कोरोना वायरस: भारत में शुरू हुआ स्पूतनिक-V वैक्सीन का दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल
रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन 'स्पूतनिक-V' का भारत में दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो गया है। भारत की डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज और रूस की रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) ने मंगलवार को ये जानकारी दी। हिमाचल प्रदेश के कसौली की सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरीज से मंजूरी मिलने के बाद ये ट्रायल शुरू किया गया है। पहले 100 लोगों पर ट्रायल करके वैक्सीन की सुरक्षा की जांच की जाएगी और इसके बाद 1,400 लोगों पर ट्रायल किया जाएगा।
ट्रायल में 95 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है वैक्सीन
स्पूतनिक-V वैक्सीन सामान्य जुकाम करने वाले मानव एडिनोवायरस में जेनेटिक बदलाव करके बनाई गई है। इसे रूसी सेना ने मॉस्को के गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडिमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के साथ मिलकर विकसित किया है और 24 नवंबर को रूस ने इसके 95 प्रतिशत प्रभावी होने का दावा किया था। ट्रायल के विश्लेषण में वैक्सीन को पहली खुराक दिए जाने के 28 दिन बाद 91.4 प्रतिशत और 42 दिन बाद 95 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है।
भारत समेत कई देशों में होना है तीसरे चरण का ट्रायल
वैक्सीन का वर्तमान में बेलारूस, संयुक्त अरब अमीरात, वेनेजुएला और अन्य देशों में तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। इसी तरह हाल ही में भारत में भी इसके दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी मिली थी और अब ये ट्रायल शुरू हो गया है। भारत में वैक्सीन के वितरण के लिए गामालेया रिसर्च इंस्टिट्यूट और RDIF ने हैदराबाद की डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज के साथ करार किया है और वही इसका ट्रायल कर रही है।
हरी झंडी मिलने पर भारत को मिलेगी 10 करोड़ खुराकें
अगर सबकुछ ठीक रहता है और ट्रायल में स्पूतनिक-V को प्रभावी पाया जाता है तो भारत को इसकी 10 करोड़ खुराकें मिलेंगी जो पांच करोड़ लोगों को इम्युनिटी प्रदान करने लिए काफी है। इसके अलावा भारत में होने वाले 'स्पूतनिक-V' के उत्पादन से ब्राजील, चीन, दक्षिण कोरिया के साथ करीब 50 देशों को सप्लाई की जाएगी। इन देशों ने रूस को 1.2 अरब यानी 1,200 करोड़ खुराकों का ऑर्डर दिया है। ऐसे में वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है।
दूरदराज इलाकों तक ले जाना होगा आसान
जानकारी के अनुसार, स्पूतनिक वैक्सीन को दो रूपों में बनाया गया है। पहला द्रव रूप है जिसे माइनस 18 डिग्री सेल्सियस पर रखना जरूरी होगा। वहीं दूसरा लाइयोफिलाइज्ड (जमे हुए) रूप में हैं और इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखा जा सकेगा और इसने दूरदराज इलाकों में ले जाने में आसानी होगी। दूरदराज के इलाकों में डिलीवरी की चुनौती को देखते हुए ही विशेष तौर पर लाइयोफिलाइज्ड वैक्सीन बनाई गई है।
अगस्त में बिना ट्रायल पूरे किए ही लॉन्च कर दी गई थी स्पूतनिक-V
बता दें कि स्पूतनिक-V को अगस्त में बिना ट्रायल पूरे किए ही लॉन्च कर दिया गया था और इसे लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने सवाल खड़े किए थे। दरअसल, आमतौर पर किसी भी वैक्सीन को तीसरे चरण का ट्रायल पूरा होने के बाद ही लॉन्च किया जाता है, जिसमें हजारों लोगों को इसकी डोज देकर देखा जाता है कि ये कितनी प्रभावी और सुरक्षित है। वैक्सीन के सुरक्षित न होने पर ये लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।