कोरोना वायरस: कई एशियाई देशों में वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी क्यों है?
क्या है खबर?
दुनिया के कई देशों में पिछले कुछ हफ्तों से कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है।
अभी तक दुनियाभर में 30 करोड़ से अधिक खुराकें लगाई जा चुकी हैं और वैक्सीनेशन में अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोपीय देश सबसे आगे हैं।
वहीं कई एशियाई देशों में अभी तक वैक्सीनेशन अभियान शुरू नहीं हो पाया है और अगर कहीं शुरू हुआ है तो इसकी रफ्तार धीमी है।
आइये, जानते हैं किन देशों में ऐसा है और क्यों है?
कोरोना वैक्सीनेशन
फिलिपींस में डर बनी बड़ी वजह
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, फिलिपींस में फरवरी में वैक्सीनेशन अभियान शुरू होना था, लेकिन यहां इसी महीने वैक्सीन की खेप पहुंची है।
यहां लोगों में वैक्सीन को लेकर डर भी व्याप्त है। इस डर की वजह 2016 में डेंगू से बचाव के लिए लॉन्च की गई डेंगवैक्सिया वैक्सीन है। इसे लगाने के बाद कई बच्चों की मौत हो गई थी, जिसके चलते वैक्सीन वापस लेनी पड़ी। लोग अभी भी उस घटना को भूले नहीं हैं।
डाटा
फिलिपींस की केवल 19 फीसदी आबादी वैक्सीनेशन की इच्छुक
एक हालिया सर्वे में पता चला है कि फिलिपींस की केवल 19 फीसदी आबादी ही वैक्सीन लगवाने की इच्छुक है। इसके चलते कई चुनौतियां आ रही हैं। साथ ही वैक्सीन के देरी से पहुंचने से भी वैक्सीनेशन अभियान तय समय पर शुरू नहीं हो सका।
वैक्सीनेशन अभियान
पाकिस्तान में भी चुनौतियां खड़ी कर रहा वैक्सीन को लेकर डर
पाकिस्तान में वैक्सीन को लेकर लोगों में बैठे डर ने कई परेशानियां खड़ी की हैं। डर के चलते यहां लोग वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं।
रिपोर्ट में पेशावर के डॉक्टर के हवाले से लिखा गया है कि वैक्सीनेशन के पहले दिन 400 स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई जानी थी, लेकिन इनमें से एक चौथाई भी वैक्सीन लगवाने नहीं पहुंचे।
यहां की सरकार यह भी कह चुकी है कि वह हर्ड इम्युनिटी के जरिये महामारी को हराने की कोशिश करेगी।
ऐहतियात
संभलकर कदम रख रहे कुछ एशियाई देश
कई एशियाई देशों में वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है, लेकिन यह रफ्तार नहीं पकड़ पाया है।
जानकारों का कहना है कि यहां वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट नहीं है, लेकिन ये सावधानी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इनमें से कुछ देशों में संक्रमण काबू आ चुका है और वैक्सीनेशन के लिए इनके पास पर्याप्त समय है।
विशेषज्ञों ने बताया कि इंतजार से इन देशों को वैक्सीन का अगर कोई नुकसान होगा तो उसके बारे में पता लग जाएगा।
कोरोना वैक्सीनेशन
एक जैसी रणनीति पर चल रहे सिंगापुर, कंबोडिया, वियतनाम
दक्षिण कोरिया के प्रधानमंत्री ने वैक्सीनेशन अभियान देर से शुरू करने का बचाव करते हुए कहा कि जानबूझकर देश में 25 फरवरी से वैक्सीनेशन शुरू किया गया था ताकि यह पता चल सके कि बाकी जगहों पर कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए बनाई गईं वैक्सीन्स कैसे काम कर रही हैं।
दक्षिण कोरिया की तरह सिंगापुर, कंबोडिया और वियतनाम आदि भी इसी रणनीति पर चलते हुए बाकी जगहों पर वैक्सीनेशन के प्रभावों का आंकलन कर रहे हैं।
कोरोना वैक्सीन
जापान में आड़े आ रही वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट
जापान में आगामी ओलंपिक गेम्स के सफलतापूर्वक आयोजन को देखते हुए वैक्सीनेशन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, लेकिन यहां वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट बड़ी परेशानी बना रही है।
जापान दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां वैक्सीन पर सबसे कम भरोसा किया जाता है। 1990 के दशक में यहां साइड इफेक्ट्स के चलते खसरा, रुबेला जैसी बीमारियों के खिलाफ चल रहे वैक्सीनेशन अभियान को रोकना पड़ा था। उसके बाद से यहां वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट जारी है।
कोरोना वायरस
दुनियाभर में वैक्सीनेशन की क्या स्थिति?
ब्लूमबर्ग के वैक्सीन ट्रैकर के अनुसार, दुनियाभर में अभी तक वैक्सीन की 30 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है। इनमें से सबसे ज्यादा नौ करोड़ खुराकें अमेरिका में लगाई गई है। यहां प्रति 100 लोगों में से 27 से अधिक को वैक्सीन की कम से कम खुराक दी जा चुकी है।
बता दें कि अमेरिका कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित देश बना हुआ है।
वहीं भारत में अब तक 2.09 करोड़ खुराकें लगाई गई हैं।