ओडिशा ट्रेन हादसा: शवों के ढेर में जीवित मिले लोग, क्या बचाव कार्य में हुई लापरवाही?
ओडिशा के बालासोर में 2 जून को हुए भीषण ट्रेन हादसे में 278 लोगों की मौत हुई है, जबकि सैंकड़ों घायल लोगों का इलाज चल रहा है। इस बीच अलग-अलग मामलों में 3 घायल लोगों के हादसे के घंटों बाद जीवित मिलने की बात सामने आई है। इनमें से 2 लोग ऐसे हैं, जिन्हें बचावकर्मियों ने मृत समझकर शवों के बीच रख दिया था। आइए इन तीनों मामलों के बारे में जानते हैं, जिनमें कथित लापरवाही सामने आई है।
शवों के ढेर के बीच जीवित मिला पश्चिम बंगाल का शख्स
इंडिया टुडे के मुताबिक, हादसे के बाद बचावकर्मियों ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के रहने वाले रॉबिन नैया को मृत समझकर बालासोर के एक सरकारी स्कूल के कमरे में शवों के ढेर के बीच रख दिया था। हालांकि, उन्होंने कराहते हुए एक कर्मचारी के पैर को पकड़कर मदद मांगी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया। आंध्र प्रदेश में मजदूरी के लिए जा रहे रॉबिन ने इस हादसे में अपने दोनों पैरों को खो दिया है।
लाशों के ढेर में दबे अपने घायल बेटे तक पहुंचा पिता
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए हावड़ा निवासी बिस्वजीत मलिक ने अपने पिता को फोन पर अपने जीवित होने की बात कही थी। इसके बाद बिस्वजीत के पिता 200 से अधिक किलोमीटर का सफर तय कर बालासोर पहुंचे और अस्पतालों में अपने बेटे की तलाश की। काफी ढूंढने के बाद बिस्वजीत स्कूल में बनाए गए एक स्थाई मुर्दाघर में घायल अवस्था में मिले। उनका कोलकाता के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है।
झाड़ियों के बीच 48 घंटे बाद जीवित मिला शख्स
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, असम के रहने वाले 35 वर्षीय दुलाल मजूमदार हादसे के करीब 48 घंटे बाद झाड़ियों में घायल अवस्था में पड़े मिले। दरअसल, ट्रेन के अंदर फंसे लोगों को बचाने में जुटे बचावकर्मी झाड़ियों के आसपास ढूंढने से चूक गए थे। आशंका है कि हादसे के बाद मजूमदार छिटककर झाड़ियों में गिर गए थे। उनकी आवाज सुनकर बचावकर्मियों ने उन्हें बालासोर जिला अस्पताल में भर्ती करवाया, जिसके बाद उन्हें AIIMS भुवनेश्वर में रेफर कर दिया गया।
ट्रक में "शवों" को एक के ऊपर एक लादने का वीडियो हुआ था वायरल
बता दें कि हादसे के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें बचावकर्मियों को लापरवाही के साथ कथित शवों को ट्रक में एक-दूसरे के ऊपर लादते हुए देखा जा सकता है। लोगों ने शवों के साथ किए जा रहे इस तरह के अमानवीय व्यवहार को लेकर प्रशासन की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा किया था। आशंका जताई जा रही है कि तेजी से बचाव कार्य करने की इच्छा में कुछ घायलों को मृत समझ लिया गया।
अभी 101 शवों की पहचान होना बाकी
हादसे में मारे गए 288 लोगों में से करीब 101 लोगों के शवों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। कुछ शवों के लिए कई परिवारों ने दावा किया है, जिसके बाद उनकी DNA जांच करवाई जा रही है। ओडिशा सरकार और भारतीय रेलवे ने शवों की तस्वीरें जारी कर लोगों से अपने परिवार के सदस्यों की जल्द से जल्द पहचान करने की अपील भी की है। कुछ शवों को उनके परिजन ले गए हैं।