रूस से 70 डॉलर प्रति बैरल से कम पर तेल खरीदना चाहता है भारत- रिपोर्ट
क्या है खबर?
रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी और यूरोपीय देशों उसके खिलाफ खड़े हो गए हैं। इन देशों ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है। ऐसे में अब रूस ने भारत को कच्चा तेल खरीदने का प्रस्ताव दिया है।
अब भारत ने रूस को 70 डॉलर प्रति बैरल से कम पर तेल बेचने का प्रस्ताव दिया है। यदि ऐसा होता है तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आ सकती है।
वार्ता
भारत और रूस के बीच चल रही है वार्ता
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि इस संदर्भ में भारत और रूस देशों के बीच वार्ता जारी है और इसका जल्द ही परिणाम निकल सकता है।
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि भारत प्रति बैरल 70 डॉलर (करीब 5,300 रुपये) से कम पर रूसी तेल खरीदना चाहता है। हालांकि, भारत की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई भी आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है।
उम्मीद
रूस के छूट देने पर 1.5 मिलियन बैरल तेल खरीद सकता है भारत
सूत्रों ने कहा कि अगर रूस भारत द्वारा बताई गई कीमतों पर सहमत होता है और भारत को तेल भेजता है तो भारत के सरकारी रिफाइनर एक महीने में लगभग 1.5 मिलियन बैरल तेल ले सकते हैं, जो कुल आयात का दसवां हिस्सा होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार से जुड़े प्रोसेसर किसी भी संभावित समझौते से लाभान्वित होंगे। रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी जैसे निजी रिफाइनर आमतौर पर व्यक्तिगत रूप से अपना फीडस्टॉक खरीदते हैं।
हालात
वर्तमान में क्या है कच्चे तेल की कीमत?
रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आया है। पिछले महीने तेल के दाम 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए थे और वर्तमान में 105 डॉलर प्रति बैरल पर है।
पश्चिम और यूरोपीय देशों के रूस से तेल की खरीद बंद करने के बाद रूस ने भारत को तेल खरीद का प्रस्ताव दिया है।
अब भारत OPEC+ प्रोड्यूसर के साथ सौदे के संभावित जोखिम की भरपाई के लिए बड़ी छूट चाहता है।
खरीद
भारत ने खरीदा 40 मिलियन बैरल से अधिक रूसी तेल
बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल आयातक देश है और उसकी सरकारी और निजी रिफाइनर ने फरवरी के अंत में यूक्रेन पर हमले के बाद से 40 मिलियन बैरल से अधिक रूसी तेल खरीदा है।
मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर ब्लूमबर्ग की गणना के अनुसार, यह पूरे 2021 में रूस से भारत आने वाले तेल की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है। इसका रूस को काफी फायदा मिला है। अब भारत उससे लाभ चाहता है।
आयात
85 प्रतिशत से अधिक तेल आयात करता है भारत
बता दें कि भारत अपना 85 प्रतिशत से अधिक तेल आयात करता है और रूसी कच्चे तेल के कुछ शेष खरीदारों में से एक है। वहीं कच्चा तले व्लादिमीर पुतिन के शासन के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है।
यूरोपीय मांग का कम होना रूस के तेल उद्योग पर गंभीर दबाव डाल रहा है, सरकार का अनुमान है कि इस साल उत्पादन में 17 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। यह रूस के लिए बड़ा झटका है।
राहत
भारत ने रूसी तेल की खरीद पर नहीं लगाया प्रतिबंध
बता दें कि पश्चिम और यूरोपीय देशों के आह्वान के बाद भी भारत ने रूसी तेल की खरीद पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन समुद्री बीमा जैसे क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को कड़ा करने और अमेरिका द्वारा नई दिल्ली पर दबाव के चलते रूस के साथ व्यापार कठिन बनता जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक भारी छूट वाले तेल के लिए रूस के साथ अपने संबंधों को कम करने के लिए पश्चिमी दबाव का विरोध किया है।