LAC के पास हाइवे बना रहा भारत, चीन को मिलेगा जवाब
भारत अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास हाइवे का निर्माण करने जा रहा है। चुशुल से लेकर डेमचोक के बीच बनने वाले इस सिंगल लेन हाइवे की लंबाई 135 किलोमीटर होगी और यह अगले दो सालों में बनकर तैयार हो जाएगा। LAC के उस पार चीन की तैयारियों का जवाब देने में यह हाइवे अहम भूमिका निभाएगा। बता दें कि पिछले कुछ सालों से दोनों ही देश LAC के दोनों ओर अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहे हैं।
चुशुल से डुंगती और फुकचे होते हुए डेमचोक पहुंचेगा हाइवे
न्यूज18 के अनुसार, सीमा सड़क संगठन (BRO) ने 23 जनवरी को चुशुल-डुंगती-फुकचे-डेमचोक हाइवे के निर्माण के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। इस परियोजना पर 400 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसके तहत पहले से मौजूद सड़क को नेशनल हाइवे सिंगल लेन के मानकों के अनुरूप विकसित किया जाएगा। लेह में यह हाइवे भारत-चीन सीमा के पास से गुजरेगा। इसके बनने के बाद संवेदनशील इलाके में सैनिकों और हथियारों की आवाजाही तेज हो सकेगी।
चुशुल में हुई थी रेजांग ला की लड़ाई
चुशुल वह जगह है, जहां 1962 में रेजांग ला की लड़ाई लड़ी गई थी। वहीं डेमचोक में भारत और चीन के बीच टकराव का इतिहास रहा है। ऐसे में दोनों जगहों के बीच बन रहा यह हाइवे सामरिक महत्व वाला होगा और इसके रास्ते में तीन बेहद महत्वपूर्ण पुल भी बनाए जाएंगे। बता दें कि चीन पिछले काफी समय से अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है और भारत पर भी अपना ढांचा मजबूत करने का दबाव था।
लद्दाख में बन रहा है एयरफील्ड
लद्दाख में बन रहे एयरफील्ड के बाद यह हाइवे लेह क्षेत्र में भारत की तैयारियों को और मजबूत करेगा। BRO ने पिछले महीने ही लद्दाख में न्योमा एयरफील्ड बनाने के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। इसमें एक एडवांस लैंडिंग ग्राउंड भी होगा, जहां लड़ाकू विमान भी उतर सकेगा। यह एडवांस लैंडिंग ग्राउंड भारत में सबसे अधिक ऊंचाई वाला होगा। वहीं LAC से भी इसकी दूरी महज 50 किलोमीटर होगी। यहां से चीन की हरकतों पर नजर रखना आसान होगा।
दो साल में उतर सकेंगे लड़ाकू विमान
न्योमा एयरफील्ड में बनने वाले इस लैंडिंग ग्राउंड को विकसित करने में 214 करोड़ रुपये की लागत आएगी और यह दो साल में तैयार हो जाएगा। यह 1,235 एकड़ जमीन पर फैला होगा और यहां 2.7 किलोमीटर लंबा रनवे होगा।
भारत और चीन के रिश्तों में चल रहा है तनाव
भारत और चीन के बीच पिछले कुछ सालों से सीमा विवाद को लेकर तनाव चल रहा है। 2020 में लद्दाख स्थित गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं चीनी सेना को भी नुकसान पहुंचा था। इसके बाद हालिया समय में बीते साल दिसंबर में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में एक बार फिर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आई थी।
चीन के खिलाफ है अब तक की सबसे ज्यादा तैनाती
तवांग में हुई झड़प के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारतीय सेना LAC पर चीन को यथास्थिति नहीं बदलने देगी। उन्होंने कहा था कि इस समय वहां चीन के खिलाफ भारतीय सेना की अब तक की सबसे बड़ी तैनाती है। 2020 से हो रहे चीनी सेना के जमावड़े को देखते हुए यह तैनाती की गई है। उन्होंने कहा था कि LAC पर एकतरफा बदलाव को रोकने के लिए इतनी सेना की तैनाती की गई है।