पुतिन के परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर करने के बाद उठते अहम सवालों के जवाब
क्या है खबर?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बीच परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर रहने का आदेश दिया है।
उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश न सिर्फ आर्थिक क्षेत्र में दुश्मनी भरे कदम उठा रहे हैं बल्कि NATO (नॉर्थ अटलाटिंक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) देशों के शीर्ष अधिकारी रूस के प्रति आक्रामक बयान दे रहे हैं।
आइये, पुतिन की इस घोषणा के बाद उठ रहे सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
रूस
हमेशा अलर्ट पर होते हैं परमाणु बल
जेनेवा सेंटर फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी में परमाणु प्रसार विशेषज्ञ मार्क फिनौड के अनुसार, NATO की तरह ही रूस के परमाणु हथियार अलर्ट पर रहते हैं और इन्हें 10 मिनट के भीतर लॉन्च किया जा सकता है। ये हथियार या तो मिसाइलों पर लगे होते हैं या इन्हें तुरंत लगाया जा सकता है।
बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट में छपे एक लेख में हेंस क्रिस्टनसेन और मैट कोरडा ने लिखा कि रूस ने करीब 1,600 हथियारों को तैनात किया हुआ है।
जानकारी
क्या बढ़ाई गई है तैनाती?
क्रिस्टनेन ने रविवार को लिखा कि चूंकि रूसी परमाणु बल हमेशा अलर्ट पर ही रहते हैं। ऐसे में असली सवाल यह है कि क्या पुतिन ने पनडुब्बियों और जहाजों पर और हथियार तैनात किए हैं?
यूक्रेन युद्ध
अलर्ट का स्तर बढ़ाया क्यों गया है?
अलजजीरा के अनुसार, अधिकतर जानकारों का कहना है कि यूक्रेन में रूसी सेना को भारी झटकों का सामना करना पड़ा है और परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर करना इसी बौखलाहट का नतीजा है।
पेरिस स्थित थिंक-टैंक जीन जॉरस फाउंडेशन से जुड़े डेविड खालफा ने कहा कि यूक्रेन के प्रतिरोध से रूस बौखला गया है। रूस को आसान जीत की उम्मीद थी, लेकिन अब उसे चुनौतियों का सामना करना और सैनिकों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
यूक्रेन युद्ध
सार्वजनिक तौर पर इसका ऐलान क्यों किया गया?
यूक्रेन को मिल रही मदद और रूस पर बढ़ते प्रतिबंधों के बीच पुतिन का यह कदम उनके दुश्मनों को बांटने का एक कदम हो सकता है।
वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज से जुड़े एलियट कॉहेन ने कहा कि पुतिन रिस्क लेने वाले नेता हैं और वो अभी वो मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं खालफा ने कहा कि पुतिन इस घोषणा के सहारे रूस पर लग रहे और प्रतिबंधों को रोकना चाहते हैं।
जानकारी
पुरानी नीति से पलट रहा है रूस
पुतिन का यह ऐलान उनके द्वारा बनाए गए चार सिद्धांतों के खिलाफ है। दरअसल, पुतिन ने 2020 में उन चार स्थितियों को मंजूरी दी थी, जिनमें रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन अभी उनमें से एक भी स्थिति पैदा नहीं हुई है।
रूस
किन स्थितियों में परमाणु हमले का विकल्प रखा गया था?
रूस का कहना था कि वह तभी परमाणु हथियारों इस्तेमाल करेगा-
जब रूस और सहयोगी देशों पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला होगा।
जब दुश्मन देश रूस के खिलाफ परमाणु हथियार इस्तेमाल करेगा।
जब रूस के परमाणु ठिकानों पर हमला होगा।
या जब रूस के अस्तित्व को खतरा पैदा करने वाला हमला होगा।
रूस ने उस दस्तावेज पर भी हस्ताक्षर किए हैं जिसमें लिखा गया था कि परमाणु युद्ध कभी नहीं जीता जा सकता और परमाणु युद्ध कभी नहीं लड़ना चाहिए।
प्रतिक्रिया
दुनिया ने इस ऐलान पर क्या प्रतिक्रिया दी?
पुतिन का यह ऐलान रूस की सेनाओं के लिए अलर्ट का उच्चतम स्तर है। पश्चिमी देशों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसका विरोध किया है।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि परमाणु हथियारों के बारे में यह विचार समझ से बाहर है। वहीं यूक्रेन की सरकार ने कहा कि यह शांति वार्ता से पहले डराने की कोशिश है।
बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच आज बेलारूस में शांति वार्ता होने जा रही है।