प्रेस स्वतंत्रता मामले में पिछड़ा भारत, जानिए कैसे 8 साल में फिसलता गया पायदान
वैश्विक मीडिया पर नजर रखने वाली संस्था रिपोटर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) की प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक के मुताबिक, भारत की रैंकिंग गिरी है और देश पिछले साल के मुकाबले 11 अंक गिरकर 161वें स्थान पर पहुंच गया है। भारत पिछले साल 180 देशों में 150वें स्थान पर था। इस बार भारत की स्थिति पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मुकाबले बदतर है, क्योंकि पाकिस्तान सूचकांक में 150वें और अफगानिस्तान 152वें स्थान पर है। हालांकि, दोनों देशों में पत्रकारों सुरक्षा गंभीर स्थिति में है।
साल दर साल फिसलता गया भारत
RSF की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की स्थिति पिछले 8 सालों में बेहद खराब हुई है। वर्ष 2016 में भारत की रैंक 133वीं थी। इसके बाद वर्ष 2017 में यह थोड़ी गिरी और 136 पर पहुंच गई। इसके बाद स्थिति बिगड़ती चली गई और हर साल रैंकिंग में भारत कुछ पायदान फिसलता गया। वर्ष 2018 में भारत 138वें, 2019 में 140वें पायदान पर रहा। वर्ष 2020 और 2021 में 142वीं रैंक रही। पिछले साल भारत 150वें स्थान पर पहुंच गया।
अन्य देशों की क्या है स्थिति?
भारत की तुलना प्रमुख तौर पर उसके पड़ोसी देशों से की जाती है। ऐसे में RSF का प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक बताता है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान भारत के मुकाबले प्रेस स्वतंत्रता के मामले में थोड़ा सही है। इसके अलावा बांग्लादेश 163वें पायदान और चीन 179वें स्थान पर है। उत्तर कोरिया 180 देशों की सूची में सबसे अंतिम 180वें स्थान पर है। इसके अलावा रूस में सरकार के पक्ष में प्रचार के कारण रैंकिंग गिरकर 164वें स्थान पर पहुंची है।
भारत की स्थिति क्यों खराब?
DW के मुताबिक, RSF 180 देशों में पत्रकारिता के लिए अनुकूल वातावरण का मूल्यांकन करती है। इनकी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी उद्योगपति द्वारा मीडिया संस्थानों के अधिग्रहण ने बहुलवाद को खतरे में डाला है। रैंकिंग 5 श्रेणियों के आधार पर तय की जाती है, जिसमें राजनीतिक संदर्भ, कानूनी ढांचा, आर्थिक संदर्भ, सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ और पत्रकारों की सुरक्षा शामिल है। इन 5 श्रेणियों में सबसे कम अंक पत्रकारों की सुरक्षा को 172 मिले हैं।
शीर्ष देशों में कौन?
प्रेस स्वतंत्रता के मामले में नार्वे, आयरलैंड, डेनमार्क इस साल भी शीर्ष 3 देशों में शामिल है। नार्वे लगातार 7 साल से पहले स्थान पर बना हुआ है। अमेरिका इस साल तीन पायदान नीचे खिसक कर 45वें स्थान पर पहुंच गया है। अमेरिका में 2022 और 2023 में हुई दो पत्रकारों की हत्या से रैंकिंग पर असर पड़ा है। इसके अलावा RSF की रिपोर्ट में डिजिटल क्षेत्र में फेक सामग्री उद्योग से प्रेस स्वतंत्रता पर असर को बताया गया है।