दिल्ली में अब उप राज्यपाल ही 'सरकार', संशोधित कानून लागू
दिल्ली में अब उप राज्यपाल (LG) ही 'सरकार' है। दरअसल, केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र संशोधन कानून, 2021 को अधिसूचित कर दिया है। इसका मतलब है कि दिल्ली में लोगों की चुनी हुई सरकार के मुकाबले उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां देने वाला कानून अब लागू हो गया है। संसद से पारित होने के बाद पिछले महीने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसे मंजूरी दी थी। वहीं विपक्षी पार्टियों ने इस कानून को लोकतंत्र की हत्या करने वाला बताया था।
क्या हैं इस कानून के प्रावधान?
इस कानून के अनुसार, दिल्ली में सरकार का मतलब 'उप राज्यपाल' होगा और विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक को मंजूरी देने की पूरी ताकत उसके पास होगी। यह कानून उन मामलों में भी उप राज्यपाल को विवेकाधीन शक्तियां प्रदान करता है, जहां कानून बनाने का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार यानी विधानसभा को दिया गया है। साथ ही दिल्ली सरकार को कोई भी निर्णय लागू करने से पहले उप राज्यपाल की राय लेनी होगी।
कानून के उद्देश्य में क्या लिखा गया है?
इनके अलावा कानून में यह भी प्रावधान है कि दिल्ली विधानसभा राजधानी के दैनिक प्रशासन के मामलों पर विचार करने या प्राशसनिक निर्णयों लेने में खुद को सक्षम करने के लिए कोई नियम नहीं बना सकेगी। कानून के उद्देश्यों में लिखा हुआ है कि यह दिल्ली में निर्वाचित सरकार और उप राज्यपाल के दायित्त्वों को और अधिक स्पष्ट करेगा और साथ दोनों की जिम्मेदारियों को दिल्ली के शासन की संवैधानिक योजना के अनुरूप परिभाषित करेगा।
कानून को लेकर आपत्ति क्या है?
इस कानून को विधेयक के रूप में लोकसभा में पेश किए जाने के बाद से दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी (AAP) और विपक्षी दल इसे लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। इनका आरोप है कि इसके जरिये केंद्र सरकार उप राज्यपाल के माध्यम से दिल्ली पर राज करना चाहती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में क्या फैसला था?
इस कानून के लागू होने के बाद दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच टकराव बढ़ने के आसार है। यह टकराव पहले भी सुप्रीम कोर्ट में जा चुका है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि कि दिल्ली सरकार को पुलिस, शांति व्यवस्था और भूमि के अलावा किसी भी अन्य मुद्दे पर उप राज्यपाल की सहमति की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, सरकार को निर्णयों के बारे में उप राज्यपाल को सूचित करना जरूरी होगा।
उप राज्यपाल केवल एक प्रशासक- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के उप राज्यपाल की शक्तियां अन्य राज्यों के राज्यपालों जैसी नहीं है और वह सीमित अर्थ में केवल एक प्रशासक है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार को ध्यान रखना होगा कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है। यह फैसला आने के बाद दिल्ली सरकार ने किसी भी फैसले को लागू करने से पहले उप राज्यपाल के पास कार्यकारी मामलों की फाइलें भेजना बंद कर दी थी।