जाइडस कैडिला को इसी महीने अपनी कोरोना वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी मिलने की उम्मीद
अहमदाबाद स्थित फार्मा कंपनी जाइडस कैडिला को उम्मीद है कि इसी महीने उसकी कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल जाएगी। कंपनी ने कहा कि वो जल्द ही आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी पाने के लिए आवेदन करेगी। जाइडस कैडिला का कहना है कि वह हर महीने इस वैक्सीन की एक करोड़ खुराकों का उत्पादन करेगी। अगर ZyCoV-D को मंजूरी मिलती है तो यह कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक-V के बाद भारत में इस्तेमाल होने वाली चौथी वैक्सीन होगी।
2-8 डिग्री तापमान पर स्टोर की जा सकती है वैक्सीन
वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद कंपनी ने उत्पादन क्षमता में विस्तार करने की योजना बनाई है। कंपनी का कहना है कि वह हर महीने 3-4 करोड़ खुराकों का उत्पादन करेगी और इसके लिए वह दो अन्य कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है। कंपनी का कहना है कि उसकी वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर करने की जरूरत होती है, लेकिन यह कमरे के तापमान पर भी स्थिर रहती है।
ट्रायल में 28,000 वॉलेंटियरों को दी गई वैक्सीन
इंडिया टुडे से बात करते हुए कंपनी के प्रबंधक निदेशक डॉ श्रवील पाटिल ने कहा कि ZyCoV-D आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बहुत करीब पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ पहली स्वदेशी DNA वैक्सीन मंजूरी के करीब पहुंच गई है। इसके सभी क्लिनिकल ट्रायल पूरे कर लिए गए हैं। इसके ट्रायल के लिए भारत में सबसे ज्यादा मरीजों को भर्ती किया गया था। ट्रायल के दौरान 28,000 वॉलेंटियरों को वैक्सीन की खुराक दी गई थी।
12-17 साल के बच्चों पर भी हुआ ट्रायल
पाटिल ने बताया कि कंपनी ने वैक्सीन के ट्रायल के में 12 से 17 साल की उम्र तक के बच्चों को भी शामिल किया था। उन्होंने बताया कि प्रभावकारिता से जुड़े आंकड़े मिलते ही कंपनी इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन कर देगी। मई मध्य तक ये आंकड़े सामने आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद जुलाई से जाइडस कैडिला इसका उत्पादन शुरू कर देगी।
शुरुआती चरणों में वैक्सीन ने दिए अच्छे नतीजे
ट्रायल के शुरुआती चरणों में इस वैक्सीन ने अच्छे नतीजे दिए हैं। जाइडस की वैक्सीन की खास बात इसका इंट्राडर्मल इंजेक्शन होना है। इसे देना बहुत आसान है और यह वैक्सीन की वजह से होने वाले गंभीर साइड इफेक्ट्स की आशंका को भी कम कर देता है। बता दें कि इंट्राडर्मल इंजेक्शन वो होते हैं, जो मांसपेशियों की बजाय त्वचा में लगाए जाते हैं। इस वजह से वैक्सीन लगवाते समय होने वाला दर्द भी कम हो जाता है।
देश में अभी ये वैक्सीन्स हो रहीं इस्तेमाल
भारत में 16 जनवरी से दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान शुरू हुआ था। इसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत ने रूस में बनी स्पूतनिक-V को भी आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है और जल्द ही इसका इस्तेमाल भी शुरू कर दिया जाएगा। अगर जाइडस की वैक्सीन को हरी झंडी मिलती है तो यह इस सूची में शामिल होने वाली चौथी वैक्सीन होगी।