भारत में कोरोना महामारी के कारण 19 लाख बच्चों ने माता-पिता को खोया, अध्ययन में खुलासा
कोरोना वायरस महामारी पूरी दुनिया पर कहर बनकर टूटी है। इसके कारण दुनियाभर में अब तक 59.27 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच महामारी में अनाथ हुए बच्चों को लेकर मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसमें कहा गया है कि महामारी के दौरान अकेले भारत में 19.17 लाख बच्चों ने माता-पिता या देखभाल करने वाले को खो दिया। हालांकि, भारत सरकार ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है।
इन देशों के शोधकर्ताओं ने किया था अध्ययन
लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, कोरोना महामारी में अनाथ होने वाले बच्चों की जानकारी जुटाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), US सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, यूनिवर्सिटी ऑफ केप टाउन के शोधकर्ताओं गणितीय मॉडल के आधार पर 20 देशों में अध्ययन किया था। इसमें सामने आया कि 1 मार्च, 2020 से 31 अक्टूबर, 2021 के बीच 52 लाख बच्चों ने माता-पिता या देखभाल करने वालों को खो दिया।
भारत में सबसे अधिक 19 लाख बच्चों ने खोए माता-पिता
अध्ययन के अनुसार, महामारी की इस अवधि में भारत में सबसे अधिक 19.17 लाख बच्चों ने अपने माता-पिता या देखभाल करने वाले को खोया है। इसके उलट जर्मनी में सबसे कम 2,400 बच्चों ने माता-पिता को खोया है। हालांकि, जनसंख्या के अनुपात में अनाथ होने वाले बच्चों की औसत संख्या पेरू और दक्षिण अफ्रीका में अधिक रही। पेरू में प्रत्येक 1,000 हजार में से आठ और दक्षिण अफ्रीका में सात बच्चों ने माता-पिता या देखभाल करने वाले को खोया है।
10-17 साल के सबसे ज्यादा बच्चों ने परिजनों को खोया
अध्ययन के अनुसार, महामारी की इस अवधि में 10-17 साल के 21 लाख बच्चों ने अपने माता-पिता या देखभाल करने वालों को खोया है। इसी तरह पांच से नौ साल के 7.40 लाख और चार साल तक के पांच लाख बच्चों ने परिजनों को खोया है। अनाथ होने वाले प्रत्येक चार बच्चों में से तीन ने पिता को खोया है। इसी तरह भारत में 49 प्रतिशत बच्चों ने अपने पिता और 15 प्रतिशत बच्चों ने अपनी मां को खोया है।
छह महीनों में दोगुनी हुई माता-पिता को खोने वाले बच्चों की संख्या
अध्ययन में कहा गया है कि 1 मार्च, 2020 से 30 अप्रैल, 2021 के बीच दुनियाभर में करीब 25 लाख बच्चों ने अपने माता-पिता या देखभाल करने वाले को खोया था, लेकिन मई 2021 से अक्टूबर 2021 तक अनाथ होने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई। इससे स्पष्ट है कि महामारी की दूसरी लहर ने दुनिया को खतरनाक रूप से प्रभावित किया और लाखों की संख्या में बच्चों से उनके माता-पिता को छीन लिया है।
मौतों को कम करके बताए जाने की है संभावना- डॉ अनविन
अध्ययन की प्रमुख लेखिका डॉ सुसान हिल्स ने कहा कि दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत में बच्चों के अनाथ होने की संख्या में भारी उछाल देखने को मिला है। इसी तरह इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के प्रमुख लेखक डॉ जूलियट अनविन ने कहा, "अनाथ होने और देखभाल करने वालों की मौतों के अनुमान जितने अधिक हैं, उन्हें कम करके आंकने की संभावना है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में यह संख्या और अधिक हो सकती है।"
केंद्र सरकार ने किया अध्ययन के आंकड़ों का खंडन
इस अध्ययन के सामने आने के बाद महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इसका खंडन करते हुए कहा कि लैंसेट जर्नल में शोधकर्ताओं की टीम ने भारत में अनाथ हुए बच्चों के डाटा को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। मंत्रालय ने कहा कि बाल स्वराज-कोविड देखभाल पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल 1,53,827 बच्चे या तो अनाथ हुए हैं या इन्होंने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है या फिर परिजनों ने उन्हें छोड़ दिया।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के बाल स्वराज-कोविड देखभाल पोर्टल के अनुसार, देश में 1 मार्च, 2020 के बाद कुल 10,386 बच्चे अनाथ हुए हैं और 1,42,949 ने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। इसी तरह महामारी की चपेट में आने के बाद से 492 बच्चों को परिजनों ने छोड़ दिया। ओडिशा में सबसे अधिक 26,318 बच्चों और महाराष्ट्र में 20,429 बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को खोया है।