भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का किया सफल परीक्षण, ध्वनि की रफ्तार से ज्यादा तेज
क्या है खबर?
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच बुधवार को भारत ने रक्षा क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अपने पीजे-10 प्रॉजेक्ट की तहत विस्तारित रेंज की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण केंद्र (ITR) से सफल परीक्षण किया है।
इस मिसाइल की मारक क्षमता 400 किलोमीटर से ज्यादा और रफ्तार ध्वनि से तीन गुना अधिक है।
उपकरण
मिसाइल में लगाए गए हैं स्वेदशी बूस्टर और एयरफ्रेम
NDTV के अनुसार भारत के लिए यह परीक्षण इसलिए भी खास है कि मिसाइल के इस विस्तारित रेंज वर्जन में लगाए गए बूस्टर, प्रपल्शन सिस्टम, एयरफ्रेम, पॉवर सप्लाई समेत कई अहम उपकरण भारत में ही विकसित किए गए हैं।
ऐसे में इसे सरकार के आत्मनिर्भर भारत पहल की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है। इस मिसाइल को समुद्र, जमीन और लड़ाकू विमानों से भी दागा जा सकता है। इससे नौसेना और वायु सेना की ताकत बढ़ेगी।
प्रतिक्रिया
सरकार और रक्षा मंत्री ने दी DRDO को बधाई
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद सरकार और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO को बधाई दी है।
सरकार ने कहा, "आज के सफल परीक्षण ने स्वदेशी बूस्टर और शक्तिशाली ब्रह्मोस मिसाइल के अन्य स्वदेशी उपकरणों के साथ आत्मनिर्भर भारत की सफलता का मार्ग प्रशस्त किया है।"
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, 'ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की एक्सटेंडेड रेंज के सफल परीक्षण के लिए DRDO को बधाई। यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देगी।'
ताकत
दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है ब्रह्मोस
बता दें कि ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।
इसे DRDO और रूस के प्रमुख एरोस्पेस उपक्रम NPOM द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया था। यह मध्यम रेंज की रेमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बियों, युद्धपोतों, लड़ाकू विमानों तथा जमीन से भी दागा जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि यह मिसाइल पहले से ही भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना के पास है। इससे तीनों सेनाओं की ताकत में इजाफा हुआ है।
परीक्षण
विस्तारित रेंज में कम दूरी की मिसालाई का पहले ही किया जा चुका है परीक्षण
बता दें कि यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण का दूसरा परीक्षण था। पिछले साल सितंबर में ही DRDO ने 290 किमी तक दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस का परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज में किया गया था।
इसी तरह ब्रह्मोस के लंबी दूरी तक मार करने वाले पहले संस्करण का परीक्षण 11 मार्च, 2017 को किया गया था। जमीन पर 490 किमी दूर लक्ष्य को भेदने में सक्षम ब्रह्मोस ने सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा किया था।
रुचि
फिलीपींस और वियतनाम जैसे देश दिखा रहे हैं ब्रह्मोस में रुचि
DRDO प्रमुख सतीश रेड्डी पहले ही बता चुके हैं कि भारत के ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम में कई देशों ने दिलचस्पी दिखाई है। इसके बारे में जानकारी मांगने वाले देशों में फिलीपींस और वियतनाम भी शामिल हैं। इन दोनों देशों ने भी ब्रह्मोस खरीदने की इच्छा जाहिर की है।
बता दें ब्रह्मोस मिसाइल की तकनीक भारत और रूस ने मिलकर विकसित की है। यह दुनिया में अपनी तरह की इकलौती क्रूज मिसाइल है जिसे सुपरसॉनिक स्पीड से दागा जा सकता है।