
जस्टिस यशवंत वर्मा के निष्कासन प्रस्ताव पर बनेगी आम सहमति, चलाया जाएगा हस्ताक्षर अभियान
क्या है खबर?
घर के अंदर बेहिसाब नकदी मिलने के मामले में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा के निष्कासन के लिए केंद्र सरकार आम सहमति बनाएगी, जिसके लिए उसने राजनीतिक दलों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। न्यूज18 के मुताबिक, संसद में प्रस्ताव पेश करने के लिए सांसदों से हस्ताक्षर एकत्र करने का अभियान शुरू होगा, जो अगले सप्ताह से शुरू होने की संभावना है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी जल्द ही इस मामले में कोई फैसला सुना सकते हैं।
इस्तीफा
खुद से इस्तीफा नहीं दे रहे हैं न्यायमूर्ति वर्मा
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई 5 न्यायाधीशों वाली आंतरिक जांच समिति ने जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया और इस्तीफा देने को कहा है। जस्टिस वर्मा इस्तीफा देना नहीं चाहते हैं, इसलिए रिपोर्ट को न्यायिक निष्कासन की प्रक्रिया के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दी गई है। उन्हें हटाने के लिए महाभियोग भी शुरू होगी, जिसके लिए सरकार जल्द ही कदम उठाएगी। सांसदों के हस्ताक्षर के बाद सरकार एक औपचारिक समिति का गठन करेगी।
समिति
समिति ने ठहराया था दोषी
सुप्रीम की ओर से गठित समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थे। समिति का गठन 22 मार्च को हुआ था, जिसने 3 मई को अपनी रिपोर्ट भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को सौंपी थी। समिति ने रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को दोषी बताया ठहराया था और इस्तीफे का विकल्प दिया था।
विवाद
क्या है नकदी मिलने का मामला?
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च आग लग गई थी। उस समय वर्मा शहर में नहीं थे। उनके परिवार ने अग्निशमन और पुलिस को बुलाया। आग बुझाने के बाद टीम को घर से भारी मात्रा में नकदी मिली थी। इसकी जानकारी तत्कालीन CJI संजीव खन्ना को हुई तो उन्होंने कॉलेजियम बैठक बुलाकर न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया। इसके बाद जांच समिति गठित हुई थी।