कोरोना: इस साल के अंत तक भारत में कौन सी आठ वैक्सीनें उपलब्ध होंगी?
केंद्र सरकार ने साल के अंत तक सभी देशवासियों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल वैक्सीन की कमी से जूझ रहे देश में सरकार का दावा है कि अगस्त से दिसंबर के बीच वैक्सीन की 216 करोड़ खुराकें उपलब्ध रहेंगी। नीति आयोग के सदस्य और कोरोना टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने कहा कि आने वाले महीनों में भारत के वैक्सीनेशन अभियान में आठ अलग-अलग वैक्सीनें होंगी। आइये, जानते हैं कि ये कौन सी वैक्सीनें होंगी।
कोवैक्सिन
कोवैक्सिन कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार की गई पहली पूर्ण स्वदेशी वैक्सीन है। इसे हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर विकसित किया है। ट्रायल के नतीजों से पता चला कि यह कोरोना वायरस के खिलाफ इस वैक्सीन की प्रभावकारिता 78 प्रतिशत है। कंपनी आने वाले दिनों में अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार करेगी और सरकार को उम्मीद है कि उसे दिसंबर तक इसकी 55 करोड़ खुराकें मिल जाएंगी।
कोविशील्ड
पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा बनाई जा रही कोविशील्ड को फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार किया है। इस साल के अंत तक इसकी 75 करोड़ खुराकें उपलब्ध होने की उम्मीद है।
स्पूतनिक-V
कोविशील्ड और कोवैक्सिन के बाद भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी पाने वाली स्पूतनिक-V तीसरी कोरोना वायरस वैक्सीन है। स्पूतनिक-V वैक्सीन सामान्य जुकाम करने वाले मानव एडिनोवायरस में जेनेटिक बदलाव करके बनाई गई है। इसे रूसी सेना ने मॉस्को के गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडिमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के साथ मिलकर विकसित किया है। यह कोरोना के खिलाफ 91.6 प्रतिशत प्रभावी है। दिसंबर के अंत तक इसकी 15.6 करोड़ से अधिक खुराकें उपलब्ध होंगी।
बायोलॉजिकल ई
हैदराबाद स्थित एक और फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल ई लिमिटेड (BE) ने BECOV2A वैक्सीन विकसित की है। इंजेक्शन के जरिये पूरे मृत रोगाणु को शरीर में भेजने की बजाय यह वैक्सीन उसके ऐसे भाग को अंदर भेजती है, जिससे इंसानी शरीर मजबूत इम्युनिटी विकसित कर सकता है। माना जाता है कि इस प्रकार की वैक्सीन तुलनात्मक रूप से सुरक्षित और किफायती होती है। कंपनी को साल के अंत तक 30 करोड़ खुराकों के उत्पादन का कहा गया है।
जाइडस कैडिला
अहमबाद स्थित कंपनी जाइडस कैडिला ने कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए ZyCoV-D वैक्सीन विकसित की है। ऐसा माना जा रहा है कि दिसंबर तक यह कंपनी अपनी वैक्सीन की पांच करोड़ खुराकों का उत्पादन कर लेगी। इस वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर करने की जरूरत होती है, लेकिन यह कमरे के तापमान पर भी स्थिर रहती है। जाइडस कैडिला को उम्मीद है कि इसी महीने इस वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल जाएगी।
कोवावैक्स
अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स ने सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर NVX-CoV2373 वैक्सीन विकसित की है। इसे कोवावैक्स नाम दिया गया है। इस प्रोटीन-बेस्ड एंटी कोरोना वायरस वैक्सीन ने इंग्लैंड में तीसरे चरण के ट्रायल के दौरान 89.3 प्रतिशत प्रभावकारिता दिखाई है। दिसंबर तक इसकी 20 करोड़ खुराकें मिलने की उम्मीद है। भारत में इसी महीने इसके तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो जाएगा और सितंबर तक इसके बाजार में उपलब्ध होने की उम्मीद है।
जिन्नोवा और भारत बायोटेक की वैक्सीन
पुणे स्थित एक और फार्मा कंपनी जिन्नोवा बायोफार्मास्यूटिकल लिमिटेड भी एक कोरोना वायरस वैक्सीन पर काम कर रही है। सरकार ने कहा है कि दिसंबर तक यह कंपनी वैक्सीन की छह करोड़ खुराकें उपलब्ध करा देगी। इसके अलावा कोवैक्सिन निर्माता भारत बायोटेक एक और नैजल वैक्सीन तैयार कर रही है। इस वैक्सीन को नाक के जरिये दिया जा सकेगा और इंजेक्शन की जरूरत नहीं होगी। दिसंबर तक इसकी 10 करोड़ खुराकें उपलब्ध होंगी।