनी प्रक्रिया करार दिया है।