क्या है भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तेजी से उछाल का कारण?
क्या है खबर?
देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में तेजी से इजाफा हो रहा है। छह राज्यों में वर्तमान में प्रेट्रोल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गई है।
इससे महंगाई और महामारी के इस दौर में आम आदमी की जेब पर बड़ा कट लग रहा है।
इसके बाद भी सरकार कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है।
यहां जानते हैं कि आखिर कीमतों के बढ़ने के पीछे क्या कारण है।
इजाफा
पांच महीने में 11.6 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ पेट्रोल
देश में तेल की बढ़ती कीमतों का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बीते करीब पांच महीनों में पेट्रोल के दामों में 11.6 रुपये और डीजल के दामों में 12.4 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
चौंकाने वाली बात यह है कि 4 मई के बाद से देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में 22 बार बढ़ोतरी की जा चुकी है।
इसके कारण पिछले 37 दिनों में पेट्रोल 5.15 रुपये और डीजल 5.74 रुपये महंगा हो चुका है।
कीमत
देश के छह राज्यों में 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंचा पेट्रोल
देश में लगातार बढ़ती पेट्रोल-डीजल की कीमतों के कारण वर्तमान में छह राज्यों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर बिक रहा है।
इनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और लद्दाख शामिल है। इतना ही नहीं मुंबई में पेट्रोल की कीमत 101.71 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गई है। जबकि, यहां डीजल के दाम 93.77 रुपये प्रति लीटर है।
इसी तरह राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 95.56 रुपये और डीजल 86.45 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है।
कारण
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के कारण बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के दाम
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से इजाफा हो रहा है।
बता दें कि साल 2021 में कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में आ रहे उछाल के अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं।
साल की शुरुआत में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 51.8 डॉलर प्रति बैरल थी जो अब 37.1 प्रतिशत इजाफे के साथ 71 डॉलर प्रति बैरल हो गई है।
तुलना
2014 की तुलना में कहीं अधिक है पेट्रोल-डीजल की कीमत
अंतराष्ट्रीय बाजार में भले कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हो रहा है, लेकिन यह साल 2014 की तुलना में बहुत कम है।
उस दौरान भारत के क्रूड बास्केट की औसत कीमत 105.5 डॉलर प्रति बैरल थी। इससे पहले 2013 में यह 101 डॉलर प्रति बैरल थी, लेकिन उस समय देश में पेट्रोल की कीमत 76.6 रुपये लीटर थी।
इसी तरह 2018 में क्रूड बास्केट की कीमत 80.1 डॉलर होने के बाद भी पेट्रोल की कीमत 75.7 रुपये लीटर थी।
अन्य कारण
पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर कैसे पड़ता है टैक्स का प्रभाव?
पेट्रोल और डीजल पर लगातार बढ़ते केंद्रीय और राज्य करों ने भी इनकी कीमतों को ऊंचाई पर पहुंचाने का काम किया है।
हालात यह है कि दिल्ली में पेट्रोल की कीमत में 57 प्रतिशत और डीजल में 51.4 प्रतिशत हिस्सा केंद्र और राज्य सरकार के टैक्स का है।
केंद्र सरकार ने 2020 में कोरोना महामारी के बाद आर्थिक गतिविधियों की गिरावट को देखते हुए पेट्रोल पर 13 रुपये और डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया था।
प्रयास
बढ़ती कीमतों को देखकर कई राज्यों ने वापस ली बढ़ोतरी
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों को देखते हुए राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय सहित कई राज्यों ने महामारी के दौरान बढ़ाए गए राज्य करों को वापस ले लिया था, लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसा नहीं किया।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने भी केंद्र को मुद्रास्फीति को कम करने के लिए करों में कटौती का सुझाव दिया था।
दिल्ली में डीजल पर कुल करों में 71.8 प्रतिशत और पेट्रोल पर 60.1 प्रतिशत हिस्सा केंद्र का है।
प्रभाव
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल आयातक देश है। इसके कारण भारत पर विदेशी मुद्रा भंडार का अतिरिक्त भार पड़ता है।
RBI की रिपोर्ट के अनुसार कच्चे तेल के दामों में प्रति बैरल 10 डॉलर की वृद्धि होने से सरकार का 12.5 बिलियन डॉलर का घाटा बढ़ जाता है। भारत 100 बिलियन डालर से अधिक का खर्च पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर ही करता है। कच्चे तेल की कीमतों का सीधा असर महंगाई के रूप में अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
अन्य प्रभाव
महंगाई का बड़ा कारण बन सकती हैं तेल की बढ़ती कीमत
तेल के दामों में लगातार बढ़ोतरी से भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। यह महंगाई का एक बहुत बड़ा कारण बनेंगे और आम जनता की कमाई और खर्च में बड़ी गिरावट पैदा करेंगे।
कोरोना महामारी की आर्थिक तबाही ने पहले ही आम जनता की कमाई में बड़ी कटौती की है और तेल के बढ़ते दाम इस प्रभाव को दोगुना कर कर रहे हैं।
हालांकि, आर्थिक गतिविधियों के बंद होने से सरकार भी कुछ नहीं कर सकती है।
बयान
सरकार नहीं कर रही है करों में कटौती का विचार- प्रधान
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि बढ़ते पेट्रोल और डीजल के दामों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में हो रही बढ़ोतरी जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि सरकार फिलहाल पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले करों में कटौती करने पर कोई विचार नहीं कर रही है। वर्तमान में सरकार के पास राजस्व आय नहीं है और वह खर्चों के साथ समझौता नहीं कर सकती है। स्वास्थ्य क्षेत्र में तेजी से खर्च बढ़ा है।
समाधान
क्या हो सकता है बिगड़ती स्थिति का समाधान?
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों को GST के दायरे में लाने पर विचार करना चाहिए। GST व्यवस्था की सबसे उच्च दर यानी कि 28 प्रतिशत भी पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में काफी कमी ला सकता है।
इसके अलावा गैर पेट्रोलियम वाहनों एवं संयंत्रों के विकसित करने पर काम किया जाना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था में नए ऊर्जा विकल्पों की तलाश कर उन्हें विकसित करना बहुत जरूरी हो गया है।