कर्नाटक: क्या मुख्यमंत्री बनने जा रहे सिद्धारमैया के बारे में ये खास बातें जानते हैं आप?
क्या है खबर?
कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद को लेकर पिछले 4 दिनों से चल रहा संशय अब खत्म हो गया है। कांग्रेस ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया है।
शनिवार को बेंगलुरू में दोनों नेताओं का शपथ ग्रहण समारोह भी आयोजित किया जाना है।
सिद्धारमैया दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। आज सिद्धारमैया से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में जानते हैं।
बजट
किसी भी राज्य में सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड
सिद्धारमैया के नाम सबसे ज्यादा बार देश के किसी भी राज्य का बजट पेश करने का रिकॉर्ड है। उन्होंने कर्नाटक का वित्त मंत्री रहते हुए लगातार 13 बार बजट पेश किया है।
पूर्व प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री रहे मोरारजी देसाई ने लगातार 10 बार बजट पेश किया था और वे इस सूची में दूसरे नंबर पर हैं।
सिद्धारमैया ने अब तक 12 चुनाव लड़े हैं, जिसमें से 9 में जीत दर्ज की है।
कार्यकाल
कार्यकाल पूरा कर दूसरी बार सत्ता मे लौटने वाले कर्नाटक के दूसरे मुख्यमंत्री
1972 से 1980 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे डी देवराज उर्स के बाद सिद्धारमैया पहले मुख्यमंत्री होंगे, जो बतौर मुख्यमंत्री एक कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरी बार सत्ता में लौटेंगे।
वे एस निजलिंगप्पा और देवराज उर्स के बाद कर्नाटक के मात्र तीसरे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया है।
सिद्धारमैया पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया, एक चुनाव हारे और फिर मुख्यमंत्री के रूप में वापसी की।
रिकॉर्ड
ये रिकॉर्ड भी अपने नाम कर सकते हैं सिद्धारमैया
अगर सिद्धारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री के अपने दूसरे कार्यकाल को पूरा कर लेते हैं तो वे 2 कार्यकाल पूरा करने वाले कर्नाटक के एकमात्र मुख्यमंत्री बन जाएंगे। अभी तक राज्य में किसी भी मुख्यमंत्री ने 2 कार्यकाल पूरे नहीं किए हैं।
4 बार मुख्यमंत्री रहे बीएस येदियुरप्पा ने अभी तक एक भी कार्यकाल पूरा नहीं किया है।
सिद्धारमैया 1996 से 1999 और 2004 से 2005 तक 2 बार कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं।
पढा़ई
सिद्धारमैया को पढ़ाई में नहीं थी रुचि
12 अगस्त, 1948 को मैसूरु जिले के सिद्धारमहुंडी गांव के एक किसान परिवार में सिद्धारमैया का जन्म हुआ था। बताया जाता है कि कुरुबा गौड़ा समुदाय में जन्मे सिद्धारमैया की पढ़ाई में कोई खास रुचि नहीं थी।
10 साल की उम्र तक उनकी किसी तरह की औपचारिक स्कूली शिक्षा नहीं हुई थी। वे मवेशियों की देखभाल करते थे और खेती में पिता का हाथ बंटाते थे।
हालांकि, बाद में वे वकालत की पढ़ाई कर अपने गांव के पहले ग्रेजुएट बने।
निर्दलीय
निर्दलीय जीता पहला चुनाव
वकालत करने के दौरान सिद्धारमैया को चुनाव लड़ने की सलाह मिली। उन्होंने वकालत छोड़ दी और विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया।
साल 1983 में वे चामुंडेश्वीर सीट से जनता पार्टी का टिकट मांगने पार्टी अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा के पास गए। देवगौड़ा ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया।
इसके बाद सिद्धारमैया चामुंडेश्वरी से निर्दलीय के तौर पर चुनावी मैदान में उतर गए। बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि से आए सिद्धारमैया ने निर्दलीय होकर भी अपना पहला चुनाव जीत लिया।