केंद्र सरकार का फोन कंपनियों को आदेश, दो साल के लिए सुरक्षित रखें कॉल रिकॉर्ड्स
क्या है खबर?
दूरसंचार विभाग (DoT) की ओर से यूनिफाइड लाइसेंस एग्रीमेंट में कुछ बदलाव किए गए हैं।
इन बदलावों के साथ टेलिकॉम और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स और टेलिकॉम लाइसेंस वाली दूसरी कंपनियों को आदेश दिए गए हैं कि उन्हें कम से कम दो साल के लिए कॉमर्शियल और कॉल डीटेल रीकॉर्ड्स रखने होंगे।
पहले कंपनियां केवल एक साल के लिए कॉल रिकॉर्ड्स सुरक्षित रखती थीं।
सरकार ने सुरक्षा के मद्देनजर ये निर्देश ऑपरेटर्स और सर्विस प्रोवाइडर्स को दिए हैं।
नोटिफिकेशन
DoT की ओर से भेजा गया नोटिफिकेशन
21 दिसंबर को DoT की ओर से भेजे गए नोटिफिकेशन में कहा गया है कि किसी भी नेटवर्क पर किए गए कम्युनिकेशंस के सभी कॉल रिकॉर्ड, एक्सचेंज डीटेल रिकॉर्ड और IP डीटेल्स रिकॉर्ड का आर्काइव कम से कम दो साल के लिए रखा जाना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि सरकार सुरक्षा कारणों से ऐसा करने के निर्देश दे रही है।
इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स से सामान्य IP डीटेल रिकॉर्ड्स के अलावा 'इंटरनेट टेलिफोनी' भी सेव करने को कहा गया है।
आदेश
कई सुरक्षा एजेंसियों की ओर से मांगा गया था डाटा
वरिष्ठ DoT अधिकारी ने बताया, "यह एक प्रक्रियात्मक आदेश है। कई सुरक्षा एजेंसियों ने हमसे कहा है कि उन्हें कुछ मामलों में एक साल बाद भी डाटा की जरूरत पड़ती है और जांच खत्म होने में ज्यादा वक्त लग सकता है। हमने सभी सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ बैठक की और सभी ने ज्यादा वक्त के लिए डाटा सुरक्षित रखने पर सहमति जताई।"
साफ कर दें, कॉल रिकॉर्ड्स का मतलब कॉल पर की गईं दो लोगों की बातें नहीं होता।
वजह
जरूरत पड़ने पर मांगे जा सकते हैं रिकॉर्ड्स
DoT ने ऑपरेटर्स को जो लाइसेंस जारी किए हैं, उनके एग्रीमेंट क्लॉज नंबर 39.20 में कहा गया है कि ऑपरेटर्स को कॉल डीटेल रिकॉर्ड्स (CDRs) और IP डीटेल रिकॉर्ड्स (IPDR) कम से कम दो साल (पहले एक साल) के लिए रखने होंगे।
साथ ही ये रिकॉर्ड्स लाइसेंसर (यानी कि DoT) की ओर से 'सुरक्षा कारणों' से परखे जा सकेंगे।
इसके अलावा लाइसेंसर जरूरत पड़ने पर 'इन रिकॉर्ड्स से जुड़े निर्देश' ऑपरेटर्स को दे सकती हैं।
व्यवस्था
पहले ही ज्यादा वक्त के लिए आर्काइव होते हैं रिकॉर्ड्स
मोबाइल कंपनियों और दूसरे ऑपरेटर्स को जरूरत पड़ने पर ये रिकॉर्ड्स कानून एजेंसियों के सामने पेश करने पड़ते हैं और यह लाइसेंस एग्रीमेंट की अनिवार्य शर्त है।
मौजूदा प्रोटोकॉल के साथ उन्हें सरकार या न्यायालय की ओर से निर्देश दिए जा सकते हैं।
टेलिकॉम और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स अब भी सरकारी आदेश से ज्यादा वक्त के लिए डाटा सुरक्षित रखते हैं।
एक साल के बजाय ज्यादातर ऑपरेटर्स अब तक 18 महीने के लिए रिकॉर्ड्स सुरक्षित रखते थे।
डाटा
ऑपरेटर्स के लिए नया बदलाव कोई चुनौती नहीं
टेलिकॉम कंपनी से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि DoT के निर्देश ऑपरेटर्स को ज्यादा प्रभावित नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा, "दो साल तक के लिए रिकॉर्ड्स और डाटा सुरक्षित रखने के लिए कोई अतिरिक्त खर्च कंपनियों पर नहीं आएगा क्योंकि डाटा टेक्स्ट फॉरमेट में सेव किया जाता है, जो ज्यादा स्पेस नहीं लेता।"
डाटा को वाइप करते वक्त संबंधित अथॉरिटी को इसकी जानकारी दी जाती है और उसका निर्देश हो तो किसी जरूरी डाटा को डिलीट नहीं किया जाता।
जानकारी
आपकी प्राइवेसी पर नहीं पड़ेगा कोई असर
सरकार या कोई ऑपरेटर वे बातें नहीं सुनता, जो आप किसी के साथ कॉल पर कर रहे हैं। यह रिकॉर्ड जरूर सुरक्षित रखा जाता है कि आपने किस नंबर पर कब-कब और कितनी देर के लिए कॉल की। प्राइवेसी को इससे कोई नुकसान नहीं है।