क्या लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं के दूध का सेवन सुरक्षित है?
भारत में इस समय लंपी वायरस (LSD) बीमारी का प्रकोप बना हुआ है। अब तक देश के 15 राज्यों में इसके मामले आ चुके हैं और अब 75,000 से अधिक जानवरों की मौत हो चुकी है। इसी बीच लोगों में संक्रमित पशुओं के दूध के सेवन को लेकर भी डर बना हुआ है और अधिकतर लोगों ने पशुओं को दूध पीना भी बंद कर दिया है। आइये जानते हैं कि क्या लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं का दूध सुरक्षित है?
सुरक्षित है संक्रमित पशुओं के दूध का सेवन- IVRI
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के संयुक्त निदेशक अशोक कुमार मोहंती ने कहा, "लंपी वायरस एक गैर-जूनोटिक बीमारी है और जानवरों से मनुष्यों में नहीं फैलती है। अभी तक इस तरह को कोई भी मामला सामने नहीं आया है। ऐसे में संक्रमित पशुओं के दूध का सेवन पूरी तरह सुरक्षित है।" उन्होंने कहा, "दूध उबालने के बाद या बिना उबाले दूध पीने से भी उसकी गुणवत्ता में कोई फर्क नहीं आता है। वह समान रूप से उपयोगी है।"
"बीमारी के कारण प्रभावित हो सकता है दूध का उत्पादन"
मोहंती ने आगे कहा, "भले ही संक्रमित पशुओं के दूध का सेवन सुरक्षित है, लेकिन इस बीमारी के कारण पशुओं में दूध का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। हालांकि, यह बीमारी के स्तर और पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता के आधार पर प्रभावित होता है।" उन्होंने कहा, "दूध उत्पादन पर स्थानीय प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन देश भर में पशुओं में संक्रमण के प्रसार पर सटीक आंकड़ों के अभाव में अभी इसकी मात्रा निर्धारित करना मुश्किल है।"
समय पर वैक्सीनेशन से रोके जा सकते हैं प्रभाव- मोहंती
मोहंती ने कहा, "संक्रमित पशु बुखार और अन्य लक्षणों के कारण कमजोर हो जाते हैं और यह दूध उत्पादन को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यदि पशुओं का समय पर वैक्सीनेशन किया जाए तो रोग और दूध उत्पादन पर इसके प्रभाव को रोका जा सकता है।" उन्होंने कहा, "अगर पशु पहली बार संक्रमित होता है और वैक्सीनेशन नहीं कराया जाता है,तो दूध का उत्पादन 40-50 प्रतिशत तक कम होने का खतरा बढ़ जाता है।"
लंपी वायरस के खिलाफ प्रभावी है बकरी के चेचक की वैक्सीन
मोहंती ने कहा कि अब तक लंबी वायरस के प्रसार को रोकने के लिए बकरी के चेचक की वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, इसके खिलाफ एक आधिकारिक वैक्सीन भी विकसित की जा चुकी है। नियामक मंजूरी मिलने के बाद उसका उपयोग किया जाएगा। IVRI के वैज्ञानिक अमित कुमार ने बताया कि बकरी के चेचक की वैक्सीन लंपी वायरस के प्रसार को रोकने में 100 प्रतिशत प्रभावी है। पहले भी इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है।
भारत ने लंपी वायरस के खिलाफ इजाद की वैक्सीन
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के दो संस्थानों हरियाणा के हिसार में स्थित ICAR-नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्विन्स ने उत्तर प्रदेश के इज्जतनगर स्थित ICAR-IVRI के सहयोग से लाइव एटेन्यूएटेड LSD वैक्सीन 'लंपी-प्रोवाकाइंड' (Lumpi-ProVacInd) विकसित की है।
क्या है लंपी वायरस?
पशु चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, लंपी वायरस (LSD) जानवरों में को होने वाला एक बेहद संक्रामक चर्म रोग है। यह पॉक्स वायरस से जानवरों में फैलती है। यह बीमारी मच्छर और मक्खी के जरिए एक से दूसरे पशुओं तक पहुंचती है। इसके अलावा यह खून चूसने वाले कीड़े, मक्खियों की कुछ प्रजातियों, दूषित भोजन और पानी के जरिए भी फैलता है। संक्रमण के बाद समय रहते इलाज नहीं होने पर जानवर तड़पकर दम भी तोड़ देते हैं।
क्या हैं लंपी वायरस के लक्षण?
इस बीमारी में पशु के शरीर पर छोटी-छोटी गाठें बनती है जो बाद में बड़ी हो जाती हैं। जानवरों के शरीर पर जख्म दिखने लगते हैं और वह खाना कम कर देता है। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घटने लगती है। शुरुआत में पशु को दो से तीन दिन के लिए हल्का बुखार रहता है। जानवरों के मुंह, गले, श्वास नली तक इस बीमारी का असर दिखता है। मुंह से लार निकलने के साथ आंख-नाक से भी स्राव होता है।
लंपी वायरस से प्रभावित राज्य कौनसे हैं?
पशुपालन और डेयरी विकास मंत्रालय के अनुसार, देश के गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड सहित 16 राज्यों के 197 जिलों में लंपी वायरस के मामले सामने आ चुके हैं। इन राज्यों में अब तक 75,000 पशुओं की मौत हो चुकी है। इनमें राजस्थान में सबसे अधिक 55,000 से अधिक पशुओं की मौत हुई है। इस बीमारी से देशभर में अब तक कुल 16.42 लाख पशु संक्रमित हो चुके हैं।