
बिहार में बने जूतों का रूस में इस्तेमाल, रक्षा उपकरणों के निर्यात में 30 गुना बढ़ोतरी
क्या है खबर?
रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट से पता चला कि वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा उपकरणों का निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो 21,083 करोड़ रुपये है। यह पिछले एक दशक में 30 गुना बढ़ोतरी है।
इसके अलावा रक्षा उत्पादन भी बढ़ा है, जो 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचा है। इसमें वर्ष 2014-15 से 174 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
भारत ने 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत 100 से अधिक देशों को उपकरण भेजे हैं।
रक्षा
भारत ने इन चीजों का किया निर्यात
रक्षा क्षेत्र के निर्यात में भारत ने साल-दर-साल 32.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 15,920 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 21,083 करोड़ रुपये हो गया है।
भारत ने बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (Do-228) विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तेज इंटरसेप्टर बोट और हल्के टॉरपीडो भेजे हैं।
इसके अलावा बिहार में बने सैन्य जूते रूसी सेना के गियर का हिस्सा है। भारत के प्रमुख शीर्ष रक्षा खरीदारों में अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया शामिल हैं।
उपकरण
अब 65 प्रतिशत रक्षा उपकरणों का भारत में होता है निर्माण
इंडिया टुडे ने रक्षा मंत्रालय के हवाले से बताया कि पहले 65 से 70 प्रतिशत रक्षा उपकरण बाहरी देशों से मंगाने पड़ते थे, जबकि अब 65 प्रतिशत उपकरण भारत में ही बनाए जा रहे हैं।
रक्षा उत्पादन में बढ़ोतरी को उन्नत सैन्य प्लेटफार्म के विकास से बल मिला है, जिसमें धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम, एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS), मुख्य युद्धक टैंक (MBT) अर्जुन, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH), आकाश मिसाइल सिस्टम आदि शामिल हैं।
सौदा
रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र का योगदान 21 प्रतिशत
रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार में 16 DPSU, 430 से अधिक लाइसेंस प्राप्त कंपनियां और करीब 16,000 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम (MSME) शामिल हैं।
बताया गया है कि भारत के कुल रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र का योगदान 21 प्रतिशत है।
मंत्रालय 2018 में शुरू रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) के जरिए एक संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दे रहा है। iDEX को 449.62 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं।
लक्ष्य
रक्षा उत्पादन का क्या है लक्ष्य?
भारत का लक्ष्य है कि 2029 तक वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनने के लिए रक्षा उत्पादन में 3 लाख करोड़ रुपये का सौदा होना चाहिए।
इसके अलावा 2029 तक रक्षा निर्यात को भी 50,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाना है।
रिपोर्ट में कहा गया कि रक्षा बजट में 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपये से 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है।
रक्षा बजट में सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।