105 साल की दादी ने बनाया रिकॉर्ड, 45.40 सेकंड्स में पूरी की 100 मीटर की दौड़
आमतौर पर आपको ऐसे उम्रदराज लोग मिलेंगे, जो अक्सर कहते हैं कि अब उम्र हो गई है और उनके लिए नाचना, घूमना और दौड़ना मुश्किल काम है, लेकिन दुनिया में ऐसे उम्रदराज लोग भी हैं, जो उम्र को सिर्फ एक संख्या समझकर प्रेरणा की मिसाल बनते हैं। इस बात का सटीक उदाहरण हरियाणा के चरखी दादरी में रहने वाली 105 वर्षीय रामबाई ने पेश किया, जिन्होंने 100 मीटर की रेस को 45.40 सेकंड्स में पूरा करके एक नया रिकॉर्ड बनाया।
सबसे अधिक उम्र वाली अकेली प्रतिभागी रही रामबाई
गुजरात के वडोदरा में भारतीय एथलेटिक्स महासंघ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रामबाई अकेली प्रतिभागी थी क्योंकि 85 वर्ष से अधिक आयु का कोई अन्य एथलीट था ही नहीं। रामबाई ने 100 और 200 मीटर की रेस में भाग लिया था और उन्होंने 15 जून को हुई 100 मीटर की रेस 45.40 सेकंड में पूरी की, जबकि 19 जून को हुई 200 मीटर की रेस 1 मिनट 52.17 सेकंड में पूरी की और दो गोल्ड मेडल जीते।
देखिए दौड़ लगाती रामबाई का वीडियो
अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेना चाहती हैं रामबाई
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रामबाई ने 100 मीटर की रेस को 45.40 सेकंड में पूरा करके 101 वर्षीय मान कौर के पिछले रिकॉर्ड को तोड़कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। मान कौर ने वर्ल्ड मास्टर्स मीट में 74 सेकंड में 100 मीटर की रेस पूरी करके गोल्ड मेडल जीता था। अब रामबाई का अगला लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेना है और वह पासपोर्ट के लिए आवेदन करने की योजना बना रही हैं।
दादी की डाइट और वर्कआउट रूटीन है उनकी जीत का कारण
अपनी जीत के बारे में बात करते हुए दादी ने बताया, "मैं चूरमा, दही और दूध का सेवन करती हूं।" वहीं, जब उनकी पोती शर्मिला सांगवान से रामाबाई की डाइट पूछी गई तो उन्होंने कहा, "वह शुद्ध शाकाहारी हैं और रोजाना लगभग 250 ग्राम घी और 500 ग्राम दही समेत दिन में दो बार 500 मिलीलीटर शुद्ध दूध पीती हैं। इसके अतिरिक्त, मेरी दादी खेतों में बहुत काम करती हैं और वह रोजाना तीन-चार किलोमीटर दौड़ती हैं।"
रामबाई ने वाराणसी से किया था दौड़ का डेब्यू
1 जनवरी, 1917 को जन्मी रामबाई ने नवंबर, 2021 में वाराणसी में अपनी पहली दौड़ का डेब्यू किया था और इसके बाद उन्होंने केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक में होने वाले कई रेस कार्यक्रमों में भी भाग लेकर कई मेडल जीते हैं। शर्मिला ने बताया कि उनकी दादी सबसे पहले सिर्फ खेतों में दौड़ती थीं और तब वह सलवार-कमीज और सामान्य शूज पहनकर ही दौड़ लगाती थीं, लेकिन अब उन्होंने रनिंग शूज और ट्रैक-सूट पहनना शुरू कर दिया है।