यूक्रेन में अभी भी फंसे हुए हैं 15-20 भारतीय, निकालने के प्रयास जारी- सरकार
क्या है खबर?
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इसी बीच खबर आई है कि ऑपरेशन गंगा के तहत हजारों भारतीयों को निकालने के बाद भी 15-20 भारतीय अभी भी वहां फंसे हुए हैं।
ये सभी भारतीय यूक्रेन के युद्ध प्रभावित इलाकों में फंसे हुए हैं और वापस का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में सरकार उनकी सुरक्षित वापसी के प्रयासों में जुटी हुई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यह जानकारी दी है।
बयान
अभी खत्म नहीं हुआ है ऑपरेशन गंगा अभियान- बागची
बागची ने कहा कि ऑपरेशन गंगा के तहत अब तक हजारों भारतीयों को निकाला जा चुका है, लेकिन अभी भी 15-20 भारतीय वहां फंसे हुए हैं और सुरक्षित वापसी का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार इन लोगों तक सभी मदद पहुंचा रहीं है। कुछ लोग युद्ध प्रभावित खेरसन में फंसे हैं, लेकिन ऑपरेशन गंगा अभियान खत्म नहीं हुआ है और फंसे हुए भारतीयों को वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द ही उन्हें लाया जाएगा।
वापसी
यूक्रेन से अब तक हुई 22,500 नागरिकों की वापसी
इससे पहले मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में बताया था कि रूस के हमले के बाद से यूक्रेन से 22,500 से अधिक भारतीय नागरिकों को वापस लाया जा चुका है। हालांकि, वापसी के लिए 20,000 ने ही पंजीयन कराया था, लेकिन बाद में नए लोगों को भी वापस लाया गया है।
उन्होंने कहा भारत के ऑपरेशन गंगा में वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत पर चलते हुए 18 देशों के 147 नागरिकों को भी संघर्ष क्षेत्रों से निकाला है।
अन्य
35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के छात्रों को निकाला
विदेश मंत्री ने कहा था कि वापस लाए गए छात्रों में से आधे से ज्यादा छात्र पूर्वी यूक्रेन की यूनिवर्सिटी से थे। यह रूस की सीमा के नजदीक है और अब तक संघर्ष का केंद्र हैं।
उन्होंने कहा था बचाए गए छात्र भारत के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से थे। जिनमें केरल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और राजस्थान के 1,000-1,000 छात्र थे। इसी तरह भारतीय परिवारों से संबंधित कई यूक्रेनी नागरिकों भी लाया गया था।
निर्णय
कई छात्रों ने किया यूक्रेन में ही ठहरने का निर्णय
विदेश मंत्री ने बताया था कि सरकार के प्रयासों के बावजूद बड़ी संख्या में छात्रों ने यूक्रेन में रहने का फैसला किया है। सरकार ने उनकी स्थिति को समझते हुए उन्हें रहने की छूट दी थी।
उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को छोड़ने के लिए एक स्वाभाविक अनिच्छा थी, जो उनकी पढ़ाई को प्रभावित करती। कुछ यूनिवर्सिटी ने सक्रिय रूप से छात्रों को वहीं रहने के लिए कहा और ऑनलाइन पढ़ाई कराने से इनकार कर दिया था।
पृष्ठभूमि
भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए तैनात की गई थी टीमें
यूक्रेन से भारतीयों को सुरक्षित रूप से निकालने के लिए सरकार ने चारों पड़ोसी देशों में स्थिति अपने दूतावास से टीमों को यूक्रेन सीमा पर भेजा था।
इसके अलाचा चार केंद्रीय मंत्रियों को विशेष दूत के रूस में वहां भेजा था। ये सभी अधिकारी और मंत्री संबंधित देशों की सरकार से समन्वय कर भारतीयों की वापसी सुनिश्चित कर रहे थे।
अभियान में एयर इंडिया के साथ स्पाइसजेट, इंडिगो और भारतीय वायुसेना के C-16 विमानों की मदद ली गई थी।