जानवरों में फैली लंपी वायरस बीमारी से कैसे मुकाबला कर रहा है भारत?
क्या है खबर?
भारत इस समय जानवरों में फैली बेहद संक्रामक लंपी वायरस (LSD) बीमारी से जूझ रहा है।
23 अप्रैल को गुजरात के कच्छ में पहला मामला सामने आने के बाद से अब तक देश के 15 राज्यों में इसके मामले आ चुके हैं। इससे अब 67,000 से अधिक जानवरों की मौत हो चुकी है।
ऐसे में सरकार ने राज्यों को वैक्सीनेशन अभियान में तेजी लाने को कहा है।
आइये जानते हैं कि भारत इस बीमारी से कैसे मुकाबला कर रहा है।
जानकारी
क्या है लंपी वायरस?
पशु चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, लंपी वायरस (LSD) जानवरों में को होने वाला एक बेहद संक्रामक चर्म रोग है। यह पॉक्स वायरस से जानवरों में फैलती है। यह बीमारी मच्छर और मक्खी के जरिए एक से दूसरे पशुओं तक पहुंचती है।
इसके अलावा यह खून चूसने वाले कीड़े, मक्खियों की कुछ प्रजातियों, दूषित भोजन और पानी के जरिए भी फैलता है।
संक्रमण के बाद समय रहते इलाज नहीं होने पर जानवर तड़पकर दम भी तोड़ देते हैं।
ऐहतियात
क्या कदम उठा रही सरकार?
पशुपालन और डेयरी विभाग के सचिव जतिंद्र नाथ स्वैन ने बताया कि लंपी वायरस से राजस्थान में प्रतिदिन सबसे अधिक 600-700 जानवरों की मौत हो रही है, जबकि अन्य राज्यों में यह संख्या 100 से भी कम है।
उन्होंने कहा कि केंद्र ने प्रभावित राज्यों में सभी जानवरों को बकरी में होने वाले चेचक की वैक्सीन का वैक्सीनेशन करने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने कहा कि लंपी वायरस के खिलाफ यह वैक्सीन 100 प्रतिशत प्रभावी और सुरक्षित है।
सफलता
भारत ने लंपी वायरस के खिलाफ इजाद की वैक्सीन
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के दो संस्थानों ने हाल ही में लंपी वायरस के खिलाफ एक स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने में सफलता हासिल की है। इससे पहले इस वायरस के खिलाफ कोई आधिकारिक वैक्सीन नहीं थी।
हरियाणा के हिसार में स्थित ICAR-नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्विन्स ने उत्तर प्रदेश के इज्जतनगर स्थित ICAR-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के सहयोग से लाइव एटेन्यूएटेड LSD वैक्सीन 'लंपी-प्रोवाकाइंड' (Lumpi-ProVacInd) विकसित की है।
उत्पादन
हर महीने होगा चार करोड़ खुराकों का उत्पादन
सचिव स्वैन ने बताया कि लंपी वायरस के खिलाफ वैक्सीन तैयार करने वाले संस्थान हर महीने चार करोड़ खुराकों का उत्पादन करने में सक्षम है। ऐसे में जल्द ही इसका उत्पादन शुरू कर वैक्सीनेशन का काम शुरू किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में बकरी में होने वाले चेचक की वैक्सीन से वैक्सीनेशन किया जा रहा है। इसके लिए बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभारित आठ राज्यों को इस वैक्सीन की 1.5 करोड़ खुराकों की आपूर्ति भी की जा चुकी है।
जानकारी
पशु मेलों पर लगाई रोक
सरकार ने बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए सभी तरह के पशु मेलों पर रोक लगा दी है। इसके अलावा जानवरों को समूह में ले जाने पर रोक लगाने के साथ मृत जानवरों को प्रोटोकॉल के तहत गहरा दफनाने के निर्देश दिए हैं।
प्रभावित
लंपी वायरस से प्रभावित राज्य कौनसे हैं?
पशुपालन और डेयरी विकास मंत्रालय के अनुसार, देश के गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड सहित 15 राज्यों के 175 जिलों में लंपी वायरस के मामले सामने आ चुके हैं।
इन राज्यों में अब तक 67,000 पशुओं की मौत हो चुकी है। इनमें राजस्थान में सबसे अधिक 50,000 से अधिक पशुओं की मौत हुई है।
राजस्थान में जोधपुर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर, बीकानेर, हनुमानगढ़ और चुरू जिलों की हालत सबसे अधिक खराब है।
लक्षण
क्या हैं लंपी वायरस के लक्षण?
इस बीमारी में पशु के शरीर पर छोटी-छोटी गाठें बनती है जो बाद में बड़ी हो जाती हैं। जानवरों के शरीर पर जख्म दिखने लगते हैं और वह खाना कम कर देता है। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घटने लगती है।
शुरुआत में पशु को दो से तीन दिन के लिए हल्का बुखार रहता है। जानवरों के मुंह, गले, श्वास नली तक इस बीमारी का असर दिखता है। मुंह से लार निकलने के साथ आंख-नाक से भी स्राव होता है।
खतरा
उपचार नहीं मिलने पर हो सकती है जानवरों की मौत
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बीमारी के कारण जानवरों के लिंफ नोड में सूजन, पैरों में सूजन, दूध उत्पादकता में कमी, गर्भपात, बांझपन की समस्या के साथ समय पर उपचार नहीं मिलने पर मौत भी हो जाती है।
हालांकि, ज्यादातर संक्रमित जानवरों दो से तीन सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, लेकिन दूध के उत्पादन में कई सप्ताह तक कमी बनी रहती है।
इस बीमारी में मृत्यु दर 15 प्रतिशत है और संक्रमण दर 10-20 प्रतिशत रहती है।